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कारो ओसीपी : चार साल में 60 लाख टन कोयला उत्पादन हुआ प्रभावित

कारो ओसीपी : चार साल में 60 लाख टन कोयला उत्पादन हुआ प्रभावित

राकेश वर्मा, बेरमो : कोल इंडिया की मेगा प्रोजेक्ट में शुमार सीसीएल बीएंडके एरिया अंतर्गत कारो ओसीपी उत्पादन-उत्पादकता के मामले में लगातार संघर्ष कर रही है. मालूम हो कि कारो ओसीपी में बेरमो की आउटसोर्स कंपनी बीकेबी को सात साल के लिए कोयला उत्पादन व ओबी निस्तारण का काम मिला है. सात साल में उक्त कंपनी को 21 मिलियन टन कोयला (210 लाख टन) तथा 21 मिलियन घन मीटर टन (210 लाख घन मीटर टन) ओबी का निस्तारण करना है. कंपनी को इस परियोजना में काम करते हुए जून 2024 में चार वर्ष पूरा हो गया है. 2020 जुलाई से उक्त कंपनी ने यहां कोयला उत्पादन तथा ओबी निस्तारण का काम शुरू किया था. चार साल में कंपनी को 150 लाख टन कोयला का उत्पादन करना था, जिसमें से अभी तक 90 लाख टन उत्पादन हो पाया. यानि चार साल में 60 लाख टन कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ. इसी प्रकार चार साल में उक्त कंपनी को 120 लाख घन मीटर टन ओबी का निस्तारण करना था जिसमें से मात्र 45 लाख घन मीटर टन ओबी का निस्तारण हो पाया. यानि चार साल में 75 लाख घन मीटर टन ओबी निस्तारण बाधित हुआ. फिलहाल परियोजना का रोजाना उत्पादन मुश्किल से चार हजार टन कोयला तथा एक हजार टन ओबी निस्तारण हो रहा है. आने वाले दो माह तक इसी तरह उत्पादन चलने की संभावना है. अगर माइंस विस्तारीकरण के लिए प्रबंधन को जमीन नही मिला तो अंतत: एक बार फिर से परियोजना से कोयले का उत्पादन तथा ओबी का निस्तारण ठप हो जायेगा. बीकेबी आउटसोर्स कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट सुशील कुमार अग्रवाल कहते है कि जमीन नहीं मिलने, कारो गांव का शिफ्टिंग नहीं होने के अलावा सीसीएल के अपने कई इश्यू के कारण कंपनी को काम करने में चार साल से काफी परेशानी हो रही है. सीसीएल जमीन उपलब्ध करा देगी तो तेज गति से कोयला उत्पादन व ओबी निस्तारण का काम होगा. श्री अग्रवाल के अनुसार कंपनी को हर साल 3.5 मिलियन टन कोयला उत्पादन करना है लेकिन गत वर्ष 1.4 मिलियन टन ही हो पाया था. बताते चले कि काम मिलने के बाद आउटसोर्स कंपनी ने यहां चार एक्सकेवेटर (पोकलेन), 20 टीपर, 20 हाइवा, 02 डोजर, 02 ग्रेडर, एवं 02 सरफेस माइनर मशीन लगा रखी थी. फिलहाल उत्पादन की गति काफी धीमी होने के कारण कई मशीनें आइडल पड़ी हुई है. कारो बस्ती के नये पुनर्वास स्थल को कोयला मंत्रालय से मिला है अप्रूवल कारो ओसीपी के कारो बस्ती के नये पुर्नवास स्थल को 8 अगस्त 2023 को कोयला मंत्रालय से अप्रूवल मिला था. नये पुनर्वास स्थल जो 12.897 एकड़ कोल बियरिंग लैंड है उसके आरआर साइट के दो लोकेशन में एक स्लरी पौंड करगली वाशरी के कुल 7.847 एकड़ तथा दूसरा डीआएंडआरडी के घुटियाटांड़ साइट के 5.050 एकड़ में कारो ओसीपी के कारो बस्ती के ग्रामीणों को पुनर्वास किये जाने पर सहमति प्रदान की गयी थी. स्लरी पौंड करगली वाशरी पुनर्वास स्थल में करीब छह करोड़ की लागत से काम जारी है. जिसमें प्लॉटिंग, सामुदायिक भवन, मंदिर, पीसीसी सड़क, नाली, तालाब निर्माण, बिजली, पानी, आदि व्यवस्था करायी जा रही है. कारो बस्ती में हैं लगभग 480 पीएएफ कारो ओसीपी के कारो बस्ती में करीब 490 प्रोजेक्ट एफेक्टेड फैमिली (पीएएफ) हैं. प्रबंधन के अनुसार इनमें से लगभग 240 ने जमीन के बदले पैसा लिये जाने का ऑप्शन चुना है. शेष लगभग 240 फैमिली में कुछ लोग इधर-उधर बस गये हैं. करीब 200 परिवार को नये पुनर्वास स्थल पर शिफ्ट करना है. इस नये पुनर्वास स्थल पर बसने वाले एक परिवार के एक व्यस्क जिनकी उम्र 18 साल हो गयी है उस परिवार में प्रति व्यक्ति को पांच डिसमिल जमीन का प्रबंधन नये पुनर्वास स्थल पर प्लॉटिंग करके दी जा रही है. जो व्यक्ति इस जगह पर शिफ्ट नहीं होना चाहते हैं, उन 18 साल से ऊपर प्रति व्यस्क को छह लाख रुपये दिये जायेंगे. कारो बस्ती शिफ्टिंग के बाद मिलेगा 40 मिलियन टन कोयला प्रबंधन के अनुसार पूरा कारो बस्ती गांव शिफ्ट हो जाने के बाद यहां से लगभग 40 मिलियन टन कोयला मिलेगा. जबकि कारो परियोजना के क्वायरी-टू में करीब 60 मिलियन टन कोल रिजर्व है. यह पूरा एरिया फॉरेस्ट लैंड है. इसका वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार से स्टेज-वन क्लीयर हो गया है. अब स्टेज दो क्लीयर होना है. दो साल में 30 से ज्यादा वार्ता व बैठकें हुईं पिछले चार साल से कारो में बंद, वार्ता व आश्वासन रूटिन वर्क हो गया है. इन चार साल में चार परियोजना पदाधिकारी भी यहां बदले गये. जबकि शिफ्टिंग व विस्थापितों की समस्या को लेकर दो साल में 30 से ज्यादा वार्ता व बैठकें हुईं. डीसी, एमएलए बेरमो,विस्थापित संघर्ष समन्वय समिति, सीसीएल के डीटी (पीएंडपी), कारो आरएंडआर कमेटी, कारो विस्थापित मोर्चा, कारो के ग्रामीणों, दिवंगत शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की उपस्थिति में कई राउंड की वार्ता हुई. कई विस्थापित व ग्रामीणों पर चला प्रबंधन का डंडा कारो माइंस के विस्तारीकरण व शिफ्टिंग में बाधक बनने वाले कई विस्थापितों पर भी प्रबंधन का डंडा चला. नवंबर 2021 में प्रबंधन ने सीसीएल के नौ विस्थापितों की हाजिरी बंद कर दी. जिसमें चार बीएंडके एरिया के तथा अन्य ढोरी व कथारा एरिया के थे. कारो के चार लोगों की हाजिरी एक माह 22 दिन बंद रही. इसके बाद जुलाई 2022 में नौ लोगों को चार्जशिट किया गया, जिसमें सात लोग कारो परियोजना से जुडे़ थे. अक्टूबर 2022 में फिर से कई विस्थापितों की हाजिरी एक माह 22 दिन बंद रही. नवंबर 2022 में सीसीएल कर्मी विस्थापित अशोक महतो को सीसीएल के रजहरा स्थानांतरित कर दिया गया तथा रिलिज भी कर दिया गया. परमेश्वर महतो का भी ट्रांसफर किया गया. साथ ही जगदीश तुरी को चार्जशिट किया गया. जनवरी 2023 में कारो परियोजना के सर्वेयर नोखलाल महतो के साथ मारपीट मामले में कई लोगों पर केस दर्ज हुआ. वहीं सीआइएसएफ ने कारो में महिलाओं के साथ मारपीट की. इसमें सात ग्रामीण घायल हुए थे. कारो की चार प्रमुख समस्याएं 1. विस्थापित अजय गंझू को दोबारा से नौकरी में पदस्थापना देना 2. विस्थापित संजय गंझू व मेघलाव गंझू को को नौकरी देना 3.विस्थापित अशोक महतो के परिवार से तीन को नौकरी देना 4.यथाशीघ्र वंशावली के लिए ग्राम सभा करना क्या कहते हैं विस्थापित ग्रामीण कारो परियोजना के विस्थापितों व ग्रामीणों का कहना है कि विस्थापित राष्ट्रहित के लिए पूर्वजों की जमीनें सीसीएल प्रबंधन को सौंप दी. प्रबंधन का दायित्व बनता है कि विस्थापितों को भरोसे में लेकर माइंस का विस्तारीकरण करे. क्या कहना है पीओ का कारो के पीओ एसके झा कहते है कि माइंस विस्तारीकरण को लेकर प्रबंधन गंभीर है. नये पुनर्वास स्थल पर भी तेजी से काम चल रहा है.

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