राउरकेला. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आम चुनाव में प्रचार के दौरान कहा था कि आगामी पांच वर्षों में रेलवे में वेटिंग लिस्ट का सिलसिला खत्म हाे जायेगा. रेलवे की ओर से इस व्यवस्था को लेकर काम किया जा रहा है. लेकिन केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार बनने के चंद दिनों के बाद ट्रेनों के स्लीपर कोच में वेटिंग टिकट लेकर अपने सहयात्री अथवा अन्य किसी यात्री के साथ एडजस्ट कर सफर करनेवाले ऐसे यात्रियों पर गाज गिरनी शुरू हो गयी है. रेलवे बोर्ड के आदेश पर राउरकेला से होकर गुजरने वाली एक्सप्रेस ट्रेनों के स्लीपर कोच से वेटिंग लिस्ट वाले ऐसे यात्रियों को नीचे उतारने का सिलसिला शुरू हो गया है.
यात्री बोले-रेलवे कर रहा मनमानी
विगत तीन-चार दिनों से ट्रेनों की स्लीपर काेच से वेटिंग टिकट वाले यात्रियों को उतार दिया जा रहा है. इसे लेकर यात्रियों में आक्रोश देखा जा रहा है. उनका कहना है कि यदि किसी यात्री के परिवार में पांच सदस्य हैं और उनमें से तीन का टिकट कन्फर्म, तो दो लोगों को ट्रेन से उतार दिये जाने पर वे कैसे सफर करेंगे. जबकि वेटिंग लिस्ट वालों से भी उतना ही किराया लिया जा रहा है, जितना कन्फर्म टिकट वालों से लिया जा रहा है. यदि रेलवे ने ऐसा नियम बनाया है, तो वेटिंग टिकट देना ही नहीं चाहिए था अथवा टिकट कन्फर्म करने के लिए कोच की संख्या बढ़ायी जानी चाहिए थी. लेकिन ऐसा न कर रेलवे की ओर से मनमानी की जा रही है. इस संबंध में पूछने पर राउरकेला के चीफ टिकट इंस्पेक्टर (सीटीआइ) नवनीत मिश्रा ने कहा कि ऐसा रेलवे बोर्ड के आदेश पर किया जा रहा है.
अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे रेलवे
राउरकेला रेलवे स्टेशन पर स्लीपर कोच से उतारे जाने से नाराज एक रेल यात्री विक्रम चौधरी ने कहा कि यह रेलवे की मनमानी है. अगर पिता-पुत्र, पति-पत्नी में से किसी एक का टिकट कन्फर्म है, तो वह दूसरे के साथ एडजस्ट होकर जा सकता है. ऐसे में रेलवे को अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए. एक अन्य यात्री रंजय राय ने कहा कि पहले यदि किसी एक परिवार के पांच सदस्यों में तीन का कन्फर्म व दो का वेटिंग टिकट है, तो वे एडजस्ट कर यात्रा कर सकते थे. लेकिन अब नियम बदलने से यात्रियों को अपनी यात्रा रद्द भी करनी पड़ सकती है.
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