दरभंगा. ईद उल अजहा की नमाज शहर से लेकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की ईदगाहों तथा मस्जिदों में लाखों फरजंदाने तौहीद ने सोमवार को परंपरागत तरीके से अदा किया. एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबादियां पेश की. हजारों लोगों ने बकरों की कुर्बानियां भी दी. नमाज पढ़ाने वाले इमामों तथा खतीबों ने परंपरागत खुत्बा दिया. कहा कि कुर्बानी पैगंबर हजरत इब्राहीम (अ.) और उनके बेटे व हजरत इस्माईल (अ.) की ऐसी प्यारी सुन्नत है, जिसे अल्लाह के हबीब हजरत मोहम्मद मुस्तफा (स.) ने भी किया और अपने अनुयायियों को करने का हुक्म दिया. जैसे अल्लाह के हुक्म पर पिता इब्राहीम अपने पुत्र इस्माईल को अल्लाह की राह में कुर्बान करने के लिए तैयार हुए तो पुत्र भी अपने पिता के हुक्म पर कुर्बान होने के लिए तैयार हो गए. खतीबों ने कहा कि हमें साल के 365 दिन कुर्बानी देने की जरूरत है, परंतु जानवरों की नहीं, बल्कि हमें अपने गुस्से, नफरत, लोभ, ईर्ष्या, घमंड व स्वार्थ की कुर्बानी देनी होगी, इससे अच्छे समाज की तामीर संभव है. इधर त्योहार को लेकर बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लोग नए कपड़े पहने. सिरों पर रंग-बिरंगी टोपियां धारण कर समूहों में नमाज अदा करने के लिए ईदगाह अथवा मस्जिद पहुंचे. इसे लेकर कई स्थानों पर मेले जैसा नजारा था. इस अवसर पर दरभंगा शहर की हृदयस्थली टावर स्थित जामा मस्जिद, शाही जामा मस्जिद किलाघाट, जामा मस्जिद बाकरगंज लहेरियासराय, खानकाह समरकंदिया, इस्माइलगंज ईदगाह, मिर्जा खान तालाब ईदगाह बेंता, छोटी काजीपुरा जामा मस्जिद, शाही मस्जिद मुफ्ती मोहल्ला, मौलागंज मस्जिद, खान डेहुरी मस्जिद फैजुल्लाखां, लालबाग मस्जिद, नूरानी मस्जिद दोनार, मुल्ला हलीम खां मस्जिद, कटरहिया ईदगाह, अललपट्टी मस्जिद, रहम खां मस्जिद, मिल्लत कॉलेज मैदान, पुरानी मुंसफी मस्जिद, चकजोहरा मस्जिद, मिरशिकार टोला मस्जिद, कादिराबाद ईदगाह, शिवधारा मस्जिद, शाही ईदगाह वाजिदपुर, भीका शाह सैलानी मस्जिद, औलिया मस्जिद बेला, झगरूआ मस्जिद आदि के अलावा खाजासराय ईदगाह में नमाजियों की अधिक संख्या देखते हुए दो पारियों मे नमाज अदा करने का समय निर्धारित था. इसके तहत यहां दो बार जमाअत हुई.
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