मधुबनी. नगर निगम अपने 230 दुकानों का से किराया वसूल नहीं कर पा रहा है. वित्तीय वर्ष 2023- 24 में सिर्फ 25.55 फीसदी किराये की वसूली हुई है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में भी अवशेष राशि 41,62,148 रुपए रह गया था. वित्तीय वर्ष 2023- 24 की मांग 47, 01, 270 रुपये थी. जबकि कुल मांग 88,63, 418 है. जिसमें से 26.55 फीसदी राशि की ही वसूली हुई है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि नगर निगम प्रशासन दुकानों का किराया वसूली के प्रति उदासीन बना हुआ है.
चालू वित्त वर्ष में 47 लाख है मांग
नगर निगम के दुकानों का किराया 65 लाख बकाया है. जिसमें पिछले वित्तीय वर्ष में सिर्फ चार लाख 23.53 लाख रुपए की वसूली हुई . लेकिन वित्तीय वर्ष के अंत तक उसे 88 लाख 52 हजार और वसूल करना था. वित्तीय वर्ष 2023-24 का मांग 47 लाख रुपये था. इस तरह कुल मांग 88 लाख रुपए था.
दुकान किसी के नाम आवंटित, किराए पर है दूसरा
बताया जा रहा है कि निगम की 230 दुकान किराए पर है. इसमें से कई दुकानें ऐसी हैं जिसमें आवंटित किसी के नाम से और दुकान कोई दूसरा चला रहा है. जानकारी के अनुसार आवंटित दुकान के मालिक नगर निगम से तय किराया से अधिक लेकर दूसरों को दिए हुए है. आवंटित दुकानों की जांच हो तो कई तरह की खामियां सामने आएगी. बताते चलें कि नगर निगम का किराया 3 से लेकर10 रुपए प्रति वर्ग फीट है. लोगों की मानें तो एक ही परिवार के कई सदस्यों के नाम से भी दुकान आवंटित है.
बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका
निगम के दुकान आवंटन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी आशंका व्यक्त की जा रही है. कई दुकानों के कर्मियों के नाम या उनके परिजनों के नाम से आवंटित होने की शिकायत लगातार मिल रही है. वहीं इन दुकानों को अनाधिकृत रुप से अन्य को भी काफी संख्या में हस्तांतरण कर दिया गया है. जबकि इन दुकानों को बेरोजगारों के नाम से आवंटित करने का प्रावधान है. ताकि वे स्वरोजगार के माध्यम से अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें. लेकिन यहां पर दर्जनों ऐसे दुकान हैं. जिसे आवंटित किसी और ने अपने नाम करा लिया है. इनके द्वारा निगम को महज पांच सौ से 1000 रुपये किराया दिया जा रहा है. वह भी समय पर नहीं. क्या कहते हैं अधिकारी
नगर आयुक्त अनिल चौधरी ने कहा कि बाजार किराया वसूली के लिए टैक्स कलक्टर प्रतिनियुक्त हैं. वर्तमान में यह सभी होल्डिंग टैक्स निर्धारण में लगे हुए हैं. जुलाई माह से बाजार किराया वसूल में तेजी लायी जाएगी.
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