Loksabha 2024: संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 12 जून को घोषणा की है कि 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होगा और 3 जुलाई को समाप्त होगा. रिजिजू ने आगामी सत्र में रचनात्मक बहस का आह्वान किया और सभी राजनीतिक दलों से सहयोग करने का आग्रह किया है. इसके अलावा, राज्यसभा का सत्र 27 जून से शुरू होने वाला है.
Loksabha 2024: क्या है इस सत्र में खास?
इस सत्र के दौरान, नवनिर्वाचित सदस्य शपथ लेंगे और 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 27 जून को लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगी, जिसमें संभवतः अगले पांच वर्षों के लिए नई सरकार के रोडमैप की रूपरेखा बताई जाएगी. राज्यसभा का सत्र भी 27 जून को शुरू होगा और 3 जुलाई को समाप्त होगा. रिजिजू ने आगामी सत्र में सभी राजनीतिक दलों से रचनात्मक बहस की अपील की है, उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि सरकार आम सहमति से संसद चलाना चाहती है, क्योंकि लोगों ने देश की सेवा करने का जनादेश दिया है. उनका मानना है कि 18वीं लोकसभा में विपक्षी सांसदों की अधिक संख्या देश की सेवा करने का अवसर प्रदान करती है और संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रत्येक सदस्य के योगदान की आवश्यकता है. कार्यवाही के प्रबंधन और नियमों को लागू करने में अध्यक्ष की भूमिका सर्वोपरि होती है.
लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव
लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए आगामी 26 जून 2024 को चुनाव होने वाला है. यह महत्वपूर्ण घटना नई सरकार के विधायी एजेंडे की शुरुआत का प्रतीक है. लोकसभा में कार्यवाही के प्रबंधन और नियमों को लागू करने में अध्यक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव 2024 में 240 सीटें जीतने वाली भाजपा को लेकर संभावना है कि यह अध्यक्ष पद पर नियंत्रण बनाए रखने की पूरी कोशिश करेगी. दूसरी ओर, विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ एकजुट मोर्चा बनाने के लिए अपने उम्मीदवारों का प्रस्ताव रख सकते हैं. अध्यक्ष का चुनाव संसदीय कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण घटना है, और इसके परिणाम आगामी संसदीय सत्र के लिए माहौल तैयार करेंगे.
यह भी पढ़ें: Lok Sabha Speaker: लोकसभा स्पीकर पद अपने पास रखेगी BJP, सहयोगियों को मिल सकता है डिप्टी स्पीकर का पद
राष्ट्रपति का अभिभाषण
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 27 जून को लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी, जिसमें अगले पांच वर्षों के लिए नई सरकार का रोडमैप बताया जाएगा. भाजपा के अध्यक्ष पद पर नियंत्रण बनाए रखने की संभावना है, लेकिन उसने अभी तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. एनडीए के अन्य सहयोगियों के विरोध के बावजूद, टीडीपी ने स्पष्ट किया है कि वह इस पद की मांग नहीं कर रही है. शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने टीडीपी और जेडी(यू) से आग्रह किया है कि वे सुनिश्चित करें कि इनमें से किसी एक पार्टी को यह पद मिले, उन्होंने चेतावनी दी कि इस पद पर भाजपा नेता के आने से उनकी पार्टियों में विभाजन हो सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के दिन ही संसद में अपने मंत्रिपरिषद का परिचय देने की उम्मीद है. यह नई सरकार के विधायी एजेंडे की शुरुआत है. यह प्रस्तुति सरकार को अपनी प्राथमिकताओं और नीतियों को रेखांकित करने का अवसर प्रदान करेगी, जो आगामी संसद सत्र के लिए मंच तैयार करेगी.
Loksabha 2024: नीट परीक्षा परिणाम में हुई धांधली पर विपक्ष उठाएगा सवाल
विपक्षी नेताओं ने मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अखिल भारतीय परीक्षा – राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) को लेकर बड़े पैमाने पर विवाद को लेकर केंद्र पर निशाना साधा है. आगामी लोकसभा सत्र में नीट परीक्षा में हुई धांधली को लेकर भी बात होने की मजबूत संभावना है. विपक्ष इसको लेकर संसद में सवाल उठा सकता है और सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास करेगा.
गौरतलब है कि, लोकसभा चुनाव के परिणाम के दिन ही नीट परीक्षा के रिजल्ट भी घोषित हुए जिसमें 60 से ऊपर बच्च्चों के एआईआर 1 रैंक आया जिसके कारण पुरे देश में टेस्ट कराने वाली एजेंसी एंटीए के खिलाफ लोगों ने बोलना शुरू कर दिया कि परीक्षा के परिणाम घोषित करने में धांधली हुई है, पुरे देश में इसको लेकर प्रदर्शन हुए और इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिकाएं भी दायर की गई.
आगामी राष्ट्रपति अभिभाषण में पिछली एनडीए सरकार की उपलब्धियों को उजागर करने और अगले पांच वर्षों के लिए एक दृष्टिकोण की रूपरेखा तैयार करने की उम्मीद है. हालांकि, अभिभाषण पर बहस में सरकार पर विपक्ष का तीखा हमला देखने को मिल सकता है. विपक्ष इस अवसर का लाभ उठाकर सरकार की नीतियों और प्रदर्शन पर आक्रामक आलोचना कर सकता है. राष्ट्रपति अभिभाषण का उद्देश्य जहां नई सरकार के एजेंडे के लिए माहौल तैयार करना है, वहीं विपक्षी दल इस बहस का उपयोग सत्तारूढ़ गठबंधन के नैरेटिव को चुनौती देने और उसे जवाबदेह ठहराने के लिए मंच के रूप में इस्तेमाल करने का प्रयास करेगा.
इस बहस का नतीजा आगामी संसदीय सत्र के लिए मंच तैयार करेगा, जहां सरकार और विपक्ष के बीच प्रमुख विधेयकों और नीतियों पर गहन विधायी युद्ध होने की उम्मीद है. इस राजनीतिक बारूदी सुरंग से निकलने और आम सहमति बनाने की सरकार की क्षमता 18वीं लोकसभा की उत्पादकता और प्रभावशीलता को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण होगी.