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संसद में तीन दशक बाद गूंजेगी भाकपा-माले की आवाज, क्या होगा खास, बता रहे काराकाट सांसद राजाराम सिंह

लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार की कारकाट संसदीय सीट से विजयी हुए भाकपा (माले) के राजाराम सिंह ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने क्या कुछ कहा जानिए

EXCLUSIVE Interview: बिहार कारकाट लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद राजाराम सिंह ने प्रभात खबर के साथ बातचीत में कहा कि हमारे यहां अभी भी सोन कैनाल आज तक नहीं खुला है. रोहिणी नक्षत्र समाप्त हो गया है. किसानों में निराशा की स्थिति है. हमारी पुरानी मांग है और चुनाव के समय भी इस मुद्दे को उठाया गया कि इंद्रपुरी जलाशय का शीघ्र निर्माण हो. सोन नहरों का आज की तारीख में सर्वे के आधार पर आधुनिकीकरण हो, निचले इलाके में पानी पहुंचाया जाए.

अब हमें थर्मल पावर को भी पानी देना है. नहरों को भी पानी देना है. इंद्रपुरी बराज के स्टॉक में बहुत पानी रहता नहीं है. बाणसागर और रिहंद पर पानी रोक लिया जाता है. पानी उस समय छोड़ा जाता है जब चारों तरफ पानी-पानी रहता है और उस पानी को रोकने का हमारे पास इंतजाम नहीं है. इसलिए इंद्रपुरी जलाशय का निर्माण आवश्यक है.

क्षेत्रीय स्तर पर रोजगार की व्यवस्था के लिए डालमिया नगर उद्योग को पुर्नजागृत करने का मामला उठा है. बीच में रेलवे कारखाना खोलने की भी बात हुई है. मोदी जी ने भी बार-बार रिपीट किया है. आज तक वह अधर में लटका हुआ है. हमारी कोशिश होगी कि वह परिसर औद्योगिक परिसर के रूप में विकसित हो. कारखाना खुले और बेरोजगारों को रोजगार मिले.

बिक्रमगंज, दाउदनगर, नवीनगर, नासरीगंज एवं अन्य जगहों पर क्षेत्रीय कुटीर उद्योगों को डेवलप करने की मांग उठी है. दो जिलों और मगध एवं शाहाबाद को जोड़ने वाला काराकाट लोक सभा क्षेत्र है. इंजीनियरिंग कॉलेज और मेडिकल कॉलेज खोलने की मांग उठी है. इस पर भी हमारी पहल होगी .

डेहरी का रेलवे का पाली पुल लंबे समय से टूट गया है. इसके कारण दरिहट से लेकर नासरीगंज से तक के लोग कष्ट में जी रहे हैं. बहुत कठिनाई हो रही है. इसकी शीघ्र मरम्मत कर बढ़िया निर्माण हो, जिससे इस कष्ट से लोगों को निजात मिले. यह तत्काल एक मुद्दा है.

बालू से जुड़े हुए भी ढेर सारे सवाल हैं. उन सभी सवालों पर हमारा ध्यान गया है. गांव के बुद्धिजीवियों से लेकर ग्रामीण नागरिकों तक से मिलकर हम एक कार्य योजना बनाएंगे और पूरी पारदर्शिता के साथ क्षेत्र के विकास की कोशिश करते रहेंगे.

Q. संसदीय क्षेत्र की जनता को क्या संदेश देना चाहेंगे

हम एक बात साफ कहेंगे कि जो 10 साल में पिछले दिनों देश में जो माहौल बनाया गया है. नफरत का, हिंसा का. भाई-भाई पर शक करने का. इससे समाज उबरे. मंदिर और मस्जिद से भी जो प्रसाद बांटे जाते हैं, वो मिठास लिए रहते हैं. वो जहर का स्वाद लिए नहीं रहते. इसलिए अगर हमें मंदिर व मस्जिद को भी आगे बढ़ाना है तो हमें प्रेम और भाईचारा को बढ़ाना होगा.

समाज में अमन और शांति को बढ़ाना होगा. इसको हमें मजबूत रखना है और अपने सवालों पर संघर्षों को आगे बढ़ाना है. चाहे किसानों का सवाल हो, नौजवानों का सवाल हो, महिलाओं का सवाल हो, आपसी प्रेम भाईचारा एकता को मजबूत करना पड़ेगा और संघर्ष के लिए संगठन को मजबूत करना पड़ेगा

Q. जनाकांक्षा को पूरा करने के लिए क्या करेंगे

हम जानते हैं कि राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक लोगों की उम्मीदें काफी हैं. इसके लिए हम 24 घंटे मेहनत करेंगे. संसद से लेकर बिहार सरकार तक पहल करते रहेंगे. मेहनत करते रहेंगे कोशिश करते रहेंगे.

Q. जीत का कारण क्या रहा

इस बार यहां पर दो सवाल रहे. राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए ने साख खोया है. अब लोगों को नफरत की भाषा और राजनीति नहीं चाहिए. उन्हें भाईचारा, प्रेम और अमन चाहिए. लोगों ने कहा कि कभी तो एक रात सोने दो चैन से. यह एक मूल भाव है. इसलिए एनडीए पर से लोगों का भरोसा उठा है. मोदीजी पर से लोगों का भरोसा उठा है.

भरोसा उठने का दूसरा कारण है कि जितने वादे किए गए, सभी जुमला साबित हुए. चाहे 15 लाख खाता में भेजने का मामला था. दो करोड़ रोजगार का मामला था. किसानों की आमदनी दुगुना करने का मामला था. गैस सिलेंडर सस्ता करने का मामला था. सारे के सारे वायदे नकली और झूठे साबित हुए. एनडीए के लोग कोई भी ऐसा वायदे नहीं कर पा रहे थे, जिस पर जनता भरोसा कर सके. इंडिया गठबंधन पर लोगों को भरोसा था, क्योंकि 17 महीने की बिहार में महागठबंधन के सरकार के कार्यकाल को जनता ने देखा था. एक तो राष्ट्रीय स्थिति का यह मामला था.

दूसरा पहलु यह था कि काराकाट की जनता को भाकपा माले के बतौर एक सही विकल्प मिल रहा था. समाज के मजदूर, गरीबों से लेकर मध्यम किसानों, बटाईदारों, महिलाओं, नौजवानों का एक बेहतर प्रतिनिधि के रूप में लोग देख रहे थे. इन्हीं दो कारणों से लोगों ने इंडिया गठबंधन और भाकपा माले को विकल्प के रूप में शुरुआती दौर से ही देखना शुरू कर दिया था. बेहिचक, बेझिझक समाज के हर जाति वर्ग के लोग एकजुट होकर इंडिया गठबंधन को जीत की ओर ले जाने में लग गए.

Q. पवन सिंह जीत का कितना फैक्टर रहे

इसमें कोई सच्चाई नहीं है. बात यह है कि पवन सिंह बीजेपी के जरिए प्लांट किए गए. यह बात दिखा भी. बीजेपी के कोर वोट का एक बड़ा हिस्सा पवन सिंह की ओर शिफ्ट हुआ. उनकी योजना थी यदि पवन सिंह कलाकार के नाते थोड़ी लोकप्रियता के जरिए बाहरी वोट बटोर लेते हैं और बीजेपी सपोर्ट करके यह सीट निकाल लेगी.

वह कोई राजा राम सिंह को जीताने तो आए नहीं थे. वे खुद जीतने आए थे. इसके लिए हर प्रयास किया. इसलिए यह बेकार बात है. सच पूछिए तो सत्ता के तमाम तिकड़मों को पराजित करते हुए यहां की जनता की जीत है. बीजेपी के हर दलीय- निर्दलीय सब तरह के तिकड़म को यहां की जनता ने फेल कर दिया.

Q.विरोधियों को क्या कहना चाहेंगे

हमारा चुनाव मुख्यतः मुद्दों पर था. किसी को विरोधी के बतौर हमने नहीं देखा.पार्टी के बतौर भाजपा आईडियोलॉजीकली विरोध के रूप में थी. जिस आईडियोलॉजी के विरुद्ध हमारी लड़ाई हमारा विरोध है,वह रास्ता हिंदुस्तान के विकास का रास्ता नहीं है. पूरे देश की प्राकृतिक संपदा को कुछ पूंजीपतियों के हाथों में देना देश के विकास और तरक्की का रास्ता नहीं हो सकता. पूरे देश की इकोनॉमी तबाह हुई. भूख का भूगोल बढ़ता चला गया. यह रास्ता हिंदुस्तान की तरक्की का आर्थिक स्तर पर भी नहीं था और जो सामाजिक ताने-बाने को क्षति पहुंचाई गई.

शिक्षा और स्वास्थ्य के सिस्टम को डैमेज किया गया. कोरोना काल में भाजपा के नेताओं और उनके परिवार के सदस्य भी इसका क्षति उठाए. अगर कोई सिस्टम लैप्स करेगा तो केवल विरोधियों को खत्म नहीं करेगा. महंगाई की मार पड़ती है तो उन पर भी पड़ती है. अगर खेती चौपट हो रही है, खेती घाटे में है तो इसका नुकसान सबको है. पूरे देश को है. व्यक्ति से कोई विरोध का मामला नहीं है. सवाल आईडियोलॉजी का है. सवाल पॉलिटिक्स का है. पॉलिसी का है .

पॉलिसी के मुद्दे पर हम भाजपा के पॉलिसी के बिलकुल खिलाफ हैं. उन्होंने देश के सामाजिक ताने-बाने को जो नष्ट किया है ,वह बिल्कुल नापसंद है. हमें देश में सबको ऐसा भाव देना होगा कि उन्हें महसूस हो कि यह देश हमारा है. वे अपनी संपूर्ण ऊर्जा देश के निर्माण में लगा सकें. ये भाव बनना चाहिए और भाजपा की नीतियों से यह भाव नहीं पैदा हो रहा है. वे अलगाववाद की राजनीति कर रहे हैं.उग्रवाद की राजनीति कर रहे हैं. यह उचित नहीं है.

Q. तीन दशक के बाद संसद में माले की उठेगी आवाज, क्या रखें उम्मीद

एक तरफ देश में लोकतंत्र को खत्म करके फासीवाद लाने की कोशिश की जा रही है तो भाकपा माले जैसी पार्टियों कांग्रेस और समाजवादी पार्टियां इस कोशिश में है कि लोकतंत्र की क्वालिटी और डेवलप हो. लोकतंत्र समाज के और नीचे के लोगों तक पहुंचे. भाकपा माले के संसद में पहुंचने से यह काम और तेजी से होगा. गरीब आदमी तक लोकतंत्र पहुंचे. उसका हक पहुंचे. उसका अधिकार पहुंचे. उसकी मांगे भारत के पार्लियामेंट में उठे. जब संसद में भाकपा माले के सांसद हैं तो समाज के अंतिम व्यक्ति की आवाज संसद तक पहुंचेगी. यह बात आश्वस्त होकर हिंदुस्तान की जनता देखेगी और सुनेगी.

Q. बिहारवासी क्या उम्मीद रखें

बिहार परिवर्तन की धरती रहा है और परिवर्तन के मिजाज ने सोन के दोनों किनारो में भारी बदलाव किए हैं .यह महान मगध व शाहाबाद की धरती शुरू से ही स्वतंत्रता सेनानियों की धरती रही है.इसने बड़े-बड़े फासिज्म, तानाशाही के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. जमींदारी और राजशाही के खिलाफ लड़ाइयां लड़ी हैं. हम समझते हैं कि समता और बंधुत्व के लिए यह क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ है. बिहार वासियों को इस लड़ाई को ताकत देना है. इसे मजबूत करना है. बिहार लोकतंत्र की जननी रहा है. हम समझते हैं कि बिहारवासी आने वाले दिनों में और ज्यादा मजबूती के साथ इस परिवर्तन की लड़ाई में खड़ा होंगे.

किसी भी कीमत पर हिंदुस्तान में हिटलर के विचारधारा को ,फासिस्ट विचारधारा को और आगे बढ़ने नहीं देंगे. इस बार उन्होंने आंशिक तौर पर कुछ ब्रेक लगाया है. भाजपा के खिलाफ जदयू जैसी ताकतों को सोचना है .चंद्रबाबू नायडू को सोचना है कि इस बार जो जनादेश आया है, जनभावना उभर कर आई है, उसका सम्मान कैसे होगा. कोई अवसरवादी केवल सरकार बना लेने से नहीं होता है. जनभावना का कद्र लोकतंत्र की सबसे मूल बात है. इस बात का उन्हें ध्यान देना पड़ेगा.

Q. विशेष राज्य का दर्जा व जाति आधारित जनगणना पर क्या कहेंगे-

बिहार एक पिछड़ा राज्य है. उसे और सपोर्ट चाहिए. आर्थिक- राजनीतिक सपोर्ट चाहिए.हर तरह का सपोर्ट चाहिए. नीतीश कुमार ज्यादा विशेष राज्य का दर्जा का मुद्दा उठाते रहे हैं. मांग करते रहे हैं. पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलना चाहिए. पटना यूनिवर्सिटी ऐतिहासिक विश्वविद्यालय रहा है. इसे यह दर्जा मिलना चाहिए. नीतीश बाबू खुद सरकार में हैं. अब कैसे उठाते हैं. हम लोग तो आवाज उठाएंगे ही. बिहार को इकोनामिक सपोर्ट चाहिए.

Q.2025 विधानसभा चुनाव पर क्या कहना चाहेंगे

उत्तर-पूर्वी बिहार में महागठबंधन का परफॉर्मेंस उस तरह का नहीं रहा है. इसकी समीक्षा हमें करनी होगी. यह दोबारा साबित हुआ है कि भाकपा माले, राष्ट्रीय जनता दल और एक हद तक कांग्रेस भाजपा के खिलाफ बिहार में लड़ाई की धुरी हैं. इस धुरी को और मजबूत करना होगा. हमसे सीट बंटवारे में जो चुक हो जाती है, कुछ कमी रह जाती है ,उसकी समीक्षा करनी होगी. सोन के दोनों किनारों में जहां भाकपा माले का बड़ा प्रभाव था, वहां पर आप देखेंगे कि राजद और भाकपा माले दोनों ने अच्छा परफॉर्म किया.

लेकिन, उत्तर- पूर्वी बिहार में परफॉर्म नहीं कर सके. इसकी हमें समीक्षा करनी है. हम तो पूरा आशान्वित हैं कि जिस प्रकार इस चुनाव में महागठबंधन की रैलियों में जनता उमड़ती रही ,इसने 2025 का भी संकेत दे दिया है .बिहार बदलाव चाहता है और बिहार में इंडिया गठबंधन की सरकार चाहता है.

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