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दिल धड़क-धड़क के कह रहा कि रखो मेरा ऐसे ख्याल, ये हैं बड़े कारण और उपाय

हृदय रोग के खतरे को कम करने के लिए जरूरी है कि सावधानी बरती जाए. इसके लिए व्यायाम सबसे बेहतर उपाय है.

Women heart disease: महिलाओं में हृदय रोग एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. पुरुषों के मुकाबले, महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण और जोखिम कारक अलग होते हैं, जो सही समय पर पहचान और इलाज को प्रभावित कर सकते हैं. महिलाओं को इन अनोखे जोखिम कारकों को समझकर और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हृदय रोग के खतरे को कम करने का प्रयास करना चाहिए. इस लेख में हम महिलाओं में हृदय रोग के कुछ अनोखे जोखिम कारकों के बारे में आपको बताने वाले हैं.

मेनोपॉज

रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी हो जाती है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है. इस हार्मोन की कमी से रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है.

गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं

गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याएं जैसे प्री-एक्लेम्पसिया, गर्भकालीन मधुमेह और उच्च रक्तचाप भी महिलाओं में हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकती हैं.

ऑटोइम्यून बीमारियां

ल्यूपस और रुमेटइड आर्थराइटिस जैसी बीमारियां, जो महिलाओं में ज्यादा पाई जाती हैं, हृदय को प्रभावित कर सकती हैं और हृदय रोग का कारण बन सकती हैं.

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तनाव और डिप्रेशन

मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे तनाव और डिप्रेशन भी हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है. इनसे रक्तचाप और हृदय की धड़कन पर बुरा असर पड़ता है.

धूम्रपान और शराब का सेवन

धूम्रपान और शराब का सेवन भी हृदय रोग का खतरा बढ़ाते हैं. यह आदतें रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं.

स्लीप एपनिया

नींद की यह बीमारी भी महिलाओं में हृदय रोग का कारण बन सकती है. इससे रक्तचाप बढ़ सकता है और हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है.

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पारिवारिक इतिहास

अगर परिवार में किसी को हृदय रोग है तो महिलाओं में इसका खतरा बढ़ जाता है. पारिवारिक इतिहास का ध्यान रखना जरूरी है.

मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता

वजन बढ़ना और शारीरिक गतिविधियों की कमी भी हृदय रोग का जोखिम बढ़ाती हैं. मोटापे से उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज का खतरा बढ़ता है.

उच्च कोलेस्ट्रॉल

ज्यादा कोलेस्ट्रॉल से रक्त वाहिकाओं में प्लाक जमा हो सकता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ता है.

उच्च रक्तचाप

उच्च रक्तचाप महिलाओं में हृदय रोग का एक प्रमुख कारण है. इसे नियंत्रित करने के लिए नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है.

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