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आखिरकार भभुआ नगर पर्षद के सैरातों की नौ महीने के लिए 99 लाख में हुई नीलामी

आखिरकार काफी विवाद, चोरी के आरोप व हंगामा के बाद भभुआ नगर पर्षद के सैरातों की नीलामी गुरुवार को हो गयी. नगर पर्षद क्षेत्र के सभी चार सैरातों की नीलामी अगले नौ महीने के लिए 99 लाख रुपये में की गयी है.

भभुआ कार्यालय. आखिरकार काफी विवाद, चोरी के आरोप व हंगामा के बाद भभुआ नगर पर्षद के सैरातों की नीलामी गुरुवार को हो गयी. नगर पर्षद क्षेत्र के सभी चार सैरातों की नीलामी अगले नौ महीने के लिए 99 लाख रुपये में की गयी है. उसे कविंद्र पटेल द्वारा लिया गया है. इस 99 लाख पर तीन प्रतिशत का स्टांप शुल्क कविंद्र पटेल को अलग से जमा करना होगा. इस तरह से नगर पर्षद को भभुआ के सैरातों से अगले नौ महीने में करीब एक करोड़ तीन लाख रुपये प्राप्त होंगे. इसका अगर हर महीने औसत निकाला जाये तो नगर पर्षद को सैरातों से 11 लाख 44 हजार रुपये का आमदनी होगा. लेकिन, खासबात यह है कि पिछले एक साल से अधिक समय से नगर पर्षद के सैरातों से विभागीय वसूली की जा रही है. इसमें पिछले नीलामी या फिर इस नीलामी को आधार माना जाये, तो हर महीने पांच लाख रुपये का नुकसान हो रहा था. खासबात यह है कि पिछले एक साल से अधिक समय से नगर पर्षद द्वारा सैरातों से विभागीय वसूली कराया जा रहा था. नगर पर्षद का कहना था कि नीलामी में किसी के सम्मिलित नहीं होने के कारण विभागीय वसूली मजबूरी में करायी जा रही थी. लेकिन विभागीय वसूली में नगर पर्षद को हर महीने लगभग चार से पांच लाख का नुकसान हो रहा था. यहीं नहीं पार्षदों द्वारा लगातार यह आरोप लगाते हुए हंगामा किया जा रहा था कि सैरातों से विभागीय वसूली में हर महीने तीन से चार लाख की चोरी की जा रही थी. बीते अप्रैल महीने में पार्षदों ने नप अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं कार्यपालक पदाधिकारी पर यह आरोप लगाया था कि हर महीने सैरातों से लगभग दस लाख रुपये की वसूली हो रही है और महज साढ़े पांच से छह लाख जमा किया जा रहा है. कुल मिलाकर हर महीने चार से पांच लाख की चोरी की जा रही है. पार्षदों ने जब हंगामा किया और मामला अखबारों की सुर्खियां बनी तो अप्रैल महीने में विभागीय वसूली में चोरी के आरोपों के बाद ढाई लाख की बढ़ोतरी हो गयी. 2023 अप्रैल से 2024 मार्च तक पांच लाख 77 हजार प्रतिमाह के औसत से सैरातों से विभागीय वसूली का पैसा जमा किया गया था. लेकिन जब अप्रैल में चोरी के आरोप एवं हंगामा हुआ और उक्त मामला मीडिया के सुर्खियों में आया तो विभागीय वसूली आठ लाख 5 हजार दिखाते हुए नगर पर्षद के खाते में अप्रैल महीने में आठ लाख पांच हजार 200 रुपया जमा किया गया. वहीं मई महीने में भी आठ लाख छह हजार 300 रुपया जमा किया गया. वहीं जब इस महीने जून में नीलामी की गयी है तो सैरातों को 99 लाख में नौ महीने के लिए लिया गया है. इस तरह से अब 11 लाख 44 हजार प्रत्येक महीने नगर पर्षद को सैरातों से आमदनी आयेगा. जबकि दो महीने पहले तक नगर पर्षद को विभागीय वसूली से महज पांच लाख 77 हजार रुपये ही आ रहा था. ऐसे में जिस तरह से हंगामे के बाद विभागीय वसूली में ढाई लाख रुपये की बढ़ोतरी हुई है वह निश्चित रूप से अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच सैरातों से विभागीय वसूली में होने वाली खेल की ओर इशारा कर रहा है. – क्या कहते हैं कार्यपालक पदाधिकारी नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी संजय उपाध्याय ने बताया कि मैंने पदभार ग्रहण करने के साथ ही सैरातों की नीलामी को लेकर लगातार प्रयासरत था. आचार संहिता के कारण नीलामी नहीं हो पर ही थी. अब नीलामी कर दी गयी है. जो आरोप प्रत्यारोप लग रहे थे, इस नीलामी के उन आरोप प्रत्यारोप पर विराम लग जायेगा.

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