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फाइलेरिया उन्मूलन को ले लैब टेक्नीशियन को दिया प्रशिक्षण

ब्लड में शामिल माइक्रो फाइलेरिया कीटाणु की पहचान की जाती है

पूर्णिया. फाइलेरिया मरीजों की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा साल में एक बार नाइट ब्लड सर्वे कार्यक्रम चलाया जाता है. इसमें सभी प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में 20 वर्ष से अधिक उम्र के सभी सामान्य लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाते हैं जिसकी प्रखंड स्तर पर लैब टेक्नीशियन द्वारा जांच करते हुए उनके ब्लड में शामिल माइक्रो फाइलेरिया कीटाणु की पहचान की जाती है. नाइट ब्लड सर्वे में लोगों के ब्लड सैंपल लेते हुए उसमें शामिल माइक्रो फाइलेरिया की सही तरीके से पहचान करने के लिए पूर्णिया जिले के सभी प्रखंडों के साथ साथ चार शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लैब टेक्नीशियन को राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, पूर्णिया में अस्पताल के माइक्रो बायोलॉजिस्ट, पैथोलॉजी के हेड ऑफ डिपार्टमेंट (एचओडी) और जिला वेक्टर बोर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी द्वारा एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. इस प्रशिक्षण में मेडिकल कालेज माइक्रो बायोलॉजी ट्यूटर डॉ प्रियंका सिन्हा, पैथोलॉजी हेड ऑफ डिपार्टमेंट (एचओडी) डॉ सुजीत मंडल, जिला वेक्टर बोर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आरपी मंडल, भीबीडीओ रवि नंदन सिंह, जिला भीबीडी कंसल्टेंट सोनिया मंडल, पिरामल स्वास्थ्य जिला प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर सनत गुहा, सोमेन अधिकारी, भेक्टर जनित रोग नियंत्रण लिपिक रामकृष्ण परमहंस के साथ सभी प्रखंड स्वास्थ्य केन्द्र और चिन्हित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सभी लैब टेक्नीशियन उपस्थित रहे. सही रूप से पहचान करने से चिन्हित होंगे संभावित मरीज जीएमसीएच माइक्रो बायोलॉजिस्ट डॉ प्रियंका सिन्हा ने कहा कि शुरुआती समय में फाइलेरिया के कीटाणु लोगों के शरीर में रात के समय एक्टिव होते हैं. उसी समय ब्लड सैंपल सही तरीके से लेकर माइक्रोस्कोप द्वारा उसकी सही तरह से जांच करने पर फाइलेरिया कीटाणु की पहचान हो सकती है. शुरुआती समय में चिह्नित होने पर उसका तत्काल इलाज किया जा सकता है. जिससे संबंधित व्यक्ति फाइलेरिया संक्रमित होने से सुरक्षित रह सकता है. समय से जांच नहीं कराने से माइक्रो फाइलेरिया बढ़ने के लगता है जिसे खत्म नहीं किया जा सकता. इसलिए नाइट ब्लड सर्वे में सही तरीके से ब्लड सैंपल इकट्ठा करते हुए उसकी सही तरीके से जांच आवश्यक है. मेडिकल कॉलेज एचओडी द्वारा उपस्थित सभी लैब टेक्नीशियन को टेलिस्कोप द्वारा ब्लड सैंपल में फाइलेरिया की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित किया गया. मरीजों को उपलब्ध कराई जायेगी मेडिकल सुविधा जिला वेक्टर बोर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आरपी मंडल ने बताया कि संभावित फाइलेरिया ग्रसित मरीज को तत्काल मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. उन्हें आवश्यक दवाई और मलहम दिए जाते हैं. इसके साथ ही मरीजों को साफ सफाई रखते हुए नियमित रूप से एक्सरसाइज करने की जानकारी दी जाती है. जिससे फाइलेरिया को नियंत्रित रखा जा सकता है. वहीँ रोगग्रस्त मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा एमएमडीपी किट्स उपलब्ध कराई जाती है. जिसका उपयोग कर मरीज ग्रसित अंग में सूजन बढ़ने को रोक सकते हैं. बचाव के लिए चलाया जाएगा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम पिरामल स्वास्थ्य के प्रोग्राम लीड सनत गुहा ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे जांच में अगर संबंधित प्रखंड में एक प्रतिशत व्यक्ति के ब्लड सैंपल में माइक्रो फाइलेरिया की पहचान होती है तो पूरे प्रखंड के लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए वहां सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जाता है. इसमें स्थानीय आशा/आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा घर-घर जाकर दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को दवाई खिलाई जाती है. कम से कम पांच साल तक नियमित एमडीए कार्यक्रम के तहत दवा सेवन करने से लोग फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं. जिले में हर साल 10 अगस्त से एमडीए कार्यक्रम चलाया जाता है जिसके तहत लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए दवा खिलाई जाती है. फोटो – 16 पूर्णिया 2- नाइट ब्लड सर्वे को ले प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल लैब टेक्नीशियन

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