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चलो पढ़ते हैं, जीवन में कुछ नया करते हैं

चलो पढ़ते हैं, जीवन में कुछ नया करते हैं

जमशेदपुर. पढ़ना अच्छा है. यह तो सभी जानते हैं. लेकिन आपने अंतिम बार कौन सी किताब पढ़ी थी क्या आपको याद है, नहीं न. तो फिर इसे अप एक बार फिर से अपने जीवन में पढ़ने की हैबिट बनाये. इससे आपका जीवन बदल जायेगा. यह हम नहीं उनका कहना है जिन्होंने किताबों को फिर से पढ़ना शुरू किया है. किसी को नोवल पसंद है तो किसी को कहानियां पढ़ने में दिलचस्पी है. आप अपनी दिलचस्पी के अनुसार पुस्तकों का चयन कर सकते हैं. शांत माहौल में बैठकर कुछ घंटे पुस्तकों के साथ बिताने में जो सुकून और संतोष मिलेगा इसकी आप कल्पना नहीं कर सकते. चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि पढ़ने की आदत आपके दिल और दिमाग दोनों को स्वस्थ रखता है. तो देर किस बात की है नेशनल रीडिंग डे पर इस पहल की शुरुआत कर सकते हैं. आप खुद पढ़े और दूसरों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें.

राष्ट्रीय पठन दिवस की थीम

इस वर्ष राष्ट्रीय पठन दिवस की थीम है ””””रीडिंग इज दी फाउंडेशन ऑफ ऑल इन लाइफ””””. केरल में ””””लाइब्रेरी मूवमेंट”””” के जनक रहे पीएन पनिकर के सम्मान में हर साल 19 जून को नेशनल रीडिंग डे मनाया जाता है. देश में सभी उम्र के लोगों में पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने और साक्षरता बढ़ाने के लिए इस दिवस का पालन किया जाता है.

शुरू की चलो पढ़ते हैं अभियान

जमशेदपुर मोइत्री परिवार और युवा संस्था ने एक पहल से लोगों का ध्यान पढ़ने की ओर खींचा है. संस्था द्वारा चलो पढ़ते हैं अभियान की शुरुआत की गयी. इस अभियान के तहत माह के तीसरे रविवार को सभी एक जगह मिलते हैं और अपनी रुचि के अनुसार पुस्तक पढ़ते हैं. संस्था द्वारा पुस्तक पढ़ने पर ज्यादा जोर दिया जाता है. संस्था की ओर से आयोजन स्थल पर पुस्तक भी उपलब्ध करायी जाती है. इस तरह संस्था समाज के लोगों को पढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है.

इतिहास के पन्नों में खो जाता है मन : डॉ पार्थो चौधरी

शहर के जानेमाने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ पार्थों चौधरी का कहना है हर उम्र के लोगों को पढ़ना चाहिए. पढ़ने के बहुत फायदे हैं. आपको जो अच्छा लगता है उसे ही पढ़िये. लेकिन पढ़िये जरूर. डॉ पार्थों बताते हैं कि दिन भर की व्यस्तता के बाद उनको जब भी समय मिलता है वे इतिहास के पन्नों में खो जाते हैं. उन्होंने कहा कि कई तथ्य ऐसे हैं जिनसे हम आज भी अनभिज्ञ हैं और इसका ज्ञान पढ़ने से ही मिल सकता है. कश्मीर का इतिहास, पश्चिम बंगाल कब बना, केरला पर बेस्ड किताबें मन में कौतूहल बढ़ाती हैं. डॉ पार्थों बताते हैं कि चिकित्सा के क्षेत्र में रहते हुए फाइनांस के क्षेत्र में काफी जानकारी है. यह इसलिए क्योंकि फाइनांस से जुड़े तथ्यों को पढ़ते हैं.

खुद पढ़े, बच्चे भी देखकर पढ़ेंगे : वर्णाली

सोनारी कागलनगर निवासी वर्णाली चक्रवर्ती समाजसेवी एवं युवा संस्था की सचिव हैं. वर्णाली बताती हैं कि घर पर जब भी बेटा पढ़ने बैठता है तो कोशिश यही रहती है कि उसके पास बैठकर कुछ पढ़ूं. इस दौरान कभी किताब तो कभी अखबार लेकर पढ़ने बैठ जाती हूं. इससे वह काफी निश्चिंत दिखता है और खुद भी बहुत ध्यान से पढ़ाई करता है. बच्चों को पढ़ने के लिए कहना, हर घर की कहानी है. लेकिन अभिभावक यह नहीं समझते हैं कि बच्चे उन्हें ही कॉपी करते हैं. आज के समय में माता-पिता बच्चों के सामने मोबाइल देखते हैं. बच्चे भी वहीं कर रहे हैं. यकीन माने बच्चों में पढ़ने की आदत डालनी है तो सबसे पहले माता-पिता को भी पढ़ना होगा.

पढ़ने की आदत ने बदल दी जिंदगी : कल्याण

डिमना रोड निवासी कल्याण बात्रा पेशे से वित्तीय सलाहकार हैं. पस्तक पढ़ना उनके जीवन का अहम हिस्सा है. उन्हें पॉजिटीव थॉट्स, ऑटो बायोग्राफी जैसी पुस्तकें पढ़ना अच्छा लगता है. यूं कहे तो उनकी दिनचर्या में पढ़ने के लिए समय निर्धारित है. वह हर दिन रात दस बजे किताब पढ़ने बैठ जाती हैं. कल्याण बताते हैं कि यह महज शौक ही है, लेकिन इसकी अहमियत कोविड के दौरान पता चली. वर्ष 2021 में कोविड का दौर था. स्थिति काफी नाजुक थी. अस्पताल में भर्ती थे. हर दिन आसपास के लोगों के मरने की खबर से मन में भय होने लगता था. स्थिति थोड़ी बेहतर होते ही कि पत्नी को घर से किताब लाने के लिए कहा. वह लेकर आयी. इसके बाद अपना सारा ध्यान पढ़ने में लगा दिया. इस दौरान किताबों से काफी हौंसला मिला. हिम्मत आयी. अंदर से लगा कुछ भी हो जाये मौत को हराना ही है. अंतत: वहीं हुआ. इसके बाद से ही पढ़ने का जुनून सवार हो गया. एपीजे अब्दुल कलाम, स्वामी विवेकानंद, मेरी कॉम आदि के ऑटो बायोग्राफी को पढ़ें. ये पुस्तकें आपके जीवन को बदलने का दम रखती हैं.

एकाग्रता और भाषीय ज्ञान बढ़ाने के लिए करें रीडिंग : डॉ जया

पूरे दिन में एक घंटा कुछ न कुछ पढ़ते हैं. इसमें धार्मिक, साहित्यिक, नोवल शामिल होता है. यह कहना है कि सुंदरनगर निवासी जया मोइत्रा का. मोइत्रा पेशे से चिकित्सक व काउंसलर हैं. उनका मानना है कि व्यक्ति किसी भी फील्ड में हो उसे जिस विषय में रुचि हो जरूर पढ़ना चाहिए. पढ़ने से एकाग्रता और भाषायी ज्ञान बढ़ती है. डॉ जया बताती हैं कि रवींद्रनाथ ठाकुर को वह अपना आदर्श मानती हैं. मौजूदा समय में टैगोर की जीवनी पर आधारित पुस्तक ठाकुरबाड़ीर अंतरमहल को पढ़ रही हैं. डॉ मोइत्रा बताती हैं कि वे बांग्ला, हिंदी, एवं अंग्रेजी भाषा की किताबें पढ़ती हैं. उन्होंने कहा कि पढ़ने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जब आप पूरे ध्यान से पढ़ते हैं तो तनाव कम हो जाता है.

पुस्तक पढ़ना मेरी आदत में है शामिल : निखिल

बारीडीह के रहनेवाले निखिल कुमार कॉस्ट मैनेजमेंट एकाउंटेंट हैं. निखिल बताते हैं कि हर दिन पुस्तकें पढ़ना उनकी आदत में शामिल है. उन्हें हिंदी साहित्य की पुस्तकों में खासा रुचि है. घर में पढ़ने का चलन बचपन से ही था. पिता चंदामामा, चंपक आदि कॉमिक्स व अन्य पुस्तकें खरीद लाते थे. वहीं से पढ़ने का शौक बना. धीरे-धीरे आदत बन गयी. स्कूल में लाइब्रेरी से जुड़ा. अब तो यह हाल है कि पूरे साल में कई किताबें खरीद लाता हूं. इस साल पुस्तक मेले से करीब 25 हजार की पुस्तकें खरीदी है. निर्मल वर्मा की उपन्यास के सभी श्रृंखलाओं को खरीदा है. दिन भर काम की व्यस्तता होती है. रात में सोने से पहले किताब जरूर पढ़ता हूं. बिना पढ़े नींद ही नहीं आती. पुस्तकों को पढ़ने से जीवन में जितने भी उतार चढ़ाव आये संयम बनाये रखने की हिम्मत मिलती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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