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कलकत्ता हाईकोर्ट की जज ने महाधिवक्ता से क्यों पूछा- बंगाल के राज्यपाल नजरबंद हैं क्या?

कलकत्ता हाईकोर्ट की जज ने पश्चिम बंगाल के महाधिवक्ता से कोर्ट में पूछा कि क्या राज्यपाल नजरबंद हैं? कोर्ट ने क्यों पूछा ये सवाल, यहां पढ़ें.

कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के महाधिवक्ता से पूछा कि क्या ‘राज्यपाल नजरबंद हैं’?अगर नहीं, तो फिर नेता प्रतिपक्ष को उनसे मिलने से क्यों रोका जा रहा है? राज्यपाल की अनुमति होने के बावजूद शुभेंदु अधिकारी को कथित चुनावी हिंसा के पीड़ितों के साथ राजभवन जाने से क्यों रोका गया?

कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुभेंदु अधिकारी की याचिका पर की टिप्पणी

मामला पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी को राजभवन जाने से रोके जाने से जुड़ा है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता शुभेंदु अधिकारी चुनाव के बाद हुई हिंसा के पीड़ितों के साथ राजभवन जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें वहां जाने से रोक दिया. पुलिस के इस व्यवहार के खिलाफ शुभेंदु अधिकारी कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंचे.

जस्टिस अमृता सिन्हा ने शुभेंदु को दी राज्यपाल से मिलने की अनुमति

जस्टिस अमृता सिन्हा की अदालत में शुक्रवार (14 जून) को केस की सुनवाई हुई. इसी सुनवाई के दौरान जस्टिस अमृता सिन्हा ने महाधिवक्ता से उपरोक्त सवाल किया. इसके साथ ही कलकत्ता हाईकोर्ट की जज ने शुभेंदु अधिकारी को राजभवन जाकर राज्यपाल सीवी आनंद बोस से मिलने की अनुमति दे दी.

राज्यपाल से मिलने न देने के पुलिस के रवैये से जज हैरान

शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने आश्चर्य जताते हुए पूछा कि क्या राज्यपाल ‘नजरबंद’ हैं. आखिर इस प्रकार की घटना क्यों हुई. शुभेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने कहा कि शुभेंदु अधिकारी चुनाव के बाद हुई हिंसा के कथित पीड़ितों के साथ सीवी आनंद बोस से मिलने के लिए राजभवन जा सकते हैं. लेकिन इसके लिए उन्हें एक बार फिर से राज्यपाल से मिलने की अनुमति लेनी होगी.

लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले

लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं पर कथित तौर पर हमले की घटनाएं हो रही हैं, जिसकी वजह से सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ता अपने घर से भागे हुए हैं. इन प्रताड़ित भाजपा कार्यकर्ताओं को साथ लेकर गुरुवार को शुभेंदु अधिकारी राजभवन जाने वाले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें राजभवन के अंदर जाने से रोक दिया. इसके खिलाफ शुभेंदु अधिकारी ने अदालत का रुख किया.

राजभवन की लिखित अनुमति के बाद भी पुलिस ने शुभेंदु को रोका

उन्होंने कोर्ट को बताया कि राजभवन की लिखित अनुमति के बावजूद पुलिस ने उन्हें राजभवन में जाने से रोक दिया. इस पर जस्टिस अमृता सिन्हा ने निर्देश दिया कि विपक्ष के नेता राजभवन की अनुमति के आधार पर लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में हुई कथित हिंसा के पीड़ितों के साथ राजभवन जा सकते हैं. साथ ही उन्होंने राज्य के महाधिवक्ता से पूछा कि क्या राज्यपाल ‘नजरबंद’ हैं?

महाधिवक्ता ने याचिकाकर्ता के आरोपों को गलत बताया

न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने कहा कि अगर ऐसा नहीं है, तो इन लोगों को राज्यपाल के कार्यालय से अनुमति मिलने के बावजूद उनसे मिलने की इजाजत क्यों नहीं दी गयी. इस पर महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के आरोप सही नहीं हैं. उन्होंने दावा किया कि शुभेंदु अधिकारी के सचिव ने घटनास्थल पर पुलिस से संवाद नहीं किया.

जज ने कहा- शुभेंदु फिर से राज्यपाल से मिलने का समय मांगें

किशोर दत्ता ने हाईकोर्ट में कहा कि राज्यपाल शुक्रवार को बड़ाबाजार में माहेश्वरी भवन गये और चुनाव बाद कथित हिंसा के पीड़ितों से मिले. इसके बाद अदालत ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता फिर से राज्यपाल से नया अनुरोध करें. अगर राज्यपाल के कार्यालय से उन्हें मिलने की अनुमति मिल जाती है, तो वह राजभवन जा सकते हैं.

शुभेंदु अधिकारी को पुलिस को पहले देनी होगी ये जानकारियां

जस्टिस सिन्हा ने साथ ही कहा कि शुभेंदु अधिकारी को पहले पुलिस को यह बताना होगा कि राजभवन ने कितने लोगों को मिलने की अनुमति दी है, कितने लोग राज्यपाल से मिलने जायेंगे. इसके अलावा जज ने यह भी कहा कि अगर कार लेकर जायेंगे, तो पुलिस को यह भी बताना होगा कि कुल कितनी कारें राजभवन जायेंगी.

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