मेदिनीनगर. मानव तस्करी, पलायन व अनाज की कालाबाजारी रोकने सहित अन्य मांगों को लेकर गुरुवार को चैनपुर एवं रामगढ़ प्रखंड क्षेत्र के आदिवासियों व आदिम जनजाति परिवारों ने डीसी कार्यालय का घेराव किया. इससे पूर्व झारखंड राज्य दिहाड़ी मजदूर यूनियन व झारखंड ग्रामीण मजदूर सभा के बैनर तले शिवाजी मैदान से विरोध मार्च निकाला. जो शहर के मुख्य मार्ग होते हुए समाहरणालय पहुंचा. मार्च में शामिल महिला-पुरुष नावाडीह की मृत आदिम जनजाति की नाबालिग को न्याय देने व उसके मौत के जिम्मेवार लोगों की गिरफ्तारी, मानव तस्करी बंद कराने, चार माह का बकाया राशन दिलाने व गरीब-मजदूरों को रोजगार देने की मांग कर रहे थे. घेराव के बाद डीसी को उक्त मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा गया. मांगों पर कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन तेज करने की बात कही गयी. घेराव व धरना में दिव्या भगत, प्रेम कुमार, खुशबू दांगी, सुरेश कोरवा, दिनेश कोरवा, आलोक धान, पार्वती देवी सहित काफी संख्या में लोग शामिल थे. काम नहीं मिलने से मजदूर पलायन को मजबूर घेराव के बाद धरना में झारखंड दिहाड़ी मजदूर यूनियन के सचिव राजीव कुमार ने कहा कि पलामू जिले का रामगढ़ व चैनपुर प्रखंड का सुदूरवर्ती इलाका विकास से कोसों दूर है. इस क्षेत्र में विकास के नाम पर अरबों रुपये खर्च किये गये, लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं है. प्रशासन व बिचौलियों की मिलीभगत से कागज पर काम दिखाकर सरकारी राशि की बंदरबांट कर ली गयी. इस पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि काम नहीं मिलने से महिला-पुरुष मजदूर दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं. वहीं उनके साथ कई तरह की घटनाएं हो रही है. इसी तरह की घटना की शिकार नावाडीह की नाबालिग हुई. जिसकी हत्या बिहार के सासाराम में कर दी गयी. लेकिन प्रशासन ने उसके हत्यारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. झामस के रवींद्र भुइयां, रामराज पासवान, सुषमा मुर्मू, ज्योति सुरेन, पिंकी सुरेन ने कहा कि आदिम जनजाति परिवारों का चार माह से राशन नहीं मिला है. अक्तूबर 2023 से फरवरी 2024 के राशन की कालाबाजारी कर दी गयी. यदि गरीबों को नियमित राशन एवं रोजगार मिलता, तो वे काम की तलाश में पलायन नहीं करते.
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