jibraan khan ने कभी ख़ुशी कभी गम,रिश्ते और क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलता जैसी फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर अपनी खास पहचान बनायी थी.वह जल्द ही फिल्म इश्क़ विश्क रिबाउंड से बतौर अभिनेता अपनी शुरुआत करने जा रहे हैं. जिब्रान खान टेलीविज़न के पॉपुलर एक्टर अर्जुन के बेटे भी हैं. इस फिल्म और उनके अब तक के कैरियर पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत
आपने बाल कलाकार के रूप में अपनी शुरुआत की थी , लेकिन लीड एक्टर के तौर पर लांच होने के लिए आपको काफी इन्तजार करना पड़ा ?
मैं इस बात को लेकर हमेशा आश्वस्त था कि मैं क्या करना चाहता हूं और क्या बनना चाहता हूं. मैं इस देश का सबसे चहेता अभिनेता बनना चाहता हूं और मुझे लगता है कि यह आपके भीतर दृढ़ इच्छा शक्ति और महत्वाकांक्षाओं के साथ आता है.यह मुझमें भी था लेकिन मौका मिलना आसान नहीं होता है. चीज़ें आपके पक्ष में कई बार काम नहीं करती हैं , लेकिन उम्मीद न खोएं क्योंकि हमेशा एक नया कल आता है.एक अभिनेता के रूप में आपको यह विश्वास रखना होगा कि कल चीजें बेहतर होंगी. अगर आप खुद पर विश्वास नहीं कर सकते तो आपको इस इंडस्ट्री में नहीं आना चाहिए . आज मेरे पास पांच फिल्में हो सकती हैं और कल मेरे पास एक फिल्म भी नहीं हो सकती हैं. इस इंडस्ट्री में कुछ भी फिक्स नहीं है.आपका भविष्य बॉक्स ऑफिस नंबरों और लोग आपसे कितना प्यार करते हैं, इस पर निर्भर करता है. मुझे लगता है कि रिजेक्शन्स कुछ बेहतर करने की सीढ़ी हैं. मैंने यह झेला है कि इश्क विश्क रिबाउंड नाम की इस खूबसूरत स्क्रिप्ट को पाने के लिए ही मुझे कई बार रिजेक्ट किया गया है.मैं बहुत खुश हूं और मैं इससे बेहतर लॉन्च की उम्मीद नहीं कर सकता था.
किस तरह के रिजेक्शन से आप गुजरे हैं ?
कई बार अच्छा दिखना भी आपकी खामी हो जाती है। मुझे यह कहकर रिजेक्ट किया गया कि मैं कहीं से भी गरीब नहीं दिखता हूं,इसलिए रियलिस्टिक किरदारों के लिए मुझे लगातार मना कर दिया गया. आप निराश महसूस करते हैं क्योंकि आख़िरकार हम अभिनेता हैं और अगर हमें सही गाइडेंस मिल जाएगा, तो हम खुद को किसी भी किरदार में ढाल सकते हैं. लेकिन फिर ये समझ आता है कि यह दुनिया का अंत नहीं है.ये नहीं मिला तो क्या कुछ और अच्छा मिल जाएगाऔर वैसा हुआ भी इश्क़ विश्क रिबाउंड जैसी फिल्म मुझे मिल गयी.
इस फिल्म के निर्देशक निपुण धर्माधिकारी राष्टीय पुरस्कार विजेता निर्देशक हैं, उनका साथ अनुभव कैसा रहा?
निपुण बहुत सुलझे हुए व्यक्ति हैं। उन्हें सुबह जल्दी उठकर शूटिंग समय पर काम खत्म करना पसंद है. निर्देशक के तौर पर वह जानते हैं कि वह क्या चाहते हैं,लेकिन आइडियाज और डिस्कशन के लिए हमेशा ओपन भी रहते हैं. एक फिल्म किसी एक व्यक्ति के दिमाग की उपज नहीं बल्कि कई रचनात्मक दिमागों का मिश्रण होता है.वो इस बात को बखूबी जानते हैं.
इस फिल्म में आपके साथ रोहित शराफ भी हैं , क्या प्रतिस्पर्धा की भावना भी थी ?
बिलकुल भी नहीं। हमने बहुत अच्छा समय बिताया है. हमारे बीच विशेष जुड़ाव है और उम्मीद है कि यह स्क्रीन पर भी दिखेगा. अगर वह अपने काम में अच्छा नहीं होता तो मेरे सीन अच्छे नहीं बन पाते थे. मैं बहुत मेहनती हूं लेकिन रोहित के पास अनुभव है और वह जानते हैं कि शूटिंग के दिन क्या करना है. मैं बताना चाहूंगा कि उसने एक दिन में दो गाने शूट किए और उन्हें दो अलग-अलग स्टेप्स सीखने पड़े थे और उसने पूरी तरह से न्याय किया था .लड़कियों के बीच उसका क्रेज भी मुझे अनुभव करने को मिला. मुझे याद है एक कार्यक्रम के लिए हम जयपुर गए थे और कार्यक्रम खत्म होते-होते भीड़ तीन गुना हो गई क्योंकि आसपास की लड़कियों को मालूम पड़ गया था कि रोहित उस इवेंट में हैं. हमें जगह बंद करनी पड़ी. पुलिस बुलानी पड़ी क्योंकि लड़कियां वहां से नहीं जा रही थी.
प्यार और रोमांस की परिभाषा आपके लिए क्या है ?
प्यार के मामले में मैं थोड़ा पुराने ख्यालों का हूं. मुझे लगता है कि वह मेरी जिंदगी में सुकून जोड़े.थोड़ा शरारत भी रिश्ते में हो.
आप कभी अपने पिता के शो महाभारत के सेट पर गए थे ?
मेरा जन्म महाभारत खत्म होने के बाद हुआ था इसलिए मैं कभी उस सीरियल के सेट पर नहीं गया. मैं फिल्म जिगर और करण अर्जुन के सेट पर गया था. करण अर्जुन फिल्म की वजह से पश्मीना और मेरे बीच उसमें भी एक रिश्ता था . फिल्म का संगीत राजेश रोशन ने दिया था और मेरे पिता ने फिल्म में खलनायक की भूमिका निभाई थी. उस फिल्म के सेट पर पश्मीना और मैं भी थे,तो वह हम उस वक़्त भी को एक्टर एक्ट्रेसेज थे.
आपके पिता से आपकी सबसे बड़ी सीख क्या है?
वह एक महान अभिनेता हैं लेकिन मैंने उनसे कभी कोई सलाह नहीं ली क्योंकि मैं उनसे डरता था , लेकिन मैंने इश्क़ विश्क फिल्म के एक सीन के लिए उनकी राय ली थी. अगर मैंने यह सीन अपने तरीके से किया होता तो यह इतना अच्छा नहीं बनता था. जब अपने पिता से मैंने सलाह ली तो मुझे एहसास हुआ कि वह कितना ज्यादा एक्टिंग के क्राफ्ट को समझते है. मैं भविष्य में भी अपने काम के लिए उनकी सलाह लेने की कोशिश करूंगा. मैंने लॉकडाउन के दौरान महाभारत देखी. मुझे गर्व है कि लोग उन्हें उनके असली नाम से नहीं बल्कि सीरियल में उनके अर्जुन के किरदार से बुलाते हैं. उन्हें कई स्टेज शोज के लिए बुलाया जाता है और उनके प्रशंसक उनका बहुत सम्मान करते हैं. उन्होंने उस समय टेलीविज़न के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया. एक एपिसोड 80,000 रुपये की लागत से बनाया गया था जो कि अभी के समय में 8 करोड़ के बराबर होगा.
अगर अब मौका मिले तो क्या आप अपने पिता अर्जुन की भूमिका को रिक्रिएट चाहेंगे?
मैं अपने पिता की तरह अर्जुन के किरदार को जीवंत नहीं कर पाऊंगा, लेकिन हां मैं अभिमन्यु का किरदार निभाना पसंद करूंगा.वैसे मैंने अपने पिता के स्टारडम को देखा है.
कभी खुशी कभी गम की कोई यादें हैं ?
उस फिल्म से जुड़ी बहुत सारी यादें हैं. ह्रितिक रोशन और शाहरुख सर वहां थे और हमारा लंदन में लंबा शेड्यूल था और वहां ऐसा महसूस हुआ कि हम एक परिवार है. शाहरुख सर के बेटे आर्यन और सुहाना भी उस शेड्यूल में हमारे साथ थे,लेकिन उन्होंने हमें कभी भी ऐसा महसूस नहीं कराया कि हम उनसे बच्चों से अलग हैं . अगर सेट पर उनके बच्चों के लिए फुटबॉल या कोई चीज आती थी तो वे सेट पर हर बच्चे के लिए लाया जाता था. उस दौरान हमने बहुत ट्रैवेल किया और बहुत कुछ खाया था.