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शहरी क्षेत्रों में नालियों की सफाई, आश्रय स्थलों की पहचान करने के दिये निर्देश

जिला स्तरीय प्राकृतिक आपदा प्रबंधन समिति की बैठक शुक्रवार को आयोजित हुई. इसमें विभागीय अधिकारियों को किसी भी आपदा से निबटने का उपाय करने से संबंधित निर्देश दिया गया.

सुंदरगढ़. जिला स्तरीय प्राकृतिक आपदा प्रबंधन समिति की एक अहम बैठक सुंदरगढ़ विकास भवन में आयोजित हुई. इसमें विभिन्न विभागीय अधिकारियों ने वर्तमान वर्षा ऋतु के दौरान संभावित आपदा की स्थिति से निबटने के लिए किये गये उपायों एवं विभिन्न क्षेत्रों की समस्याओं पर चर्चा की. राउरकेला महानगरीय क्षेत्र और सभी शहरी क्षेत्रों में नालियों की सफाई, असुरक्षित या टूटी नालियों की मरम्मत, निचले इलाकों की पहचान, आपातकालीन स्थिति के लिए आश्रय स्थलों की पहचान, जल जमाव की समस्या से निबटने के लिए तैयारी रखने पर जोर दिया गया. सभी प्रखंड विकास अधिकारियों को भी आश्रय स्थलों की पहचान कर संभावित आपदाओं के लिए तैयार रहने और अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर कमजोर घरों की पहचान करने, वहां के लोगों को आश्रय स्थलों तक पहुंचाने को लेकर चर्चा करने का निर्देश दिया गया. इसी प्रकार सभी तहसीलों में पॉलीथिन की उपलब्धता के साथ जिला स्तर एवं सभी ब्लॉक, तहसील एवं शहरी क्षेत्रों में नियंत्रण कक्ष के क्रियान्वयन के निर्देश दिये गये.

आपदा के दौरान बिजली वितरण व्यवस्था पर जोर

आपदा के दौरान बिजली वितरण व्यवस्था पर जोर दिया गया. विभाग के अधिकारियों को आपदा से हुए नुकसान की तत्काल मरम्मत करने और तुरंत बिजली उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये. वहीं, स्वास्थ्य विभाग की पूर्व तैयारी की जानकारी देते हुए विभागीय अधिकारी ने बताया कि सभी अस्पतालों में आवश्यक आपातकालीन चिकित्सा, ओआरएस पैकेट, सर्पदंश के इंजेक्शन आदि मौजूद बताये गये. चर्चा की गई कि खाद्य निरीक्षकों को बरसात के मौसम में बाजारों/होटलों में उपलब्ध भोजन, पेय पदार्थ आदि की गुणवत्ता की नियमित जांच करने के निर्देश दिये जायें. इसी प्रकार पालतू पक्षियों के संरक्षण पर भी जोर दिया गया. विभागीय अधिकारियों को उनका टीकाकरण करने तथा उनके लिए आवश्यक भोजन उपलब्ध रखने के निर्देश दिये गये. सीएसओ को राशन सामग्री एवं सूखा भोजन आवश्यक मात्रा में उपलब्ध रखने का निर्देश दिया गया.

बाल पोषण कार्यक्रम जारी रखने पर हुई चर्चा

आंगनबाड़ी केंद्रों को खुला रखने एवं बाल पोषण कार्यक्रम को जारी रखने, केंद्रों की साफ-सफाई बनाये रखने, आपात स्थिति के दौरान गर्भवती महिलाओं की देखभाल करने एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से विभिन्न जन जागरूकता पैदा करने के संबंध में चर्चा की गयी. कृषि एवं बागवानी पर भी प्रकाश डाला गया. फसल के नुकसान, बीज और उर्वरक की आपूर्ति, कोल्ड स्टोरेज आदि पर चर्चा की गयी. विभाग के अधिकारियों को बरसात के दौरान स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने, खराब ट्यूबवेलों की पहचान कर तत्काल मरम्मत कराने, खराब पाइपलाइन की मरम्मत करने, दूषित पानी की जांच करने, जल जमाव वाले क्षेत्रों में टैंकों के माध्यम से पेयजल आपूर्ति करने आदि के निर्देश दिये गये. इसी प्रकार खराब, असुरक्षित सड़कों, खंभो आदि की मरम्मत पर भी जोर दिया गया.

संभावित आपदा के समय सतर्क रहें अधिकारी : जिलाधिकारी

जिलाधिकारी डॉ पराग गवली ने सभी अधिकारियों को संभावित आपदा के समय सतर्क रहने तथा फील्ड अधिकारियों/कर्मचारियों को भी सचेत करने तथा किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए सदैव तैयार रहने के निर्देश दिये. वहीं, जिलाधिकारी ने आपात स्थिति की जानकारी तुरंत विभागीय अधिकारियों को देने और त्वरित कार्रवाई करने का आदेश दिया. इसी प्रकार, उन्होंने आपदा से क्षतिग्रस्त क्षेत्रों की शीघ्र मरम्मत और आवश्यक सेवाओं की तत्काल व्यवस्था पर जोर दिया. उन्होंने अग्निशमन विभाग और ओड्राफ टीम को भी तैयार रहने का आदेश दिया. इस बैठक में बणई विधायक लक्ष्मण मुंडा, एडीएम, राउरकेला आशुतोष कुलकर्णी, एडीएम सुंदरगढ़ रविनारायण साहू, प्रखंड विकास अधिकारी और कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद चुकाबंधु नायक, सदर, पानपोस और बणई के उपजिलापाल क्रमश: दशरथी सराबू, विजय नायक एवं सुरंजन साहू, विधायकों के प्रतिनिधि, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि, सभी बीडीओ, तहसीलदार, सभी नगरपालिका के कार्यकारी अधिकारी और सभी विभागीय अधिकारी प्रमुख रूप से उपस्थित थे.

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