कहा- ‘प्रोजेक्ट वात्सलय’ के तहत पीड़ित बच्चों को मिलेगी सारी सुविधाएं
पूर्णिया. बिहार में सर्वाधिक पूर्णिया में थैलेसीमिया के मरीजों के कारण और उसके समाधान की दिशा में जिला प्रशासन ने पहली शुरू कर दी है. ‘प्रोजेक्ट वात्सलय’ के तहत डीएम कुंदन कुमार ने थैलेसेमिया से पीड़ित बच्चों के परिजनों के साथ संवाद कर इसके स्थायी समाधान ढूंढने का पहली बार सार्थक प्रयास किया गया. जिला पदाधिकारी ने कहा कि प्रोजेक्ट वात्सल्य का मकसद आपसे बात कर आपकी पीड़ा को समझना तथा थैलेसीमिया के पीड़ित हर बच्चे का परमानेंट उपचार करना है. उन्होंने कहा कि थैलेसीमिया के बच्चों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए रेडक्रॉस ब्लड बैंक को पुर्नजीवित कर इसमें अत्याधुनिक तकनीक लाया जा रहा है ताकि थैलेसिमिया के मरीजों की जांच हो सके. मेडिकल कॉलेज में भी थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेगी. गौरतलब है कि बिहार में थैलेसीमिया के सर्वाधिक मरीज पूर्णिया में है जबकि पटना दूसरे नंबर पर है.आखिर थैलेसीमिया का क्या है समाधान ?
संवाद कार्यक्रम में जिला पदाधिकारी ने कहा कि सबसे बड़ा प्वाइंट है कि थैलेसीमिया का क्या समाधान है? क्या समाधान राज्य सरकार और जिला प्रशासन द्वारा आपको उपलब्ध कराया जा सकता है. जिला पदाधिकारी ने उपस्थित परिजनों से एचएलए टेस्ट, बोन मैरो ट्रांसप्लांट के बारे में जानकारी ली. इस क्रम में मोहमद जफरूल के द्वारा बताया गया कि उनके पुत्र की आयु आठ वर्ष है उनका एचएलए टेस्ट में शत प्रतिशत मिलान हुआ है परंतु इसमें होने वाले खर्च के कारण इलाज नहीं करा सके है. जिला पदाधिकारी द्वारा जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला स्वास्थ्य समिति पूर्णिया को निर्देश दिया गया कि राज्य सरकार से सहायता उपलब्ध कराने की दिशा में अग्रेतर कार्रवाई करें. ”प्रोजेक्ट वात्सल्य” संवाद कार्यक्रम में उप विकास आयुक्त, अपर समाहर्ता, विधि व्यवस्था,पूर्णिया, सहायक समाहर्ता पूर्णिया, वरीय उप समाहर्ता पूर्णिया, सिविल सर्जन पूर्णिया तथा थैलीसीमिया से पीड़ित बच्चों के परिजन उपस्थित थे.जांच के लिए आयेगी विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम
जिला पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि कैंप में बाहर से विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम आएगी इसलिए सभी लोग अचूक रूप से आए और इलाज के बारे में जानकारी और अपनी सभी समस्याओं का समाधान लेने का प्रयास करें. विशेषज्ञ की टीम से जिनका एचएलए टेस्ट शत प्रतिशत नही है उनके लिए उपलब्ध इलाज के बारे में भी पूछा जायेगा. डीएम ने कहा कि जब भी कैंप लगे, सभी को दादा और नाना दोनो तरफ से परिजनों को जाना है ताकि एचएलए टेस्ट में मिलान की संभावना ज्यादा हो सके.
थैलेसीमिया के क्या हैं कारण
सिविल सर्जन डॉक्टर ओ पी साहा ने बताया कि थैलेसीमिया दो प्रकार का होता है. एक अल्फा और दूसरा बीटा संस्करण. किसी को थैलेसीमिया को लेकर किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए. ये पूरी तरह अनुवांशिक बीमारी है. यह तभी होता है जब माता और पिता दोनो थैलेसीमिया के कैरियर हों.
फोटो- 14 पूर्णिया 8- संवाद कार्यक्रम का उद्घाटन करते डीएमडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है