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श्रीमद्भागवत कथा में रूक्मणी विवाह व सुदामा चरित्र का प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रोता

पालोजोरी बाजार के श्रीविवाह मंडप में श्रीमद्भागवत कथा का समापन हवन यज्ञ व भंडारे के साथ हुआ. कथा वाचक आचार्य पंकज कुमार शास्त्री ने श्रीमद्भागवत में श्रीकृष्ण के विभिन्न बाल लीलाओं व उनसे जुड़े प्रसंगों का वर्णन किया.

पालोजोरी . पालोजोरी बाजार के श्रीविवाह मंडप में अयोजित श्रीमद्भागवत कथा का समापन मंगलवार को हवन-यज्ञ व भंडारे साथ हुआ. कथा वाचक आचार्य पंकज कुमार शास्त्री ने सात दिनों तक संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण जी के वात्सल्य प्रेम, व उनके लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, कटुता, व्यभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित किया. कथा के माध्यम से श्रीकृष्ण की बाल लीला, रास लीला, मथुरा गमन, दुष्ट कंस राजा के अत्याचार से मुक्ति के लिए कंसबध, कुबजा उद्धार, रुक्मणी विवाह, शिशुपाल वध व सुदामा चरित्र का वर्णन कर लोगों को भक्तिरस में डूबो दिया. पालोजोरी में सात दिवासीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन अवलका देवी के पुत्र विजय कुमार वर्णवाल के परिवार द्वारा किया गया था. कथा के दौरान बाल कलाकार श्रीकृष्ण, रूक्मणी, सुदामा आदि के वेश में मंच पर विराजमान रहे. कथा वाचक ने एकादशी व्रत करने का विधान व इसकी महिमा के बारे में भी बताया. इस सात दिवसीय भागवत कथा को सुनने के लिए पालोजोरी बजार के विभिन्न मुहल्लों से काफी संख्या में महिला-पुरूष जुटे थे. अंतिम दिन श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया. मुखिया अंशुक साधु ने कहा कि इस तरह का आयोजन आगे भी पालोजोरी वासियों द्वारा किया जाना चाहिए. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में वर्णवाल परिवार के अलावे स्थानीय लोगों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.

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