हाजीपुर. परिवहन विभाग द्वारा हिट एंड रन मामले में लाभुकों को समय पर मुआवजा भुगतान करने का प्रावधान है. इसके लिए जिला परिवहन कार्यालय में आने वाले आवेदनों का प्राथमिकता के आधार पर निष्पादन किया जा रहा है. जिन मामलों में पीड़ित का आवेदन विभाग को प्राप्त नहीं हो रहा है, इसके लिए अलग से पीड़ित को फोन करने के लिए कर्मियों को लगाया गया है. इन सबके बावजूद जिले में होने वाले सड़क हादसे व मुआवजे के लिए प्राप्त होने वाले आवेदन के आंकड़ों बड़ा अंतर है. जानकारी के अभाव में बहुत सारे मामले में पीड़ित आवेदन ही नहीं कर पाते हैं. जिला परिवहन कार्यालय से प्राप्त आंकड़े के अनुसार जिले में हिट एंड रन कानून लागू हाेने की तिथी एक अप्रैल 2022 से 31 मई 2024 तक परिवहन कार्यालय को मात्र 165 आवेदन प्राप्त हुए है. इनमें 159 आवेदन का दावा निपटान के लिए आयुक्त सह जिला पदाधिकारी यशपाल मीना से स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है. सभी स्वीकृत आवेदन को जीआइसी मुंबई को भेजा जा चुका है. वहीं, 55 लाभुकों को इस योजना के तहत भुगतान भी किया जा चुका है. पीड़ितों से सीधे मांगा जा रहा आवेदन एमवीआई संतोष कुमार सिंह के अनुसार जिले आये दिन लोग हिट एंड रन का शिकार हो रहे है. हादसे में मौत के बाद अधिकांश मामलों में जानकारी के अभाव में पीड़ित इस योजना का लाभ नहीं ले पाते हैं. कई बार आवश्यक कागजात की कमी से भी आवेदन अस्वीकृत हो जाता है. किसी बिचौलिए या गलत लोगाें के चंगुल में फंस कर भी योजना का लाभ नहीं ले पाते है. लेकिन इसके लिए अब जिला परिवहन कार्यालय थानों में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर सीधे मृतक के परिजनों से संपर्क कर उनसे आवेदन मंगाती है. प्रक्रिया पूरी करने के बाद डॉक्यूमेंट को सीधे जीआइसी कार्यालय मुंबई भेज देती है. क्या है हिट एंड रन का मामला सड़क दुर्घटना में ठोकर मारने के बाद यदि वाहन चालक गाड़ी लेकर मौके से फरार हो जाता है या अज्ञात वाहन से हादसा हाेने की स्थित में हिट एंड रन का मामला बनता है. ऐसी घटनाओं में हिट एंड रन कानून के विभिन्न धाराओं के अनुसार स्थानीय थाना में प्राथमिकी दर्ज की जाती है. हिट एंड रन मामले में मृतक के परिजनों को गाइड-लाइन के अनुसार आवेदन करने पर जीआइसी के माध्यम से दो लाख रुपये मुआवजे के रूप में सीधे लाभुक के खाते में भेज दिया जाता है. वहीं नन हिट एंड रन मामले में किसी ज्ञात वाहन से ठोकर लगने या दुर्घटना के बाद वाहन के पकड़े जाने पर वाहन मालिक एवं चालक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की जाती है. ऐसे मामले में मुआवजा राशि के लिए मृतक के आश्रित को किसी भी साइबर कैफे या जिला परिवहन कार्यालय से संपर्क कर बिहार मोटर वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के बेवसाइट https://accidentclaim.bihar.gov.in/ पर ऑनलाइन आवेदन किये जाने का प्रावधान है. आवेदन करने के 180 दिन के भीतर मामले का निपटारा कर मृतक के आश्रित को मुआवजा की राशि भुगतान की जाती है. आवेदन के लिए इन कागजातों की होती है जरूरत एमवीआई संतोष कुमार सिंह ने बताया कि हिट एंड रन मामले में मुआवजा के लिए मृतक के पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कॉपी, मृत्यु प्रमाणपत्र, मृतक एवं आश्रित का आधार कार्ड तथा वोटर कार्ड, एफआईआर की प्रमाणित कॉपी, आश्रित का बैंक पासबुक, अंचलाधिकारी द्वारा जारी पारिवारिक सदस्यता सूची, आश्रित का पासपोर्ट साइज फोटो के साथ सीधे आश्रित जिला परिवहन कार्यालय में आकर मिल सकते है.
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