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पटना एयरपोर्ट का नया फायर भवन चालू

पटना एयरपोर्ट का नया फायर भवन चालू हो गया है. इससे पटना एयरपोर्ट अग्निशमन यूनिट की क्षमता बढ़ गयी है.

संवाददाता, पटना : पटना एयरपोर्ट का नया फायर भवन चालू हो गया है. इससे पटना एयरपोर्ट अग्निशमन यूनिट की क्षमता बढ़ गयी है. यहां ग्राउंड फ्लोर पर दमकल की गाड़ियों के खड़ी रहने के लिए अधिक जगह उपलब्ध है और पुराने दफ्तर की तुलना में चार गाड़ियां अधिक खड़ी रह सकती हैं. साथ ही अग्निशमन कर्मियों के लिए भी पुराने कार्यालय की तुलना में अधिक सुविधा उपलब्ध है. पहले फ्लोर पर अग्निशमन यूनिट का दफ्तर है, जबकि उससे ऊपर की मंजिल पर रेस्ट रूम बने हैं, जहां डयूटी के दौरान विश्राम अवधि में अग्निशमन कर्मी आराम भी कर सकते हैं. भवन की ऊंचाई अधिक होने के कारण यहां से पूरे एयरपोर्ट परिसर पर अधिक सक्षमता से निगरानी रखी जा सकती है और कहीं भी किसी तरह की अगलगी होने पर वहां दमकल की गाड़ियां और अग्निशमन कर्मी जल्द पहुंच सकते हैं. नया फायर भवन एयरपोर्ट थाने के पास उस भूखंड पर बना है, जो पहले एयरपोर्ट परिसर के बाहर था. इस क्षेत्र को एयरपोर्ट परिसर के भीतर लाने के लिए एयरपोर्ट की चहारदीवारी को बढ़ाने और बढ़े क्षेत्र की निगरानी के लिए चार नये वाच टावर बनाने की जरूरत थी. नये वाच टावर पर निगरानी के लिए सीआइएसएफ कर्मियों की भी तैनाती करनी पड़ती, जिसके लिए अतिरिक्त बल की जरूरत थी. अतिरिक्त बल उपलब्ध नहीं करवाने के कारण ही यह नया फायर भवन बनने के छह महीने बाद तक फंक्शनल नहीं हो पाया था. लेकिन चुनाव बाद अतिरिक्त बल मिलने के साथ ही यह पूरी तरह फंक्शनल हो गया.

नये कार्गो टर्मिनल के चालू नहीं हाेने से आम व लीची के निर्यात में हो रही परेशानी

पटना. नये कार्गो टर्मिनल के चालू नहीं हाेने से आम और लीची के निर्यात में परेशानी हो रही है. रेफ्रिजरेशन की सुविधा की कमी से फलों का स्टोरेज मुश्किल हो गया है और उनके खराब होने की आशंका बनी रहती है. कुछ निर्यात करने वाले मजबूरन इन्हें रेफ्रिजरेशन वाहन में लेकर पटना एयरपोर्ट आ रहे हैं, ताकि फ्लाइट के आने और उनमें लोड होने के दौरान इंतजार के समय में वे खराब नहीं हों. हालांकि, इस तरह की सुविधा कुछ ही निर्यातकों के पास हाेने से आम और लीची का निर्यात इस वर्ष भी कम ही रहेगा. हर दिन चार-पांच टन लीची और दो-तीन टन आम ही पटना से हवाई मार्ग से भेजे जा रहा है, जबकि खाड़ी देशों और यूरोप में इनकी लगभग दोगुनी मांग है.

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