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केला की खेती से किसान आय करें दोगुनी : डाॅ सिंह

केला का प्रवर्धन सकर या प्रकन्द व ऊतक संवर्धन (टिशु कल्चर) विधि से केले की उन्नत प्रजातियों के पौधे तैयार किये जाते हैं.

पूसा : डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर पादप रोग व नेमेटोलॉजी विभागाध्यक्ष सह अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ एसके सिंह ने कहा कि बिहार के केला उत्पादक किसानों के लिए कावेन्डीश , मालभोग, कोठिया केला के प्रभेदों को लगाने का समय जून-जुलाई एवं सितम्बर-अक्टूबर माह उपर्युक्त है. उन्होंने कहा कि केला का प्रवर्धन सकर या प्रकन्द व ऊतक संवर्धन (टिशु कल्चर) विधि से केले की उन्नत प्रजातियों के पौधे तैयार किये जाते हैं. कहा कि इस विधि से तैयार केला की खेती करने से पौधा स्वस्थ व रोगरहित होता है. डॉ सिंह ने कहा कि राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के केला की 79 से ज्यादा प्रभेद विकसित है. उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि केला की खेती से आय को दोगुनी करने के लिए खेत की तैयारी व बाग लगाने के समय, पंक्ति से पंक्ति दूरी व संकर का चुनाव के साथ ऊतक संवर्धन विधि से तैयार पौधों का चयन सहित अन्य बिन्दुओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

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