गोपालगंज. यह मॉडल सदर अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड है जनाब. यहां रात में अधिकतर कर्मी ड्यूटी पर नहीं मिलेंगे, जो होंगे, वह नींद में खर्राटे लेते मिलेंगे. रात में यहां अधिकारी भी जांच या निरीक्षण के लिए नहीं आते. इसलिए स्वास्थ्यकर्मियों की मौज रहती है. इसीजी, बीपी और शुगर की जांच के लिए पर्याप्त मशीन है, लेकिन खराब होने का बहाना बनाकर स्वास्थ्यकर्मी जांच नहीं करते. लिहाजा मरीजों से निजी जांच केंद्रों को शुल्क दिलाकर इसीजी या शुगर की जांच करवायी जाती है. गुरुवार की देर रात से लेकर सुबह सात बजे तक ऐसे कई मामले सामने आये, जिससे मरीजों को परेशान होना पड़ा. शुक्रवार की सुबह में इमरजेंसी वार्ड में तीन नर्सिंग स्टाफ दिखे. इनमें एक जीएनएम डॉक्टर के चेंबर में एसी चलाकर नींद में खर्राटे ले रहे थे. वहीं दूसरी जीएनएम इजीसी मशीन खराब होने की बात कहकर मरीजों को निजी जांच केंद्रों से जांच कराने के लिए सलाह दे रही थीं. मरीज का पर्चा बनाने के लिए भी कोई कर्मी नहीं था. इससे चिकित्सक को ही मरीज का पर्चा बनाकर रजिस्टर में दर्ज करना पड़ रहा था. उधर, इमरजेंसी वार्ड में सांस के मरीज, बीपी, शुगर, सर्पदंश के शिकार मरीज, दुर्घटना में जख्मी होकर मरीज पहुंचे हुए थे. यह समस्या हर रोज की है, आये दिन इसके लिए हंगामा होने की खबरें आते रहती हैं, लेकिन सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा. मरीजों का आरोप था कि सरकार की ओर से अस्पताल में संसाधन और सुविधाएं बढ़ने के बावजूद मरीजों को लाभ नहीं मिले, तो जवाबदेही किसकी होगी. ट्रॉमा सेंटर, आइसीयू और वेंटिलेटर मशीन रहने के बावजूद महीनों से बंद पड़ी हैं. ट्रॉमा सेंटर भवन में एक्सरे व सीटी स्कैन खोल दिया गया है, जो इमरजेंसी वार्ड का पार्ट है. ट्रॉमा सेंटर गंभीर मरीजों के इलाज के लिए केंद्र सरकार के बजट से खोला गया था. वहीं सदर अस्पताल के प्रबंधक जान महम्मद से जब इस संबंध में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि इसीजी मशीन, शुगर मशीन और बीपी मशीन चालू हैं. तीनों मशीनें काम कर रही हैं. यदि इसीजी मशीन में किसी तरह की गड़बड़ी थी, तो इमरजेंसी वार्ड के इंचार्ज को सूचना देनी चाहिए, मामले में जांच होगी. मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो अस्पताल प्रबंधन इसका ख्याल रख रहा है.
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