गुठनी. प्रखंड कार्यालय स्थित खेल मैदान परिसर में लाखों रुपये की लागत से स्थापित वेदर स्टेशन इन दिनों नकारा बना हुआ है. वर्ष 2013 में स्थापित किया ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (एडब्ल्यूएस) छह माह तक कार्य रूप में था. इससे वेदर संबंधी जानकारी भी मिल रही थी. लेकिन बाद में यह कार्य करना बंद कर दिया. बताया जाता है कि 150 मीटर की दूरी में कनेक्शन तार के नहीं रहने के कारण यह काम करना बंद कर दिया. मौसम की सही जानकारी नहीं होने के कारण किसानों को कई तरह की परेशानियां हो रही है. तापमान व हवा की गति की मिलती है जानकारी ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन से हर 20 मिनट पर डाटा संकलित होता है. मौसम की स्थिति अवगत कराता है. चुकी डाटा सभी प्रखंडों का होता है. लिहाजा विश्लेषण अपेक्षाकृत सटीक होता है. जिससे बारिश की मात्रा, हवा की गति, दिशा, सूर्य प्रकाश की अवधि, तापमान, जमीन का तापमान और आर्द्रता की जानकारी मिलती है. यह स्टेशन मौसम विज्ञान केंद्र से जुड़ा रहता है इसलिए जो भी पूर्वानुमान प्राप्त होते है, वे बिल्कुल सटीक होते है. जिससे किसानों को मौसम की जानकारी मिल जाती है. कैसे काम करता है वेदर स्टेशन खेल मैदान में स्थापित ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन से मौसम की क्लोज मॉनिटरिंग होती है. इससे फसल क्षति होने पर किसानों को मुआवजा राशि देने में भी आसानी होती है. कृषि विभाग को यह मौसम की सटीक और सही जानकारी उपलब्ध कराता है. वेदर स्टेशन में खराबी से क्यों हो रही है परेशानी वेदर स्टेशन के मशीन में खराबी होने से न तापमान की जानकारी मिल रही है. और ना ही हवा की गति की जानकारी मिल रही है. मौसम की जानकारी सही ढंग से नहीं मिल पा रही है. जिससे किसानों के साथ-साथ स्थानीय लोगों भीं परेशान हैं. बीएओ विक्रम मांझी ने बताया कि वेदर इनफॉरमेशन सिस्टम को कार्यालय के छत पर लगाया गया है. और वहां एक कृषि कर्मी की नियुक्ति की गई है. जो हर समय मौसम के डाटा को संकलित करता है. वेदर इनफॉरमेशन सिस्टम में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं है.
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