बक्सर जिले में मनरेगा में कुल पंजीकृत परिवारों की संख्या 209561 है. हालांकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 84920 परिवारों को काम मिला, जबकि कुल 124,641 लोग काम के अभाव में इधर-उधर भटकते रहे. मनरेगा के तहत काम नहीं मिलने के कारण जिले से बड़ी संख्या में लोग दूसरी जगह पलायन कर गये. लिहाजा धीरे-धीरे लोगों को मनरेगा से दूरियां बढ़ती जा रही हैं. गौरतलब है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिनों का रोजगार प्रदान करने के लिए हर परिवार के लिए है, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल मैनुअल काम करते हैं. मनरेगा के तहत एक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, जिसके लिए प्रत्येक परिवार के वयस्क सदस्यों को अकुशल मैनुअल काम करने के लिए स्वयंसेवा की गयी थी. मनरेगा का एक और उद्देश्य है टिकाऊ संपत्तियां जैसे सड़क, नहर, तालाब व कुओं का निर्माण कर आवेदक के निवास के पांच किमी के भीतर रोजगार उपलब्ध कराया जाना है और न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करना है. यदि आवेदन करने के 15 दिनों के भीतर काम नहीं दिया गया है, तो आवेदक बेरोजगारी भत्ता के हकदार हैं. इस प्रकार, मनरेगा के तहत रोजगार एक कानूनी हकदार है. मनरेगा को मुख्य रूप से ग्राम पंचायत जीपी द्वारा लागू किया जाना है. ठेकेदारों की भागीदारी प्रतिबंधित है. जल संचयन, सूखा राहत और बाढ़ नियंत्रण के लिए आधारभूत संरचना बनाने जैसे श्रम-गहन कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है. जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के तहत 209561 परिवारों को पंजीकृत किया गया है, जिसमें अनुसूचित जनजाति परिवार के 49976 परिवारों को पंजीकृत किया गया है. अनुसूचित जाति के 5905 परिवारों को पंजीकृत किया गया है, जबकि अन्य 153680 परिवारों को पंजीकृत किया गया कि आपको 100 दिनों का रोजगार दिया जायेगा. ब्रह्मपुर प्रखंड में 22323, बक्सर प्रखंड में 20250, चक्की प्रखंड में 4422, चौसा प्रखंड में 12519, डुमरांव प्रखंड में 15212,चौगाईं प्रखंड में 4143, इटाढ़ी प्रखंड में 36046, केसठ प्रखंड में 4770, नावानगर प्रखंड में 23695, राजपुर प्रखंड में 36125, सिमरी प्रखंड में 28769 परिवारों को पंजीकृत किया गया है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के तहत जिले के 84920 परिवारों को वित्तीय वर्ष 2022-23 में काम तो दिया गया, लेकिन वह भी 100 दिन तक नहीं मिल पाया, जिसकी वजह से जिले के कामगारों को अन्य जिले तथा अन्य राज्यों में काम की तलाश में पलायन करना पड़ रहा है. जिले में सबसे कम अनुसूचित जाति के परिवार को मनरेगा के तहत रोजगार मिला, तो वहीं सबसे अधिक अन्य जाति के परिवार के लोगों रोजगार मिला. ब्रह्मपुर में 8686 , बक्सर में 6148 , चक्की में 784, चौसा में 4505, चौगाईं में 1796, डुमरांव में 3976, इटाढ़ी में 20038, केसठ में 1557, नावानगर में 12447, राजपुर में 16775, सिमरी में 8207 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार भी नहीं मिल पाया. मनरेगा के तहत रोजगार पाने के उद्देश्य से मजदूरों ने अपना पंजीकरण कराया था. जिले में कुल 209561 परिवारों ने रोजगार पाने के लिए विभाग में पंजीकृत कराया था, लेकिन 1259 परिवारों को ही 100 दिनों का रोजगार मिला. ब्रह्मपुर में 33, बक्सर में 14, चक्की में एक भी नहीं, चौसा में 53, चौगाईं में 3, डुमरांव में 58, इटाढ़ी में 531, केसठ में 12, नावानगर में 304, राजपुर में 203, सिमरी में 48 परिवारों को रोजगार मिला, जबकि चक्की प्रखंड के एक भी परिवार को नहीं मिला 100 दिन का रोजगार.
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