सीएम ने सभी विभागों को उनके अधीनस्थ अप्रयुक्त भवनों की सूची बनाने का दिया निर्देश कोलकाता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों से अप्रयुक्त सरकारी भवनों की सूची तैयार करने और उन संरचनाओं को नीलामी के माध्यम से बेचने के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों के सचिवों, जिलाधिकारियों और कोलकाता नगर निगम के अधिकारियों के यह निर्देश दिया है. राज्य सचिवालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, निर्देश से पता चलता है कि सरकार 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले जितना संभव हो सके, उतना राजस्व उत्पन्न करना चाहती है. इससे पहले, राज्य सरकार ने विभागों को नीलामी के माध्यम से अपने अप्रयुक्त भूखंडों को बेचने की अनुमति दी थी. अब, सरकार ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अप्रयुक्त सरकारी भवनों को बेचने का फैसला किया है. यह स्पष्ट है कि सरकार को 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले अपनी कल्याणकारी योजनाओं को चलाने के लिए एक अच्छी रकम की जरूरत है. सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वित्त विभाग अप्रयुक्त सरकारी भवनों के मुद्रीकरण की प्रक्रिया की निगरानी करेगा, जिसकी सूची विभिन्न विभागों और जिलाधिकारियों द्वारा तैयार की जायेगी. सूत्रों ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में 45 से ज्यादा पथसाथी (राजमार्गों के किनारे मोटल) बनायी गयी हैं, लेकिन उनमें से ज़्यादातर बेकार पड़ी हैं. पिछले 10 सालों में बेरोजगार युवाओं के लिए शॉपिंग कॉम्प्लेक्स – लगभग 80 कर्म तीर्थ बनाये गये, लेकिन बेरोजगार युवाओं की दिलचस्पी की कमी के कारण कोई भी चालू नहीं हो पाया. राज्य के प्राय: हर ब्लॉक में स्थापित बड़ी संख्या में किसान मंडी बनाये हैं, जिसका प्रयोग नहीं हो रहा. हालांकि, किस सरकारी भवन की नीलामी होगी, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है. अभी सभी विभागों व जिलाधिकारियों से रिपोर्ट तलब की गयी है. विभाग और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा रिपोर्ट वित्त विभाग को सौंपे जाने के बाद यह स्पष्ट हो जायेगा कि उनमें से कितनी इमारतों को नीलामी के लिए रखा जा सकता है. सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य अपनी कल्याणकारी योजनाओं को चलाने के लिए अधिक राजस्व उत्पन्न करना चाहता है. इन योजनाओं को चलाने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष 30,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया जा रहा है, जिसमें लक्खी भंडार भी शामिल है. अब, मुख्यमंत्री ने मनरेगा कार्ड धारकों को 50 दिनों की नौकरी देने और ग्रामीण आवास योजना के तहत 11.36 लाख ग्रामीण गरीबों को आवास इकाइयां देने का फैसला किया है, क्योंकि केंद्र ने योजनाओं के तहत धन जारी करना बंद कर दिया है. इन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार को और 18,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी. इसलिए राज्य सरकार अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए यह पहल शुरू करने जा रही है.
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