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सर्वार्थ सिद्धि व रवि योग में आज गंगा दशहरा

गंगा दशहरा पर रविवार को हस्त नक्षत्र का संयोग बन रहा है. रवि, सर्वार्थ सिद्धि व अमृत सिद्धि योग बन रहा है. गंगा दशहरा को लेकर जिले के विभिन्न गंगा तटों बरारी सीढ़ी घाट, मुसहरी घाट, बरारी पुल घाट आदि पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी.

गंगा दशहरा पर रविवार को हस्त नक्षत्र का संयोग बन रहा है. रवि, सर्वार्थ सिद्धि व अमृत सिद्धि योग बन रहा है. गंगा दशहरा को लेकर जिले के विभिन्न गंगा तटों बरारी सीढ़ी घाट, मुसहरी घाट, बरारी पुल घाट आदि पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. इतना ही नहीं रविवार को अलग-अलग स्थानों पर विविध आयोजन होंगे. कहीं प्रतिमा स्थापित कर पूजन होगा, तो कहीं गंगा महाआरती का आयोजन किया जायेगा.

मान्यता के अनुसार श्रद्धालु गंगा में 10 बार डुबकी लगायेंगे और मां गंगा को 10 प्रकार के फूल,10 प्रकार के धूप, 10 प्रकार के फल चढ़ायेंगे. जौ व 10 मुट्ठी तिल दान करेंगे. आदमपुर स्थित शिवशक्ति मंदिर में मां गंगा का पूजन होगा, बूढ़ानाथ रोड स्थित रंगनाथ-कमला मंदिर में भगवान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ होगा. श्रद्धालुओं में पूड़ी, सब्जी व आमरस का वितरण किया जायेगा. कार्यक्रम का संचालन प्रबंध न्यासी विनोद अग्रवाल करेंगे. मां गंगा पूजन समिति की ओर से मोहनपुर स्थित चैती दुर्गा स्थान परिसर में तीन दिवसीय गंगा पूजनोत्सव का शुभारंभ होगा. संयोजक जगतराम साह कर्णपुरी ने बताया कि यहां मां गंगा की प्रतिमा स्थापित की जायेगी. इसके बाद दो दिनों के लिए अष्टयाम संकीर्तन भी शुरू होगा. कार्यक्रम में महाआरती कर पर्यावरण संरक्षण, गंगा को निर्मल बनाये रखने का संदेश दिया जायेगा.

गंगा दशहरा पर मां गंगा का पृथ्वी पर हुआ था अवतरण

जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि गंगा दशहरा के दिन गंगा मैया की पूजा की जाती है. इस दिन मोक्षदायिनी गंगा माता की पूजा करने से, पितरों का तर्पण करने से पुत्र और मनोवांछित फल प्राप्त होता है. जल, अन्न, शृंगार का सामान, शक्कर, वस्त्र, फल, स्वर्ण का दान करना बेहद शुभ होता है. मान्यता हे कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था. उन्होंने राजा भगीरथ के पूर्वजों का उद्धार किया, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई.

गंगा दशहरा के पूर्व संध्या पर संगोष्ठी

सामाजिक संस्था स्वाभिमान की ओर से शिक्षण संस्थान मंदरोजा में गंगा दशहरा के पूर्व संध्या पर हमारी गंगा हमारा दायित्व संगोष्ठी हुई. अध्यक्षता संस्था के संस्थापक जगतराम साह कर्णपुरी ने की. रंजय राय ने कहा कि गंगा गंगोत्री से निकलकर उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल की धरती से बहती हुई गंगा सागर में मिलती है. गंगा संपूर्ण भारतीय सनातनियों के लिए आस्था का प्रतीक है. गंगा सभी नदियों में सबसे ज्यादा पवित्र और पूजनीय मानी जाती है. मुख्य अतिथि प्रेम कुमार सिंह थे. इस मौके पर राजीव रंजन, अजय शंकर, दिलीप दास, गोपाल पोद्दार और नवल किशोर उपस्थित थे.

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