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छात्रों में नामांकन की रुचि कम, कुलपति ने की आवेदन करने की अपील

स्नातक सत्र 2024-28 में नामांकन के प्रति छात्र-छात्राओं में रुचि नहीं दिख रही है. आवेदन करने की प्रक्रिया 29 मई से ही शुरू हो चुकी है. शुरुआत के 10 दिनों में महज चार से पांच हजार आवेदन ही विश्वविद्यालय को मिले थे. हालांकि इस दौरान विश्वविद्यालय ने नामांकन के लिए इस्तेमाल किये जा रहे सर्वर में तकनीकी गड़बड़ी आने की बात कही थी.

छपरा. स्नातक सत्र 2024-28 में नामांकन के प्रति छात्र-छात्राओं में रुचि नहीं दिख रही है. आवेदन करने की प्रक्रिया 29 मई से ही शुरू हो चुकी है. शुरुआत के 10 दिनों में महज चार से पांच हजार आवेदन ही विश्वविद्यालय को मिले थे. हालांकि इस दौरान विश्वविद्यालय ने नामांकन के लिए इस्तेमाल किये जा रहे सर्वर में तकनीकी गड़बड़ी आने की बात कही थी. बाद में इसमें सुधार किया गया था और आवेदन की प्रक्रिया ने थोड़ी रफ्तार जरुर पकड़ी थी, लेकिन अब फिर से आवेदकों की संख्या कम हो गयी है. गत 12 जून तक करीब आठ हजार आवेदन ही विश्वविद्यालय को मिले थे. हालांकि 12 जून के बाद कम आवेदन आने की स्थिति में कुलपति के निर्देश पर अप्लाइ करने की तिथि 19 जून तक विस्तारित कर दी गयी. लेकिन उसके बाद भी अब तक महज 14 हजार के करीब आवेदन ही विश्वविद्यालय को मिले हैं. ऐसे में अब कुलपति को छात्रों से अप्लाइ करने की अपील करनी पड़ रही है. कुलपति ने अपने पीआरओ राजेश पांडेय के माध्यम से एक विज्ञप्ति जारी करते हुए छात्रों से अपील की है कि अधिक से अधिक संख्या में नामांकन के लिए अप्लाइ करें. कुलपति का कहना है कि सर्वर ठीक ढंग से काम कर रहा है. तकनीकी टीम लगातार मॉनिटरिंग कर रही है. उसके बावजूद आवेदन की रफ्तार नहीं बढ़ पा रही है. जिस रफ्तार में छात्र-छात्राओं का आवेदन फॉर्म सबमिट हो रहा है. ऐसी स्थिति में निर्धारित तिथि तक 20 हजार आवेदन भी नामांकन के लिए आना मुश्किल दिख रहा है. विश्वविद्यालय के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है. जब नामांकन के लिए अप्लाइ की तिथि जारी किये जाने के 15 दिन से अधिक बीत जाने के बावजूद भी 15 हजार से भी कम आवेदन मिले हैं. जबकि पूर्व के सत्रों में नामांकन के लिए अप्लाइ प्रक्रिया शुरू होने के एक सप्ताह के बाद ही कुल निर्धारित सीट से दोगुना आवेदन विश्वविद्यालय को मिल जाते थे.

निर्धारित समय पर सत्र शुरू करना होगा मुश्किल

विदित हो कि जेपीयू के अंतर्गत छपरा, सीवान व गोपालगंज में कुछ 32 अंगीभूत व संबद्ध कॉलेजों का संचालन होता है. इन कॉलेज में कला, विज्ञान व वाणिज्य के 25 विषयों में 37 हजार सीटों पर नामांकन होना है. इसके लिए अभी अप्लाइ की प्रक्रिया चल रही है. कुलपति ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि एक जुलाई से हर हाल में नामांकित छात्रों का वर्ग संचालन शुरू कर देना है. पहले 12 जून तक अप्लाइ की अंतिम तिथि थी. जिसे विस्तारित करते हुए 19 जून किया गया है. ऐसे में पहली मेधा सूची जारी करते हुए नामांकन की प्रक्रिया पूरी करने में ही पूरा जून बीत जायेगा. ऐसे में निर्धारित समय पर सत्र शुरू नहीं हो सकेगा. जिस रफ्तार से नामांकन के लिए अप्लाइ हो रहा है. उसके बाद यह उम्मीद जतायी जा रही है कि 19 जून के बाद फिर से एक बार अप्लाइ की तिथि बढ़ानी पड़ेगी.

इस कारण से घटी है आवेदकों की संख्या

विदित हो कि जयप्रकाश विश्वविद्यालय में स्नातक के तीन सत्र काफी पीछे चल रहे हैं. सत्र 2020, सत्र 2021 व सत्र 2022 नियमित नहीं है. वहीं अब सत्र 2023 भी करीब सात माह पीछे चला गया है. दो दिन पहले ही सत्र 2023 के फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा लेने के लिए फॉर्म भरने की तिथि जारी की गयी है. जबकि गत वर्ष दिसंबर माह में यह परीक्षा पूरी कर लेनी थी. ऐसे में पिछड़े हुए सत्र में नामांकन कराने को लेकर छात्र-छात्राओं में उत्सुकता नहीं है. दूसरा प्रमुख कारण है कि विश्वविद्यालय में इस सत्र से भी वोकेशनल कोर्स शुरू नहीं हो सके. अधिकतर छात्र-छात्राएं रोजगारपरक विषयों में दाखिला करना चाहते हैं. लेकिन विश्वविद्यालय की ओर से बार-बार सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है.

क्या कहते हैं कुलपति

स्नातक में नामांकन के इच्छुक छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय के आधिकारिक वेबसाइट पर शीघ्रातिशीघ्र आवेदन कर दें. अंतिम तिथि का इंतजार न करें. अंतिम समय में आवेदन करने के दौरान आपाधापी की स्थिति बन जाती है. हमारी टेक्निकल टीम लगातार वेबसाइट पर काम कर रही है. जिससे विश्वविद्यालय का वेबसाइट ठीक से चल रहा है और इसकी गति भी काफी तेज है. ऐसा देखा गया कि पूर्व में निर्धारित की गयी अंतिम तिथि 12 जून को एक दिन में 5500 के लगभग अभ्यर्थियों ने आवेदन किया. जबकि तिथि बढ़ाये जाने के बाद से अभ्यर्थियों में सुस्ती सी देखी जा रही है. महाविद्यालयों में हेल्प सेंटर बनाया गया है जहां से अभ्यर्थी निःशुल्क ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इससे अभ्यर्थियों को साइबर कैफे के चक्कर लगाने से मुक्ति मिली है वहीं, उनके पैसे की भी बचत हो रही है.

प्रमेन्द्र कुमार वाजपेयी

कुलपति, जेपीयू

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