Pradosh Vrat 2024: धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रतिदिन तो शिव जी की पूजा की जाती है, लेकिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा से व्यक्ति को अनेक शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं. प्रदोष व्रत हर माह की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है.
पंचांग के अनुसार, जून महीने को ज्येष्ठ मास के रूप में जाना जाता है, पहला प्रदोष व्रत 4 जून को मनाया गया था. दूसरा प्रदोष व्रत 19 जून 2024 को होगा. इस दिन शिव और देवी पार्वती की पूजा से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. इस अवसर पर भोलेनाथ को प्रिय भोग अर्पित करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और व्रत का पूर्ण फल मिलता है. आइए इस प्रदोष व्रत में भगवान शिव के लिए उपयुक्त भोग लगाने की विशेषताओं को जानते हैं…
भगवान शिव के प्रिय भोग
प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को अनेक प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं, जैसे दही-घी, हलवा, सूखे मेवे, और खीर. इन भोगों का महत्वपूर्ण स्थान है हमारे धार्मिक और सामाजिक जीवन में. धार्मिक मान्यता है कि इन भोगों से अलग-अलग प्रकार के फल प्राप्त होते हैं. दही और घी का भोग करने से सभी कष्टों का समाधान होता है और जीवन में समृद्धि आती है. हलवा का भोग करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और इच्छाओं का अधिकार प्राप्त होता है. सूखे मेवे का सेवन करने से आर्थिक समस्याओं में सुधार होता है और व्यापार में वृद्धि होती है. भांग और धतूरे के भोग से व्यापार में समृद्धि और विजय प्राप्ति होती है. खीर का भोग भी भगवान को बहुत प्रिय है और इससे आत्मिक शुद्धता और संतोष मिलता है. सभी भोगों को शुद्धता और सात्विकता से तैयार करना चाहिए और इन्हें श्रद्धा भाव से चढ़ाना चाहिए.
प्रदोष व्रत पूजा विधि
- प्रदोष व्रत के दिन आपको सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए, इससे मान्यता है कि व्रत की पूरी शक्ति से उपासना होती है.
- साफ और शुद्ध वस्त्र पहनकर आपको शिव जी के सामने दीपक जलाना चाहिए, जिससे उन्हें अच्छा प्रसन्न करने में सहायक होता है.
- व्रत के संकल्प में विशेष श्रद्धा और समर्पण से शिव जी की पूजा करनी चाहिए, जो आपके जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद लाती है.
- शाम को दूध, दही, घी, और गंगाजल को मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए, जिससे आपकी उपासना और भक्ति की महत्वपूर्ण रीति होती है.
- फिर शिवलिंग पर चंदन, बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि का अर्पण करना चाहिए, जो शिव जी के प्रति आपकी श्रद्धा को दर्शाता है.
- इसके बाद विधिपूर्वक पूजन और आरती करनी चाहिए, जिससे व्रत का सम्पूर्ण फल प्राप्त होता है और जीवन में शुभारंभ होता है.
प्रदोष व्रत के नियम
- प्रदोष व्रत के दिन भक्तों को तामसिक आहार से बचना चाहिए. इस दिन अपशब्दों से परहेज करना और देर तक सोने से बचना चाहिए, क्योंकि ये व्रत की शक्ति को कम कर सकते हैं.
- प्रदोष व्रत करने वाले भक्त को चावल और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए, जो कि व्रत के उच्चतम मान्यताओं के विपरीत है.
- भगवान शिव की पूजा में सिंदूर, हल्दी, तुलसी, और केतकी न चढ़ाना चाहिए, जिससे आपकी पूजा परंपरागत रूप से शुद्ध और सात्विक बनी रहे.