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घोषणाओं तक सीमित रहीं परियोजनाएं, धरातल पर नहीं उतार सका राउरकेला विकास प्राधिकरण

राउरकेला विकास प्राधिकरण की स्थापना जिन उद्देश्यों को लेकर की गयी थी उसे पूरा करने में यह विफल रहा है. पिछले वर्षों में कई परियोजनाओं की घोषणा की गयी, लेकिन इनमें से एक भी धरातल पर नहीं उतरीं.

राउरकेला. जिला के शहरी क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए राउरकेला विकास प्राधिकरण (आरडीए) की स्थापना की गयी थी. इसका उद्देश्य शहर के इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और योजनाबद्ध विकास को सुनिश्चित करना था. शहरवासियों को आवास उपलब्ध कराने के लिए हाउसिंग कॉलोनियों सहित बस्तियों का विकास, व्यापार बढ़ाने के लिए शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, औद्योगिक संपदा का निर्माण करना था. लेकिन आरडीए अपने मूल लक्ष्य से भटक चुका है. नयी परियोजनाओं का निर्माण एक दुःस्वप्न बन गया है. जबकि दशकों पहले बनाये गये सभी बाजार परिसरों को बनाये रखने में यह सक्षम नहीं हो रहा है. लगभग 30/40 साल पहले, आरडीए ने वीएसएस मार्केट, छेंड मार्केट, सिविल टाउनशिप तरंगिनी मार्केट, बसंती कॉलोनी चिल्ड्रेन सदन मार्केट, सिविल टाउनशिप लायंस हॉस्पिटल के सामने मार्केट, राउरकेला बस स्टैंड जैसे 18 से अधिक मार्केट कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया था. इसके अलावा छेंड, बसंती कॉलोनी में एक हजार से अधिक मकान बनाये गये हैं. स्थापना के तीन दशक बाद भी आरडीए की बस परियोजनाओं तक सीमित है. बाद में कई योजनाएं बनीं, ब्लूप्रिंट तैयार किये गये, लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और दूरदर्शिता की कमी के कारण यह जमीन पर नहीं उतर सकीं.

1995 में आरआरआइटी को आरडीए में किया गया था तब्दील

राउरकेला को एक नयी पहचान तब मिली जब देश का पहला सरकारी स्वामित्व वाला उद्यम, राउरकेला स्टील प्लांट (आरएसपी) 3 फरवरी, 1959 को चालू हुआ. धीरे-धीरे राउरकेला शहर का विस्तार हो रहा. राउरकेला शहर के विकास को ध्यान में रखते हुए 1964 में एक विशेष योजना प्राधिकरण का गठन किया गया. बाद में, 26 जनवरी 1976 को, संगठन का नाम बदलकर राउरकेला क्षेत्रीय विकास ट्रस्ट (आरआरआइटी) कर दिया गया. आरआरआइटी के गठन के बाद से, प्रबंधन बोर्ड सरकारी अधिकारियों द्वारा शासित किया गया. हालांकि, दो अक्तूबर, 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बीजू पटनायक के आदेश पर इस संगठन को आरडीए में तब्दील किया गया.

2014 में 20,000 घर बनाने की हुई थी घोषणा

27 नवंबर, 2014 को, शारदा प्रसाद नायक ने पांच वर्षों के भीतर 20,000 घर बनाने की घोषणा की. श्री नायक ने कहा था कि लगभग 6.17 एकड़ भूमि पर तीन बहुमंजिला आवासीय अपार्टमेंट, छेंड कॉलोनी में 42 डिसमिल से अधिक भूमि पर दो शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और 2.25 एकड़ भूमि पर बहुमंजिला अपार्टमेंट का निर्माण किया जायेगा. इसके अलावा श्री नायक ने घोषणा की थी कि आरडीए और ओडिशा राज्य हाउसिंग बोर्ड (ओएसएचबी) संयुक्त रूप से किफायती घर उपलब्ध कराने के लिए छेंड कॉलोनी में 108.82 एकड़ से अधिक भूमि पर एक मेगा हाउसिंग प्रोजेक्ट का निर्माण करेंगे. हालांकि, श्री नायक लगभग एक वर्ष तक अध्यक्ष पद पर रहे, बावजूद प्रस्तावित परियोजनाएं धरातल पर नहीं आ सकीं. बाद में भी इसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है. वर्तमान में छेंड में राज्य सरकार द्वारा आरडीए को दी गयी प्रस्तावित भूमि में से केवल 108.82 एकड़ भूमि पर आर्थिक रूप से वंचित लोगों के लिए आवास परियोजना का निर्माण किया गया है. यहां की छह बस्तियों के 420 परिवारों को आवास उपलब्ध कराया जायेगा. राउरकेला महानगरीय क्षेत्र और इस्पात शहर दोनों में, 300 से अधिक झुग्गियां हैं, जिनमें एक लाख से अधिक गरीब लोग रहते हैं, जबकि केवल 420 परिवारों के लिए ही फिलहाल घर बन रहे हैं, जो समंदर में बूंद के बराबर है. इसका एकमात्र विकल्प आरडीए को फिर से संगठित कर वास्तविक उद्देश्य की ओर बढ़ना होगा.

नयी आवास परियोजना का शहरवासी कर रहे इंतजार

राउरकेला में आवास की किल्लत ऐसी है कि निजी बिल्डर जो भी परियोजनाएं विकसित कर रहे हैं, उनके फ्लैट हाथों-हाथ बिक रहे हैं. डिमांड और सप्लाई के बीच अंतर होने के कारण कीमतें भी स्थिर नहीं रहतीं. नतीजतन आम लोगों के लिए बेहद सीमित विकल्प होते हैं. ऐसे में आरडीए पर उम्मीद भरी नजरों से लोग देख रहे हैं कि रियायती दरों पर उन्हें भी जमीन मिले, ताकि वे एक घर का सपना पूरा कर सकें. लेकिन फिलहाल ऐसी कोई उम्मीद दूर-दूर तक नहीं दिख रही.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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