भारत और अमेरिका क्वांटम विज्ञान, जैव-निर्माण, दवा, दूरसंचार समेत विभिन्न अत्याधुनिक तकनीकों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं. इस संबंध में पहली बैठक जनवरी 2023 में हुई थी. सोमवार को नयी दिल्ली में दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों- अजीत डोभाल और जैक सुलिवन- की बैठक में एक साझा रणनीतिक कार्यक्रम का निर्णय लिया गया. उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक सहयोग के लिए पहले से ही एक रणनीतिक समझौता है तथा हाल के वर्षों में द्विपक्षीय सहकार निरंतर सघन होता गया है. विकास में तकनीक का आधारभूत महत्व होता है. देशों के बीच में तकनीकों का आदान-प्रदान तो हमेशा से होता रहा है, पर भू-राजनीतिक और सामरिक कारक इस प्रक्रिया में बड़ी भूमिका निभाते हैं.
ऐसे में बाइडेन प्रशासन द्वारा उन्नत कंप्यूटिंग और सोर्स कोड तकनीकों के भारत के निर्यात में बाधाओं को कम करने का निर्णय यह दर्शाता है कि दोनों देशों का एक-दूसरे पर भरोसा बढ़ता जा रहा है. भारत ने हाइड्रोजन ऊर्जा, क्वांटम विज्ञान शोध, 6जी जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए विशेष प्रयास किया है. अब भारत के 6जी अलायंस और अमेरिका के नेक्स्ट जी अलायंस के बीच साझेदारी से बड़ी प्रगति का रास्ता खुला है. इसके लिए आवश्यक धन का इंतजाम भी अमेरिका करेगा. डिजिटल तकनीक के क्षेत्र में भारतीय प्रतिभा का लोहा दुनिया मानती है, जिसका लाभ इस कार्यक्रम को मिलेगा. क्वांटम विज्ञान में दोनों देशों के संस्थानों एवं प्रयोगशालाओं के एक साथ काम करने से शोध को नयी गति मिलने की आशा है.
भारत सरकार द्वारा शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं तथा आवंटन में भी बढ़ोतरी की गयी है. लेकिन समुचित कोष एवं संसाधनों का अभाव अभी भी है. इसमें अमेरिकी सहायता बहुत मददगार साबित हो सकती है. दवाई और वैक्सीन उत्पादन में अग्रणी होने के कारण भारत को ‘दुनिया की फार्मेसी’ भी कहा जाता है. जैव-तकनीक और दवा निर्माण के क्षेत्र में शोध एवं उत्पादन बढ़ाने के लिए भारत, अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ ने एक साझा मंच बनाया है. कोरोना महामारी के अनुभव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी चुनौतियों का सामना करने के लिए बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है. उन्नत तकनीक और वैज्ञानिक अनुसंधान के विकास के ऐसे प्रयासों से हमारी अर्थव्यवस्था को भी नयी गति मिलेगी. इसलिए अत्याधुनिक तकनीक की उपलब्धता का महत्व बहुत बढ़ जाता है. इस दृष्टि से परस्पर सहयोग बढ़ना उत्साहजनक है.