हर इंसान की चाहत होती है कि वह मनचाही सफलता अर्जित करे. हर माता पिता की इच्छा रहती है कि उनके बच्चे देश की सबसे बड़ी प्रतियोगिता यानी भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा में उत्तीर्ण करें. इसके लिए पूरी तैयारी करते हैं, जी-तोड़ मेहनत करते हैं. कई बार कुछ लोगों से चूक हो जाती है. इसके बाद भी वे अगले पड़ाव की ओर बढ़ते रहते हैं. कभी थकते नहीं हैं. इसी गलाकट प्रतिस्पर्धा के जमाने में डॉ ए आर खान की नई पुस्तक मेटा कंपीटिशन एक संजीवनी के तौर पर प्रकाशित की गई है.
प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के गुर
करीब ढाई सौ पेज की इस किताब में कुल 91 अध्यायों में कई उदाहरण के माध्यम से डॉ खान ने प्रतियोगियों के लिए कई गुर बताए हैं. डॉ खान बीते कई वर्षों से सिविल सेवा के लिए तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं. नई दिल्ली के साथ ही कई राज्यों में इनकी कोचिंग केएसजी से अब तक हजारों बच्चे सिविल सेवा और राज्य लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण कर चुके हैं. इन्हें तैयारी कर रहे छात्रों की दिक्कतों और मानसिक स्थिति का बेहतर पता है.
रोजमर्रा की चुनौतियों का कैसे करें सामना
प्रस्तावना में ही डॉ ए आर खान बताते हैं कि बीते तीन दशक से वे प्रतियोगी छात्रों के बीच रहकर उनकी मनोदशा को बेहतर समझ पाते हैं. परीक्षाओं के साथ ही रोजमर्रा के जीवन में आने वाली चुनौतियों को लेकर भी उन्होंने अपनी पुस्तक में बात की है, और अपने अनुभव से कई गुर बताए हैं. लेखन में साफगोई के साथ कई बातों को स्वीकारा गया है और कहा गया कि हमें हर पल के लिए सचेत और जागरूक रहने की आवश्यकता है. केएसजी क्लासेज प्राइवेट लिमिटेड ने इस पुस्तक की पेपरबैक की कीमत 299 रुपये रखी है.
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