– मायागंज अस्पताल में बेड की संख्या 705 है, हर समय हजार से अधिक मरीज रहते हैं भर्ती
वरीय संवाददता, भागलपुर
मायागंज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) की स्थापना हुए 50 वर्ष से अधिक समय बीत चुका है. इस दौरान अस्पताल पर मरीजों का बोझ दिनों दिन बढ़ता जा रहा है, लेकिन संसाधन जस की तस है. प्रखंडों व अन्य जिलों में सरकारी अस्पतालों की खस्ताहाल से आजिज इलाके के मरीज इलाज के लिए सीधे मायागंज अस्पताल पहुंच जाते हैं. इस कारण अस्पताल में हर दिन बेड की तय संख्या से अधिक मरीज रहते हैं. डॉक्टरों व स्टाफ की संख्या नहीं बढ़ने के कारण मरीजों के इलाज में विलंब हो रहा है. इस समय मायागंज अस्पताल में बेड की संख्या 705 है. वहीं रिजर्व बेड को मिला दें तो बेड की संख्या 943 हो जाती है. लेकिन हर समय मरीजों की संख्या एक हजार से 1200 तक रहती है. नतीजतन, मरीजों को गैलरी में बेड लगाकर इसपर लेटाया जा रहा है. इमरजेंसी वार्ड की स्थिति इससे भी बदतर है. यहां पर 60 बेड है. लेकिन कई बार ट्रॉली पर ही मरीजों का इलाज शुरू हो जाता है. घंटों इंतजार के बाद इन्हें बेड आवंटित किया जाता है. कई बार इमजरेंसी वार्ड में जमीन पर गद्दा बिछाकर इसपर मरीजों का इलाज किया जाता है.
तीन दिन बाद भी इलाज शुरू नहीं : अस्पताल के इंडोर हड्डी रोग विभाग में 60 बेड है, जबकि यहां पर 120 मरीज भर्ती हैं. यहां मरीज माधव के पिता व सिउड़ी अमरपुर निवासी विकास तिवारी ने बताया कि बेटे की जांघ की हड्डी टूट गयी है. डॉक्टर ने ऑपरेशन करने को कहा है. तीन दिन बीते गये अबतक स्थिति जस की तस है. बच्चे के पैर में ट्रैक्शन देने के लिए मुझे खुद से ईंट लटकाना पड़ा. वहीं हड्डी रोग विभाग में पीरपैंती के मरीज के परिजन ने बताया कि पांच जून को भर्ती हुए हैं. ऑपरेशन के बाद एक्सरे व खून जांच की रिपोर्ट देखने के लिए डॉक्टर नहीं आया.
गायनी, सर्जरी व मेडिसीन वार्ड में भी खचाखच भीड़ : मायागंज अस्पताल के इंडोर मेडिसीन वार्ड में 150 बेड है. यहां पर बेड हर समय फुल रहता है. यहां पर नियमित रूप से इमरजेंसी वार्ड से मरीज को भेजा जाता है. मरीज की संख्या अधिक रहने से मरीज को इमरजेंसी में ही रहने दिया जाता है. जबकि इंडोर सर्जरी में बेड की संख्या करीब 120 है. यहां पर भी मरीज की संख्या 145 से अधिक ही रहता है. वहीं गायनी वार्ड में 54 बेड है, जबकि यहां पर भी मरीज तय बेड से अधिक भर्ती है. कई मरीजों को भर्ती करने की बजाय घर भेज दिया जाता है. लेबर पेन होने पर आने को कहा जाता है.
कोट – मायागंज अस्पताल में तय बेड से डबल मरीज भर्ती रहते हैं. इसके लिए बेड की संख्या बढ़ायी गयी है. लेकिन हर बेड के अनुसार डॉक्टर, नर्स व कर्मी हमारे पास नहीं है. संसाधन की मांग लिखित रूप से स्वास्थ्य विभाग से की गयी है.
डॉ राकेश कुमार, अस्पताल अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच
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