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जूट के रेशे से अधिक महंगी बिकेगी पत्तियां, जूट लीफ ड्रिंक में होगा उपयोग

जूट लीफ ड्रिंक में होगा उपयोग

प्रतिनिधि, कटिहार. जूट नगरी के नाम से जाना जाने वाला कटिहार में मृतप्राय हो रही जूट की खेती से किसानों को एक संजीवनी मिलने वाला है. जूट के रेशे से अधिक मूल्य में अब जूट की पत्तियां बिकेंगी. ऐसा इसलिए कि भविष्य में चाय के समानांतर जूट लीफ ड्रिंक का उपयोग किया जा सकता है. ऐसे में जूट जहां 22-25 रुपये किलो बिकता है. वहीं जूट लीफ ड्रिंक के लिए जूट की सूखी पत्तियों की कीमत प्रति किलो साढ़े तीन सौ रुपये में कोलकाता के व्यापारी इसका क्रय करेंगे. साथ ही जूट की कई तरह के मनमोहक व आकर्षक सामग्री बनायी जा सकेगी. इतना ही नहीं जूट व्यापारियों द्वारा जूट ग्रेड के नाम पर वर्षों से ठगे जा रहे जूट किसान ठगने से अब बच पायेंगे. कोलकाता से सात दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त कर लौटने वाले अलग-अलग प्रखंड के तीस किसान दूसरे किसानों के बीच इन सभी तरह का ज्ञान देंगे. सात जून से 13 जून तक इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च कोलकाता में जूट आधारित सात दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त कर लौटे तीस किसानों ने शुक्रवार को बताया कि सात दिनों तक जूट से संबंधित अलग-अलग प्रशिक्षण दिया गया. जूट के रेशे से विभिन्न प्रकार की ज्वेलरी, खिलौना, मूर्ति, लैपटॉप बैग, हैंड बैग, झोला, पर्स इत्यादि अनेक सामान बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया. किसानों को जूट का फाइनेश चेक करना सिखाया गया कि जूट की क्वालिटी कैसे जानकारी हासिल हो सकें. प्रशिक्षण के दौरान जूट किस प्रकार लाइन से लाइन रोपा जाये. जूट का मशीन द्वारा इसका फाइबर निकाला जाये. अनानाश और केले के थम से फाइबर निकालने की मशीन आदि से भी जानकारी दी गयी. रेशे से अधिक महंगी बिकेंगी जूट की सूखी पत्तियां प्रशिक्षण प्राप्त कर कोलकाता से लौटे किसानों का कहना था कि प्रशिक्षण के दौरान जूट की सूखी पत्तियों से जूट लीफ ड्रिंक बनाने की विधि से संबंधित जानकारी दी गयी. किसानों ने बताया कि डॉ डीपी रॉय द्वारा जूट के पत्ते से जूट लीफ ड्रिंक बनाने और संठी का कार्बन और ब्रीक, बिस्किट आदि बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है. किसानों का कहना था कि जूट की सूखी पत्तियां इस कार्य के लिए प्रति किलो साढ़े तीन सौ रुपये के हिसाब से बेची जा सकती है. किसानों ने बताया कि पूर्व में जहां जूट व्यापारियों द्वारा जूट ग्रेड के नाम पर किसान से कम रेट लगाकर जो व्यापारी जूट क्रय करते थे. इससे बचने के लिए भी किसानों को जूट का ग्रेडिंग करने के तरीके से अवगत कराया गया. कहते हैं सहायक निदेशक आत्मा के नेतृत्व में सभी तीस किसानों को जूट आधारित प्रशिक्षण के लिए सात जून से 13 जून तक इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च कोलकाता ले जाया गया था. जहां जूट से बनने वाली कई आकर्षक सामग्रियाें के अलावा ज्वेलर्स, कोट, पर्स सहित कई तरह की जानकारी दी गयी. खासकर जूट ग्रेडिंग व जूट की पत्तियों से चाय के समानंतर जूट लीफ ड्रिंक आदि बना कर दिखाया गया. प्रशिक्षण प्राप्त कर लौटे किसान अलग-अलग प्रखंडों के जूट किसानों को इन सभी सामग्रियाें के बनाने के लिए प्रशिक्षण दे सकते हैं. इससे जूट की खेती का दायरा बढ़ेगा इससे नकारा नहीं जा सकता है. एसके झा, सहायक निदेशक, आत्मा

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