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पानागढ़ के प्राचीन तालाब से मिट्टी की तस्करी का आरोप

पश्चिम बर्दवान जिले के कांकसा थाना इलाके के पानागढ़ मौजा ‘खां तालाब’ में इन दिनों तालाब का पानी सुखाकर जीर्णोद्धार के नाम पर अवैध रूप से मिट्टी की तस्करी करने का आरोप है. लगभग साढ़े तीन एकड़ में यह प्राचीन ’खां तालाब’ फैला है जिसका दाग नंबर 2781 है. इस तालाब का पानी सुखाकर पिछले कुछ दिनों से जेसीबी से मिट्टी खुदाई कर उक्त मिट्टी की तस्करी किये जाने का आरोप लग रहा है.

पानागढ़.

पश्चिम बर्दवान जिले के कांकसा थाना इलाके के पानागढ़ मौजा ‘खां तालाब’ में इन दिनों तालाब का पानी सुखाकर जीर्णोद्धार के नाम पर अवैध रूप से मिट्टी की तस्करी करने का आरोप है. लगभग साढ़े तीन एकड़ में यह प्राचीन ’खां तालाब’ फैला है जिसका दाग नंबर 2781 है. इस तालाब का पानी सुखाकर पिछले कुछ दिनों से जेसीबी से मिट्टी खुदाई कर उक्त मिट्टी की तस्करी किये जाने का आरोप लग रहा है. आरोप है कि नियम के विरुद्ध करीब 7-10 फीट अतिरिक्त तालाब का गहरीकरण किया जा रहा है और उस मिट्टी को डंपर में भरकर पानागढ़ औद्योगिक अंचल में तस्करी कर ले माफियाओं द्वारा के जाया जा रहा है. आरोप है कि सत्ताधारी दल के समर्थन से मोटी रकम के बदले जमीन बेची जा रही है. आसपास के निवासियों ने कहा कि जिस तरह से खुदाई की जा रही है, छोटे लड़के-लड़कियों के गिरने पर डूबने का खतरा है. इसके अलावा, तालाब के किनारों पर मिट्टी को मजबूत नहीं किया जा रहा है, बल्कि अन्यत्र तस्करी की जा रही है. इससे आसपास के मकान और छतें कमजोर हो जायेंगी. इसलिए तालाब की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए गाद निकालकर तालाब के किनारे डालने का नियम होना चाहिए. ताकि किनारा (पाड़) ढहने का कोई खतरा नहीं होगा. तालाब के हिस्सेदार नित्यगोपाल सुकुल ने कहा कि उनका भी इस तालाब में हिस्सा है. लेकिन उन्हें नहीं पता था कि तालाब की मिट्टी काटकर उसकी तस्करी की जा रही है. पानागढ़ नागरिक मंच की ओर से प्रकाश दास ने कहा कि 2016 से पूरे कांकसा ब्लॉक में कमोबेश 20 तालाबों को खुलेआम भरा जा रहा है. उन्होंने कई बार शिकायत की है. उन्होंने बीएलआरओ से लेकर मुख्यमंत्री तक से शिकायत की है. लेकिन कुछ नहीं किया गया. उन भरे तालाबों को सुधारने की दिशा में प्रखंड प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन तक कोई पहल नहीं कर रहा है. भरे तालाब के जीर्णोद्धार के लिए आवेदन देने पर कहा जाता है कि फंड नहीं है. लेकिन, मोटी रकम लूटने के लिए लबालब भरे तालाब का पानी खाली कर धड़ल्ले से मिट्टी की तस्करी की जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर समतलीकरण के लिए मिट्टी की जरूरत है तो भरे हुए तालाबों का जीर्णोद्धार कर वहां से मिट्टी ली जानी चाहिए. तब जलस्रोत अपनी मूल स्थिति में आ जायेंगे. जल भंडारण क्षमता बढ़ेगी. गौरतलब है कि भूमि राजस्व अधिनियम 1955 के अनुसार, मिट्टी काटने से पहले नियमानुसार कुछ रॉयल्टी और उपकर का भुगतान करके जिला भू-राजस्व कार्यालय से अनुमति लेनी होती है. आरोप लगाया कि सुधारों के नाम पर जमीन बेचने का धंधा चल रहा है. स्थानीय भाजपा नेता रमन शर्मा ने कहा कि सत्तारूढ़ दल के समर्थन से जमीन बिक्री का कारोबार चल रहा है. वह इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं. तृणमूल के कांकसा ब्लॉक अध्यक्ष नवकुमार सामंत ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि उन्होंने मामला देखा है. तालाब के अंदर इतनी गहराई तक मिट्टी नहीं काटी जानी चाहिए. इससे तालाब कमजोर हो जायेगा. मिट्टी कटाई को बंद करने को कहा गया है. हालांकि, कांकसा भूमि राजस्व विभाग ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैज्ञानिक तरीके से आधुनिक मशीनों से मिट्टी की खुदाई का काम चल रहा है. तालाब की गहराई असामान्य होने से आसपास के निवासी दहशत में हैं. लोगों ने अविलंब प्रशासन से इस दिशा में उपयुक्त कदम उठाने को कहा है.

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