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संताल आदिवासी छात्रों के जाति प्रमाण को रिजेक्ट कर रहे संस्थान

जाति प्रमाण में संताल (santal) और संथाल (santhal) शब्द में विभेद की वजह से छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

जाति प्रमाणपत्र में संताल और संथाल शब्द में विभेद के कारण परेशानी जमशेदपुर: जाति प्रमाण में संताल (santal) और संथाल (santhal) शब्द में विभेद की वजह से छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जाति प्रमाण पत्र में उपजाति संताल (santal) लिखे जाने पर उसे स्वीकार नहीं किया जा रहा है. कई संस्थान आदिवासी छात्रों को जाति प्रमाण पत्र को सुधार करते हुए उपजाति संताल (santal) की जगह संथाल (santhal) शब्द लिखने कह रहे है और जाति प्रमाण पत्र को रिजेक्ट कर दे रहे है. यह मामला पोटका अंचल कार्यालय का है. जिसमें एक संस्था ने पोटका प्रखंड क्षेत्र के धिरोल गांव के रहने वाले छात्र कुणाल मुर्मू जाति प्रमाण पत्र में सुधार कर जमा करने को कहा गया है. इस संबंध में कांग्रेसी नेता रमेश पांडेय ने मंत्री दीपक बिरुआ को एक्स हैंडल पर ट्वीट कर दिया था. उसके मंत्री ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पूर्वी सिंहभूम जिले के उपायुक्त को ट्वीट कर दिया. जाति प्रमाण के संबंध में पोटका अंचलाधिकारी निकिता बारला ने बताया कि जाति प्रमाण पत्र को निर्गत करने संबंधी कोई दिक्कत नहीं है. संताल (santal) और संथाल (santhal) शब्द में विभेद जैसे कोई बात नहीं है. राज्य सरकार के साइट में संताल (santal) ही लिखा हुआ है. जबति केंद्र सरकार के साइट में संथाल (santhal) शब्द लिखा हुआ है. इसमें अंचल स्तर से किसी तरह फेरबदल संभव नहीं है. लेकिन यदि किसी छात्र को इस वजह से कोई परेशानी हो रहा हो तो उसे अलग से सत्यापित किया हुआ पत्र लिखकर दिया जायेगा. ताकि जिससे यह साबित हो जाये कि उपजाति संताल (santal) और संथाल (santhal) में कोई अंतर नहीं है.

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