एजेंसियां, कोलकाता/नयी दिल्ली
पश्चिम बंगाल में रानीपतरा रेलवे स्टेशन और चत्तर हाट जंक्शन के बीच स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली सुबह 5.50 बजे से ही खराब थी. इसी स्थान पर एक मालगाड़ी ने सियालदह-कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी थी. रेलवे के एक सूत्र ने यह जानकारी दी. उसने बताया कि 13174 सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस सुबह 8:27 बजे रंगापानी स्टेशन से रवाना हुई थी और सुबह 5:50 बजे से स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली के खराब होने के कारण रानीपतरा रेलवे स्टेशन और चत्तर हाट के बीच रुक गयी. एक अन्य रेलवे अधिकारी के मुताबिक, जब स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली विफल हो जाती है, तो स्टेशन मास्टर ‘टीए 912’ नामक एक लिखित आधिकार-पत्र जारी करता है, जो चालक को खराबी के कारण उस सेक्शन के सभी रेड सिग्नलों को पार करने का अधिकार देता है. सूत्र ने बताया कि रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने सियालदह-कंचनजंगा एक्सप्रेस को टीए 912 जारी किया था. जीएफसीजे नामक एक मालगाड़ी सुबह 8:42 बजे रंगापानी से रवाना हुई और ट्रेन के पिछले हिस्से से टकरा गयी. इसके परिणामस्वरूप गार्ड का डिब्बा, दो पार्सल डिब्बे और एक सामान्य डिब्बा पटरी से उतर गये. रेलवे बोर्ड ने अपने शुरुआती बयान में कहा कि मालगाड़ी चालक ने सिग्नल का उल्लंघन किया था. सूत्रों ने कहा कि जांच से ही पता चल सकेगा कि क्या मालगाड़ी को खराब सिग्नल को तेज गति से पार करने के लिए टीए 912 दिया गया था या फिर लोको पायलट ने खराब सिग्नल के नियम का उल्लंघन किया था. अगर मालगाड़ी को टीए 912 नहीं दिया गया था, तो चालक को प्रत्येक खराब सिग्नल पर ट्रेन को एक मिनट के लिए रोकना था तथा 10 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ना था.
लोको पायलट संगठन ने रेलवे के इस बयान पर सवाल उठाया है कि चालक ने रेल सिग्नल का उल्लंघन किया. भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आइआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा कि लोको पायलट की मृत्यु हो जाने और सीआरएस जांच लंबित होने के बाद लोको पायलट को ही जिम्मेदार घोषित करना अत्यंत आपत्तिजनक है. रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि टक्कर इसलिए हुई क्योंकि एक मालगाड़ी ने सिग्नल की अनदेखी की और सियालदह जा रही कंचनजंगा को टक्कर मार दी.
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