अररिया. अररिया के कुर्साकांटा-सिकटी को जोड़नी वाली बकरा नदी पर अवस्थित पड़रिया पुल का निर्माण 2012 में ही शुरू हुआ, हालांकि पांच स्पैन के इस पुल से नदी की धारा नहीं समेटी जा सकी तो पुन: पुल के दो पाया का विस्तार सांसद प्रदीप कुमार सिंह व विधायक विजय कुमार मंडल के प्रयासों से किया गया. इसके बाद 08 करोड़ के इस पुल का बजट बढ़ कर 19 करोड़ के आस-पास हो गया, हालांकि बजट बढ़ने के कारणों की पड़ताल भी जरूर होनी चाहिए. बहरहाल यह सवाल उठता है कि नदी तो 12 वर्ष पूर्व बने इस पुल को होकर भी बही, लेकिन वह पुल तो खड़ा रहा, लेकिन नया पुल जो अभी निर्माण का एक वर्ष भी पूरा नहीं कर पाया था वह आखिरकार कैसे ध्वस्त हो गया. प्रभात खबर ने जब इसकी पड़ताल की तो ग्रामीण कार्य विभाग के हीं एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि पड़रिया घाट पर बने पुराने पुल में के फाउंडेशन अर्थात पाइलिंग में वेल फाउंडेशन तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जिसकी कम से कम गहराई 24 मीटर होती है, वहीं इसका जमीन के अंदर का फाउंडेशन भी पूरी तकनीक से लैस कर बनायी जाती है. लेकिन नये पुल के फाउंडेशन की जो फाउंडेशन तकनीक अपनायी गयी वह ताज्जुब करनी वाली है, अधिकारी ने बताया कि बकरा जैसी नदी में उक्त तकनीक का इस्तेमाल करना अपनी गर्दन डुबोने जैसा था, बताया कि जो नया पुल ध्वस्त हुआ उसमें 20 मीटर पाइलिंग तकनीक का इस्तेमाल हुआ, जो पुल के दबाव को नहीं झेल पाया व ध्वस्त हो गया. अगर फाउंडेशन मजबूत होता तो पाया धसने का प्रश्न हीं नही उठता. ऐसे में अब सवाल उठता है कि आखिर जिसने डीपीआर आदि तैयार किया उन्होंने इस बात का ध्यान कैसे नहीं रखा. हालांकि अधिकारी जो भी कहे मामले की जांच तो होनी हीं चाहिए व दोषी जो भी हों उनके विरुद्ध कार्रवाई तो होनी हीं चाहिये.
निलंबित किये गये तत्कालीन कार्यपालक अभियंता
अररिया.
ग्रामीण कार्य विभाग के द्वारा पड़रिया पुल धसने के मामले में कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. प्राप्त पत्र के अनुसार अभियंता प्रमुख सह अपर आयुक्त सह विशेष सचिव, ग्रामीण कार्य विभाग, पटना ने कार्रवाई को लेकर पत्र जारी किया है. जिसमें अररिया जिला अंतर्गत प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना 2 अंतर्गत दिनांक 18 जून 2024 को बकरा नदी पर निर्माणाधीन क्षतिग्रस्त पुल के संबंध में प्रतिवेदन उपलब्ध कराया है. कहा है कि प्रतिवेदन व संलग्न अभिलेखों से स्पष्ट होता है कि उक्त पुल का निर्माण गुणवत्तापूर्ण नहीं हुआ है. इसके लिए कार्य से संबंधित अभियंताओं व संवेदक को जिम्मेवार माना गया है. प्रतिवेदन के अनुसार अंजनी कुमार तत्कालीन कार्यपालक अभियंता अररिया वर्तमान में ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल सुपौल का पुल के निर्माण कार्य से संबद्ध पाया गया है व इनके द्वारा कर्त्तव्यहीनता बरती गयी है. अंजनी कुमार तत्कालीन कार्यपालक अभियंता सुपौल को बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण व अपील) नियमावली, 2005 के नियम 9 ( 1 ) (क) के तहत तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक के लिए निलंबित किया जाता है. निलंबन अवधि में अंजनी कुमार का मुख्यालय अधीक्षण अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग, कार्य अंचल, गया का कार्यालय निर्धारित किया जाता है. वहीं निलंबन अवधि में श्री कुमार को बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2005 के नियम 10 (1) के तहत अनुमान्य जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है