शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को लेकर समीक्षा भवन में गुरुवार जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी की अध्यक्षता में बैठक हुई. जिला शिक्षा पदाधिकारी, शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकारी और शहरी क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाध्यापक शामिल हुए. डीएम ने प्रधानाध्यापकों से शिक्षकों को पुरानी प्रतिष्ठा वापस लाने के लिए चिंतन-मनन करने कहा. उन्होंने कहा कि जब तक हम अपने विद्यालय के बच्चों को अपना बच्चा नहीं समझेंगे, तब तक शिक्षण व्यवस्था नहीं सुधरेगी. बच्चे गीली मिट्टी की तरह होते हैं, शिक्षक जैसा चाहे आकार दे सकते हैं. आपका पढ़ाया हुआ बच्चा यदि कुछ बन जाता है, तो आपका भी नाम होता है. समाज में सम्मान होता है. जब किसी कामयाब शिष्य का अभिभावक आपको धन्यवाद देता है, तो आपका अंतःमन प्रसन्न हो जाता है. 20- 25 वर्ष पहले समाज में शिक्षकों का जो सम्मान था, वह आज खो चुका है. बच्चे यदि आपका सम्मान नहीं करते हैं, तो कहीं न कहीं आपकी शिक्षा में कमी हो गयी है. आप ऐसी शिक्षण व्यवस्था बनाएं कि सरकारी स्कूल में पढ़ना गर्व की बात हो. विद्यालयों में आधारभूत संरचना की कोई कमी नहीं है. शिक्षक भी कम नहीं हैं. विज्ञान का शिक्षक भौतिकी, रसायन और गणित तीनों विषय को पढ़ा सकते हैं. मैट्रिक तक सभी विषयों की पढ़ाई हम करते हैं, लेकिन बताया जाता है कि विद्यालय में गणित का टीचर है फिजिक्स का नहीं. फिजिक्स का है, लेकिन केमिस्ट्री का नहीं. यह कितना हास्यास्पद लगता है.
निजी विद्यालय के मुकाबले अधिक वेतन मिलता है सरकारी स्कूल में
डीएम ने कहा कि निजी विद्यालय में जितना वेतन मिलता है, उससे कई गुना अधिक सरकारी शिक्षक को दिया जाता है. लेकिन जितना काम निजी विद्यालय के शिक्षक करते हैं, उतना काम सरकारी शिक्षक नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि हर परिवार, हर संस्थान में समस्या आती है. उसका समाधान हमें मिलजुल कर करना होगा. आज हम सब यहां संकल्प लेंगे कि भागलपुर की शिक्षा व्यवस्था को आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचायेंगे.
एक दिन में छह घंटे पढ़ायें, नहीं तो कटेगा वेतन : डीइओ
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि विभाग द्वारा निर्देशित किया गया है कि सभी विद्यालय में एक मॉडल टाइम टेबल होगा. एक शिक्षक को एक दिन में कम से कम छह घंटे पढ़ाना होगा, नहीं तो उस दिन का वेतन कट जायेगा. प्रयोगशाला के लिए घंटी निर्धारित रहेगी . उसी तरह स्मार्ट क्लास के लिए भी विद्यार्थियों की संख्या व वर्ग निर्धारित रहेंगे. खेल सामग्री पैक नहीं रहेगा, उसे बच्चों को खेलने के लिए देना है. प्रत्येक विद्यालय में चेतना सत्र या प्रार्थना सत्र होगा, जिसके लिए लाउडस्पीकर की व्यवस्था रहेगी. ली गयी परीक्षा के लिए सभी कॉपियों का मूल्यांकन अनिवार्य है. पुस्तकालय के पुस्तक बच्चों के बीच वितरण किया जाना है. विद्यालय के शौचालय में टाइल्स लगेगा. चापाकल में मोटर लगेगा. कमराें की कमी दूर होगी. डीडीसी व जनसंपर्क के संयुक्त निदेशक भी उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है