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महुआडाबर व मनियारडीह में बने बुनकर शेड 11 साल से पड़े है बेकार

मधुपुर के महुआडाबर और अन्य गावों में बने 32 लाख से बने बुनकर शेड 11 साल से बेकार पड़े हैं. झारक्राफ्ट के जरिये इसकी शुरूआत हुई और कुछ समय तक उत्पादन भी हुआ. लेकिन कामगारों को सही मजदूरी नहीं मिलने पर ठप हो गया.

मधुपुर . प्रखंड क्षेत्र के महुआडाबर, मनियारडीह व खैरबन गांव में 2002 में 16-16 लाख की लागत से झारक्राफ्ट के माध्यम से बनाये गये बुनकर शेड उपेक्षा के कारण 11 साल से बेकार पड़े है, जिसके कारण दर्जनों बुनकर बेरोजगार है. तीनों शेड के निर्माण के बाद मात्र दो- तीन माह ही महिलाओं द्वारा कपडे की बुनाई शुरू की गयी थी. लेकिन उन्हें सही ढंग से मजदूरी नहीं मिलने के बाद बुनकर इस कार्य से पल्ला झाड़ने लगे और काम पूरी तरह से बंद हो गया. फिलहाल शेड के चारो ओर गंदगी व झाड़ियां उग आयी हैं, साथ ही शेड में लाखों खर्च कर लगाया गये हैंडलूम व कपड़ा रंगाने की मशीन समेत कपडे बनाने के सूता रोल करने की मशीन भी रखे-रखे जंग खा रहे है. ग्रामीणों ने बताया कि समिति के माध्यम से कई वर्ष पूर्व हैंडलूम में वे लोग कपड़े की बुनाई करते थे. बताया जाता है कि तीनों ही जगह पर बेड सीट, गमछा, शर्ट के कपड़े समेत सूती वस्त्रों के तरह- तरह के कपड़े बनाये जाते थे. इन कपड़ों को उद्योग विभाग के अधिकारी व कर्मी आकर ले जाते थे. तीनो जगहों के कामगारो को काम सिखाने के लिए 60 से लेकर 120 लोगों को विभाग द्वारा प्रशिक्षण भी दिया गया था. काम सीखने के बाद बड़े ही उत्साह के साथ तीनों ही जगह काम चला. लेकिन संसाधन की कमी और उपेक्षा के बाद कार्य के अनुरूप उचित मजदूरी नहीं दिये जाने के कारण कुछ लोगों ने काम छोड़ दिया और बाहर जाकर काम करने के मजबूर हो गये.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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