World Food India: निवेश के आंकड़े को लेकर केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री चिराग पासवान ने बुधवार को बड़ा गयान दिया है. उन्होंने कहा है कि अब सरकार पूरी तरह से वेरिफाइड और जमीनी स्तर पर साकार हो चुके निवेश के आंकड़ों को ही जारी करेगी. उन्होंने कहा कि निवेश के आंकड़े ‘वर्ल्ड फूड इंडिया’ को जारी किए जाएंगे. ‘वर्ल्ड फूड इंडिया’ कार्यक्रम का तीसरा संस्करण 19 से 22 सितंबर के बीच आयोजित किया जाएगा.
समझौते पर हस्ताक्षर से निवेश का वादा
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि सरकार इस बार निवेश के बारे में अतिरंजित आंकड़े साझा करने से परहेज करेगी. हाल ही में खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय का कार्यभार संभालने वाले पासवान ने इस कार्यक्रम के पिछले दो संस्करणों में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में किए गए निवेश की स्थिति पर जताई जा रही चिंताओं को दूर करने की कोशिश की. ‘वर्ल्ड फूड इंडिया’ कार्यक्रम के पिछले दो संस्करणों में किए गए निवेश दावों की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर से निवेश का वादा किया जाता है और उस पर अमल की एक अवधि होती है. उसके बाद ही हमें पता चल पाता है कि जमीन पर कितना निवेश हुआ है. अब से हम निवेश की बात करते समय उन निवेश का ही उल्लेख करेंगे जिन्हें शुरू किया जा सकता है.
World Food India मोबाइल ऐप और वेबसाइट लॉन्च
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने ‘वर्ल्ड फूड इंडिया’ के तीसरे संस्करण के लिए एक मोबाइल ऐप और वेबसाइट को जारी किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि हम बहुत स्पष्ट हैं कि आपके सामने निवेश के ऐसे बड़े आंकड़े नहीं रखेंगे, जो शुरू नहीं हुए हैं. मैं, मेरी पूरी टीम और मंत्रालय इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि हम निवेश के आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर नहीं देंगे. इसलिए मैंने आपके सामने तब तक कोई आंकड़ा नहीं बताया, जब तक कि हम उन्हें पूरी तरह से वेरिफाइ नहीं कर लेते.
2017 में शुरू किया गया था World Food India
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ल्ड फूड इंडिया कार्यक्रम के वर्ष 2017 में आयोजित पहले संस्करण में सरकार ने 11.25 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित किया था, जबकि 2023 में आयोजित दूसरे संस्करण में निवेश का आंकड़ा 3.98 अरब डॉलर का था. केंद्रीय मंत्री के तौर पर अपनी पहले संवाददाता सम्मेलन में चिराग पासवान ने भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की अप्रयुक्त क्षमता का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ल्ड फूड इंडिया कार्यक्रम भारत की ताकत को प्रदर्शित करने और विचारों, नवाचार, प्रौद्योगिकी एवं निवेश का आदान-प्रदान करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करता है.
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खेतों के पास ही लग सकती हैं प्रसंस्करण इकाइयां
उन्होंने कहा कि आज तक हमने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की अपनी क्षमता का 10 फीसदी भी इस्तेमाल नहीं किया है. वर्ष 2047 तक प्रधानमंत्री के विकसित भारत के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए इस क्षेत्र का योगदान महत्वपूर्ण होगा. उन्होंने किसानों और खेतिहर समुदाय को बेहतर लाभ सुनिश्चित करने और फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए खेतों के पास ही प्रसंस्करण इकाइयां लगाने की जरूरत पर बल दिया.
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