दरभंगा. श्री राम कथा सत्संग समारोह के पांचवें दिन आचार्य वेदानंद शास्त्री ने कहा की मानव अपने कर्मों एवं तपस्या से संसार की सभी वस्तु और सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं. एक सामान्य राजा से विश्वामित्र बनने तक की बात कही. विश्वामित्र अपने यज्ञ की रक्षा के लिए राम और लक्ष्मण को साथ ले गये. यात्रा के दौरान प्रभु ने तारका और सुबाहु का उद्धार किया. यज्ञ-रक्षा के साथ अहल्या का उद्धार किए. श्रापित अहल्या का उद्धार भगवान के चरण-रज से हुआ. आचार्य ने कहा कि भगवान के प्राकट्य का कोई न कोई हेतु होता है. भगवान राम का अवतार विप्र, गौ, देवता और संतों की रक्षा के लिए हुआ. जब भी इस धरा पर असुरों एवं दुष्टों का अत्याचार बढ़ा है, भगवान अलग अलग रूपों मे आकर उनसे धरा को बचाए हैं. भगवान ने सम्पूर्ण मानव समुदाय का हितैषी, आज्ञाकारी और समाज में बढ़ते अत्याचार, अनाचार से मुक्त करने को दृढ़-संकल्पित होने का संदेश दिये. कहा कि विश्वामित्र के जनकपुर आगमन पर जनक स्वयं उन्हें आमंत्रित करने गए. वहां राम-लखन को देखकर विदेह जनक का उनके प्रति आकर्षण हो गया. कहा कि इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि जब मानव अपने जीवन को पूर्णतया प्रभु के चरणों में समर्पित कर देता है, तो उसे विदेह जनक जैसा आकर्षण हो जाता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है