गिरिडीह/पीरटांड़ : जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल मधुबन के पावन धरती पर आध्यात्मिक संत सह प्रसिद्ध रामकथा वाचक मोरारी बापू ने रामकथा के तीसरे दिन की शुरुआत भगवान पारसनाथ की कहानी से की गयी. कहा कि आप कभी दूसरों से लड़ाई नहीं करें और कभी अपनी बड़ाई नहीं करे.
नौका की न करें चिंता
नौका जब किनारे की ओर जाता है तो आप चिंता ना करें, बल्कि उस पल को जियें. मेरी कथा आदेश मुक्त रहती है. मैं किसी को ये नहीं कहता हूं कि आप ये काम करो और नहीं करो. कहा कि विनय शब्द बहुत प्यारा है. मोरारी बापू ने कहा कि 23 तीर्थकरों का तार हैं भगवान महावीर. कहा कि मन मुक्त होता है. भगवान श्री कृष्ण भी गोपियों संग रासलीला करने के लिए मन को मुक्त रखते थे. मेरे पास बैठने का आनंद तब ही मिलेगा जब आप मेरे सामने अपने आप को बच्चा समझोगे. मैं बच्चों से ज्यादा प्यार करता हूं. उन्होंने कहा कि मैं इससे पहले प्राइमरी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का काम करता था. उस वक्त मैं अपने स्कूल में 40 बच्चों को शांत नहीं रख पाता था, आज 40 हजार लोगों को शांत रखता है. यह शून्य मानसिकता का असर है.
पारसनाथ की धरती में तीर्थकरों ने पाया मोक्ष
कहा कि पारसनाथ की इस धरती में जिन 20 तीर्थकरों ने मोक्ष पाया है, वह शिखर से भी ऊपर चले गये हैं. कहा कि किसी महापुरुष के पास करीब आयें, तब पता चलेगा कि द्ववेष है या दया. मोरारी बापू ने कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने कहा कि साधु सिंह जैसा हो यानि शेर जैसा. बापू ने गुरु की महिमा को अद्भुत बताया. कहा कि गुरु सूर्य है हमें प्रकाश देता है, जीवंत रखता है, लेकिन अपने से थोड़ा दूर भी रखता है. जीवन में गुरु की महिमा अपरंपार है. गुरु के लक्षण अद्भुत है. मोरारी बापू ने शब्द पर भी व्याख्या की. उन्होंने कहा कि शब्द क्रीड़ा नहीं, शब्द व्यापार नहीं. जीवन में शब्द की बड़ी महत्ता है. कहा कि जिसका स्वभाव निंदा करना है वह व्यक्ति किसी की भी निंदा करेगा. उसके व्यवहार में ही निंदा करना है. जिंदगी में सहज रहना बहुत बडी बात है. उन्होंने धर्म पर श्रद्धालुओं को अपने सुमधुर प्रवचन के माध्यम से बताया कि सत्य स्वर्ग है. प्रेम पृथ्वी है. किसी भी व्यक्ति को जब भी बुद्ध पुरुष के पास बैठने, उनकी बातों को सुनने का मौका मिले तो इस संपदा को बचाये रखने की आवश्यकता है. जब भी कथा में शामिल होने का अवसर मिले, तो मंगलाचरण से ही कथा में डूब जाओ. भक्ति के रंग में रंग जाओ. मन को कथा में तल्लीन कर दो. मोरारी बापू ने कथा के दौरान रामकथा से जुड़ी बातों को मनुष्य के जीवन से जोड़कर बताया.
मोरारी बापू ने किया पारसनाथ टोंक मंदिर का दर्शन
सोमवार की सुबह मोरारी बापू ने अपने कथा करने के बाद पारसनाथ पहाड़ स्थित टोंक मंदिर के दर्शन के लिए निकल पड़े. उन्होंने पारसनाथ पर्वत पर बने टोंक मंदिर का दर्शन किया और जैन मुनियों से मुलाकात भी की. इस दौरान इनके साथ अन्य कई श्रद्धालुओं ने भी पारसनाथ पर्वत पर स्थित टोंक मंदिर का दर्शन किया. बता दें कि सम्मेद शिखर की तपोभूमि मधुबन में प्रसिद्ध कथावाचक आध्यात्मिक संत मोरारी बापू की नौ दिवसीय रामकथा का आयोजन किया गया. मोरारी बापू की रामकथा में यूं तो भारत के अलग-अलग प्रान्तों से श्रद्धालुओं का जुटान हुआ है. लेकिन, मोरारी बापू की कथा सुनने गिरिडीह जिले के अलग-अलग इलाकों से भी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. सुबह कथा शुरू होने तक आसपास के लोग कार्यक्रम स्थल में पहुंच जाते हैं. श्रद्धालुओं ने कहा कि जिनको हमलोग टीवी अथवा मोबाइल में देखते थे आज सामने से कथा सुनने का सौभाग्य मिला है. इधर सुबह से लोग नि:शुल्क भोजन का लाभ भी आनंद ले रहे हैं.
भजनों की अमृतवर्षा से माहौल हुआ भक्तिमय
मोरारी बापू के रामकथा के लिए मधुबन के मकर संक्राति मेला मैदान में भव्य और आकर्षक वातानुकूलित पंडाल का निर्माण कराया गया है. वहीं, मोरारी बापू के द्वारा प्रस्तुत भजन जय जय राम, जय सियाराम, मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहुं सु दसरथ अजीर बिहारी आदि भजनों की प्रस्तुति से माहौल पूरी तरह से भक्तिमय हो उठा. संगीतमय भजन सुन श्रद्धालु भाव-विभोर हो गये. रामकथा के सफल आयोजन में मुकेश जालान, गौरव अग्रवाल, पिंकू अग्रवाल, प्रदीप जिंदल, जीआर गर्ग, मुकेश जालान, बांके बिहारी शर्मा, शाहिल शर्मा, नीलकमल भारतीया, अंकित केडिया, आशीष जालान आदि सराहनीय भूमिका निभा रहे हैं.
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