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रथ यात्रा सात जुलाई को, 35 फीट ऊंचा होगा रथ

धुर्वा स्थित एचइसी आवासीय परिसर में श्री जगन्नाथपुर रथ यात्रा सात जुलाई को निकाली जायेगी. मंदिर न्यास समिति ने तैयारी शुरू कर दी है.

जय जगन्नाथ. 22 जून को स्नान यात्रा और छह जुलाई को नेत्रदान

रांची़ धुर्वा स्थित एचइसी आवासीय परिसर में श्री जगन्नाथपुर रथ यात्रा सात जुलाई को निकाली जायेगी. मंदिर न्यास समिति ने तैयारी शुरू कर दी है. पुरी से आये कलाकार के साथ स्थानीय कारीगर रथ तैयार कर रहे हैं. मंदिर के प्रथम सेवक सह मंदिर न्यास समिति के सदस्य ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव ने बताया कि इस बार प्रभु जगन्नाथ की 333वीं रथ यात्रा निकाली जायेगी. इस बार रथ पिछले वर्ष की तुलना में पांच फीट ऊंचा होगा. पिछले वर्ष रथ की ऊंचाई 30 फीट थी, जो इस बार 35 फीट होगी. तीन द्वार होंगे. रथ को छोटी-छोटी घंटियों से सजाया जायेगा.

छह जुलाई को नेत्रदान

छह जुलाई को शाम 4.00 बजे से भगवान जगन्नाथ का नेत्रदान होगा. इसे लेकर जगन्नाथपुर मंदिर न्यास समिति ने पूजा कार्यक्रम की समय सारिणी जारी की है.

06 जुलाई : सुबह 6.00 बजे मंगल आरती, दोपहर 12.00 बजे अन्न भोग, शाम 4.00 बजे नेत्रदान पूजा प्रारंभ, शाम 4.30 बजे विशेष भोग, शाम 5.00 बजे 108 मंगल आरती के साथ सर्वदर्शन सुलभ, रात 9.00 बजे आरती व भोग के बाद पट बंद हो जायेगा.

07 जुलाई : सुबह 5.00 बजे जगन्नाथ स्वामी का दर्शन, दोपहर 2.00 बजे दर्शन बंद, दोपहर 2.01 के बाद विग्रहों का क्रमश: सुदर्शन चक्र, गरुड़ जी, लक्ष्मी जी, नरसिंह, बलभद्र स्वामी, सुभद्रा माता व जगन्नाथ स्वामी का रथ के लिए प्रस्थान. दोपहर 2.30 बजे तक सभी विग्रहों का रथारूढ़ व शृंगार दोपहर 3.00 बजे तक होगा. दोपहर 3.01 बजे से शाम 4.30 बजे तक श्री विष्णु सहस्त्रनाम पूजा, शाम 4.31 से 5.00 बजे तक अर्जित पुष्प जगन्नाथ स्वामी के चरण पर अर्पित और शाम 5.01 बजे रथ मौसीबाड़ी के लिए प्रस्थान होगा, शाम 6.00 बजे तक रथ मौसीबाड़ी पहुंचेगा. शाम 6.05 बजे से लोग दर्शन करेंगे और शाम 7.00 बजे दर्शन बंद होगा. इसके बाद विग्रहों का रथ से प्रस्थान मौसीबाड़ी मंदिर के लिए होगा. रात 8.00 बजे 108 मंगल आरती के बाद मंदिर पट बंद हो जायेगा. घुरती रथ यात्रा 16 जुलाई को होगी.

22 की स्नान यात्रा के बाद अज्ञातवास में चले जायेंगे प्रभु

भगवान जगन्नाथ स्वामी की स्नान यात्रा 22 जून को होगी. इसके बाद भगवान 15 दिनों के लिए अज्ञातवास में चले जायेंगे. स्नान यात्रा दोपहर एक बजे शुरू होगी, जो 1:45 बजे तक चलेगी. भगवान को अश्वगंध, गुलाब जल, हल्दी, कुमकुम, सुगंधित पुष्प, गंगा जल औषधि जल से स्नान कराया जायेगा. इसके बाद आम भक्त प्रभु को स्नान करायेंगे. दोपहर 3:30 बजे तीनों विग्रह एकांतवास में चले जायेंगे. मान्यता है कि प्रभु अधिक स्नान कर लेने से बीमार हो जाते हैं और उनको बुखार आ जाता है. फिर प्रभु 15 दिनों के लिए एकांतवास में चले जाते हैं. प्रभु की 15 दिनों तक गुप्त पूजा-अर्चना होती है और उनका औषधीय उपचार किया जाता है. इसी दौरान प्रभु को गुंडीचा यात्रा के लिए तैयार भी किया जाता है़

छह जुलाई की शाम में एकांतवास के बाद प्रभु दर्शन देंगे

प्रभु जगन्नाथ छह जुलाई को शाम चार बजे भक्तों को दर्शन देंगे. इस दिन उनका नेत्रदान कर उन्हें स्नान मंडप में लाकर विराजमान किया जायेगा और उनकी आरती की जायेगी. इसके बाद भक्त भगवान की पूजा-अर्चना कर सकेंगे. दिन सात जुलाई को रथयात्रा के दिन भगवान मौसीबाड़ी जाते हैं.

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