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बीरकुल्टी में अजय नदी से बालू का परिवहन ग्रामीणों ने रोका

वहीं एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि 2022 में गांव के विकास के लिए विभिन्न बालू कंपनियों से 12 लाख रुपये दिये गये थे, जिसे आरोप के अनुसार उत्पल ने हड़प लिये. यह भी कि उत्पल यहां अपना वर्चस्व कायम करना चाहता है.

जामुड़िया. तृणमूल कांग्रेस में अंदरूनी कलह को लेकर जामुड़िया ब्लॉक-2 के तहत चुरुलिया पुलिस फांड़ी के अधीन बीरकुल्टी क्षेत्र से बहनेवाली अजय नदी से बालू के परिवहन के लिए ग्रामीणों के खाते में कथित तौर पर रुपये देने का वादा किया गया था. लेकिन रुपये नहीं आने पर ग्रामीणों के एक समूह ने नदी घाट से बालू का परिवहन रोक कर विरोध जताया. जामुड़िया ब्लॉक-2 के अधीन चुरुलिया पुलिस फांड़ी के तहत बीरकुल्टी क्षेत्र में अजय नदी से बालू परिवहन के लिए ग्रामीणों के खाते में हर बालू लदे वाहन से 170 रुपये प्रति ट्रिप रुपये हड़पने का आरोप लगा है. स्थानीय मृत्युंजय गोराई ने तृणमूलकर्मी उत्पल रुईदास पर बालू के बदले कटमनी लेने आरोप लगाया. कहा कि इस क्षेत्र में जो बालूघाट है, वहां से बालू ले जाने के लिए हर गाड़ी पर गांव के विकास के लिए 170 रुपये देने होते हैं. उत्पल ने सारे रुपये हड़प लिये हैं. मृत्युंजय का आरोप है कि यह क्षेत्र दूसरा संदेशखाली बन सकता है. इल्जाम लगाया कि उत्पल रुपयों की धांधली के साथ स्थानीय लोगों पर जुल्म करता है. जामुड़िया के विधायक हरेराम सिंह के बेटे का सहयोगी होने के चलते उत्पल ऐसा करता रहता है. इसके खिलाफ ग्रामीणों ने एकजुट होकर बालू परिवहन रोक दिया. कहा कि उत्पल के जुल्म से तंग आकर उन लोगों ने तृणमूल से किनारा कर लिया है. वहीं एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि 2022 में गांव के विकास के लिए विभिन्न बालू कंपनियों से 12 लाख रुपये दिये गये थे, जिसे आरोप के अनुसार उत्पल ने हड़प लिये. यह भी कि उत्पल यहां अपना वर्चस्व कायम करना चाहता है. चाहता है कि यहां से जो भी कमाई हो, वो पूरी उसे ही मिले. उसे गांव के विकास से मतलब नहीं है. बालू के परिवहन से गांव की सड़क खस्ताहाल हो गयी है. गांव में दो स्कूल हैं. बालू लदे डंपरों की आवाजाही से स्कूली बच्चों की जान पर बनी रहती है. उधर, उत्पल रुईदास ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि मृत्युंजय गोराई व अन्य लोगों के इल्जाम राजनीति से प्रेरित हैं. स्थानीय विधायक का संरक्षण होने को लेकर पूछने पर उत्पल ने कहा कि यदि वह गलत काम करते, तो उनका समर्थन कैसे होता. चुनौती दी कि अगर उन्होंने कुछ गलत किया है, तो थाने में जाकर शिकायत करें. उत्पल के मुताबिक उसने ऐसा कुछ नहीं किया है. सफाई दी कि वह खुद गांव के मुख्य रास्ते से बालों के परिवहन के खिलाफ हैं. वहां दो स्कूल हैं, ऐसे में बच्चों को बालू लदी गाड़ियों से परेशानी होती है. अगर कोई एंबुलेंस वहां से गुजर रही है, तो उसे थम जाना पड़ता है. वह बालू परिवहन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन नहीं चाहते कि गांव के मुख्य सड़क से बालों का परिवहन हो. वहीं, पूछने पर बालूघाट के एक कर्मचारी ने बताया कि गांव के कुछ लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इसे लेकर पुलिस भी आयी थी और बालूघाट पर चालान काटने से रोका है. दावा किया कि यह बालूघाट वैध है और यहां से हर गाड़ी संतुलित मात्रा में बालू लाद कर निकलती है.

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