अनुलोम, विलोम, कपालभाति, सूर्य नमस्कार, मंडूकासन, शीर्षासन या अन्य आसनों से योग पूरा नहीं होता. एक अपेक्षित परिणाम के लिए सिर्फ शारीरिक अवस्था में तात्कालिक या अस्थायी परिवर्तन कर लेना भर योग नहीं है. योग के बारे में लोगों में ढेर सारी भ्रांतियां हैं. अधिकतर लोग ऐसे मिलते हैं, जो मानते हैं कि शरीर या उसके अंगों को आगे-पीछे, ऊपर-नीचे या बायें-दायें कर लेने से योग हो जाता है. कई लोगों का यह भी मानना है कि योग निरोग रहने का एक साधन है. पर यह ऐसा नहीं है. योग एक व्यक्ति को निरोग रहने की स्थिति से और आगे ले जाता है. यह उस अवस्था को प्राप्त करने में मदद करता है, जिसे सिर्फ आंखों से देख कर नहीं समझा जा सकता. उसे आप महसूस कर सकते हैं. आपके मन को पता चलता है कि आपके साथ कुछ बदला हुआ है, कुछ अच्छा हुआ है, जीवन में कुछ चीजें आगे बढ़ी हैं. अत: लोगों को इस भ्रम से बाहर आना चाहिए कि योग सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखने का एक साधन भर है. हां, यह जरूर है कि योग अगर हमारे जीवन पर प्रभाव छोड़ने लगे, तो शरीर भी स्वत: ही स्वस्थ रहने लगेगा. हमें भूलना नहीं चाहिए कि शरीर के अंदर पैदा होने वाले विकारों में हमारी मानसिक स्थिति की बड़ी भूमिका होती है. और योग के जरिये अगर हम अपने मन को नियंत्रित रखते हैं, स्वस्थ और शांत रख पाते हैं, तो फिर शरीर भी स्वस्थ रहेगा ही.
मनुष्य अपने शरीर और इंद्रियों के साथ सिर्फ एक जीव है. किसी भी दूसरे जीव-जंतु की तरह. इससे अधिक कुछ भी नहीं. हां, उसकी बुद्धि उसे बाकी जानवरों-पशुओं से अलग करती है. यह बुद्धि नामक चीज इंसान में इंटेलेक्ट ऐड करती है अर्थात मनुष्य को विचार शक्ति से लैस करती है. यह अत्यंत विकसित बुद्धि मनुष्य को ईश्वर का एक ऐसा वरदान है, जो दूसरे जीवों को प्राप्त नहीं है. मानव को छोड़ बाकी जीवों के लिए इस दुर्लभ बुद्धि का उपयोग और दुरुपयोग इंसान के जीवन में खास महत्व रखते हैं. योग हमें बुद्धि पर नियंत्रण रखने में मदद करता है. यह हमारे मन को हमारे वश में रखने यानी कंट्रोल करने में हमारी सहायता करता है. इससे मन को शांत रखने में अचूक मदद मिलती है. योग हमें हर परिस्थिति में सामान्य व समान बने रहने की क्षमता प्रदान करता है. यह मन के अंदर चल रहे उथल-पुथल की स्थिति से इंसान को अलग करता है, उसे एक बेहतर स्थिति में ले जाता है. कह सकते हैं कि मन को शांत रखने की प्रक्रिया ही योग है.
योग एक तरह का अनुशासन ही है. यह मन और बुद्धि पर नियंत्रण के लिए एक तरह की कुंजी है. योग हमारे मन पर नियंत्रण पाने में मदद करते हुए हमें हाड़-मांस के एक शरीर से उठा कर नयी ऊंचाइयों तक पहुंचा देता है. हम अपने जीवन में बिना योग के जहां होते हैं, वहां से योग हमें और आगे ले जाता है. यह हमारे बुद्धि-विवेक के सदुपयोग का रास्ता खोलता है. दरअसल, मनुष्य की कठिनाइयों और उसकी सहूलियतों के पीछे मन ही सबसे बड़ा कारक होता है.
अध्यात्म की दृष्टि में मन को ही मनुष्य के बंधन और उसकी मुक्ति का कारण माना जाता है. इस बंधन और मुक्ति के बीच में योग की अत्यंत बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका होती है. योग अपने प्रभाव से मनुष्य को बंधन से आगे ले जाकर मुक्ति को पहुंचाता है. यह हमें स्व को पर से, परिवार से, समाज से, राष्ट्र से, विश्व से, ब्रह्मांड से और अंततः परमात्मा से जोड़ने में मदद करता है. यह योग ही है, जो हमें हर जीव में एकात्म की स्थिति को देखने-समझने की क्षमता प्रदान करता है. और ऐसा हो पाने पर ही मनुष्य के जीवन पर योग का संपूर्ण प्रभाव भी दिखता है.
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