प्रतिनिधि, बेंगाबाद
केएन बक्शी बीएड कॉलेज में मंगलवार को नयी शिक्षा नीति लेकर सेमिनार का आयोजन किया गया. इस मौके पर मुख्य वक्ता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव समय की मांग है. नयी शिक्षा नीति में हर बिंदुओं का बारीकी से अध्ययन कर समाहित किया गया है जिसमें हर वर्ग के विकास की बात कही गयी है. उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान का परस्पर समावेश इस नीति में किया गया है. यह भारत केंद्रित नीति है. उन्होंने कहा जब कोई नीति धरातल पर नहीं उतरती है तो उसे क्षेत्र की व्यवस्था पर इसका असर पड़ता है. उन्होंने कहा नयी शिक्षा नीति के बारे में भी निरंतर चर्चाएं होनी चाहिए. इस तरह के संस्थान की ऐसे समय में भूमिका बढ़ जाती है. कहा कि मैकाले की शिक्षा के बजाय नैतिकता की बात इस नीति में किया गया है. कहा कि इसमें विचार बौद्धिकता और तार्किकता को भी समाहित किया गया है. भारतीय ज्ञान का परस्पर समावेश किया गया है. शिक्षा अधिगम का समग्र मूल्यांकन होना चाहिए. पाठ्यक्रम में समग्र दृष्टिकोण को लाना होगा, तभी इस नीति का लाभ मिल सकेगा. उन्होंने कहा कि एकाग्रता शिक्षा का मूल आधार है. मन चंचल होता है, इसे एकाग्र करने के लिए ओंकार के महत्व पर भी प्रयोग कराया. कहा कि ओंकार एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसके उच्चारण से एकाग्रता बढ़ती है और चीजों को लंबे समय तक याद रखा जा सकता है. वहीं प्रशिक्षुओं व अन्य अतिथियों के सवालों का भी उन्होंने बेहतर तरीके से जवाब दिये. प्रोफेसर एसपी सिंह ने कहा कि समाज को आगे बढ़ाने में कई लोग पीछे रह जाते हैं और अपने में मशगूल रहते हैं, लेकिन जब बेहतर सोच वाले लोग आगे बढ़ेंगे, तभी समाज का बदलाव होगा.अध्यक्ष डॉ शिव शक्ति नाथ बक्शी ने कहा देश में बदलाव देखना है तो शिक्षा में बदलाव लाना होगा और इसी बदलाव की ओर नयी शिक्षा नीति में उल्लेख किया गया है. स्वागत भाषण प्राचार्य डॉ अजीत कुमार सिंह ने दिया. वहीं संस्थान के प्रशिक्षुओं ने संस्कृति कार्यक्रम प्रस्तुत किया. मौके पर रणविजय शंकर, डॉ निशा बक्शी, मदन पांडेय, नारायण कोल, प्रकाश कुमार, शंकर पंडित, रागिनी रंजन, रतन सिन्हा के अलावा बीएड के प्रशिक्षुओं ने भाग लिया.
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