बोकारो. बोकारो स्टील प्लांट सहित सेल कर्मियों के वेज रिवीजन, बोनस व नाइट शिफ्ट अलाउंस का मामला इस्पात मंत्री तक पहुंच गया है. बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने उक्त मामले को लेकर केंद्रीय इस्पात मंत्री को पत्र लिखा है. यूनियन ने आम सहमति की जगह बहुमत के आधार पर किये गये वेज रिवीजन एमओयू, बोनस व रात्रि पाली समझौता को रद्द करने की मांग की है. साथ हीं, शिकायती पत्र में सेल प्रबंधन व गैर निर्वाचित नेताओं का गठजोड़ की भी शिकायत की गयी है. यूनियन एनजेसीएस संविधान का उल्लंघन कर लागू किये गये सभी प्रावधानों को रद्द करने की मांग की है. कहा कि वेतन समझौता में जितना प्रतिशत लाभ अधिकारी को दिया, उतना हीं प्रतिशत लाभ कर्मी को भी मिले. जिस रूप में एरियर का भुगतान अधिकारी को हुआ, उसी रूप में कमर्ह को भी भुगतान हो. रात्रि पाली भत्ता की राशि का अवलोकन शेष महारत्न कंपनियों से की जाय. उसी तर्ज पर एक जनवरी 2017 से रात्रि पाली भत्ता को लागू कर उसका एरियर का भुगतान कराया जाय.
कर्मचारियों को भी पीबीटी का 5% राशि पीआरपी के रूप में भुगतान
सेल गैर कार्यपालक कर्मचारियों को भी पीबीटी का 5% राशि पीआरपी के रुप में भुगतान किया जाय. सेल अधिकारी व बाकि महारत्ना/नवरत्ना कंपनियों मे दिये जा रहे गैर वैधानिक लाभों जैसे-आवास ऋण, वाहन ऋण, फेस्टिवल एडवांस, लैपटॉप/कंप्यूटर एडवांस, फर्नीचर एडवांस, आइवीएफ की सुविधा, शिक्षा भत्ता आदि की सुविधा सेल गैर कार्यपालक कर्मचारियों को दी जाय. पे-स्केल को बाकि महारत्न कंपनियों की तर्ज पर सुधार कर लागू की जाय. कर्मियों की सुविधा बढ़ने के बजाय घट रही है. एनजेसीएस में यूनियन प्रतिनिधि के रुप में सेल की सभी यूनिटों (एकीकृत इस्पात संयंत्र, विशेष इस्पात संयंत्र, लौह खदान, कोयला खदान, एसआरयू, सीएमओ, दिल्ली/रांची स्थित कार्यालय) का निर्वाचित रिकॉगनाईज्ड यूनियन प्रतिनिधियों को स्थान दिया जाय. पांच यूनियनों को नॉमिनेटेड कोटा के तहत 3-3 सीट देने की प्रथा बंद की जाय. एनजेसीएस संविधान में स्पष्ट प्रावधान है कि सभी मामला आम सहमति से तय होगा. एनजेसीएस में सभी मुद्दों पर आम सहमति के आधार पर निर्णय लिया जाता है.क्या कहते हैं अधिकारी
इस्पात मंत्री को सभी तथ्य व दस्तावेज के साथ पत्र लिखा है. आशा है इस्पात मंत्री जल्द न्याय करेंगे. एनजेसीएस की सभी यूनियनों के बीच आपसी भाईचारा है. इसलिए समझौता पर हस्ताक्षर नहीं करने वाली यूनियन भी विरोध में इस्पात मंत्री को पत्र नहीं लिखती है.दिलीप कुमार,
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