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हेरिटेज इमारतों की देख-रेख के लिए निगम हुआ तत्पर

महानगर में कई ऐसी हेरिटेज इमारतें हैं, जिनकी देख-रेख के अभाव में हालत जर्जर हो गयी हैं

संवाददाता, कोलकाता

महानगर में कई ऐसी हेरिटेज इमारतें हैं, जिनकी देख-रेख के अभाव में हालत जर्जर हो गयी हैं. वहीं कुछ ऐसे भी इमारत हैं, जिनका कोई इतिहास नहीं है, फिर भी पिछली सरकार ने ऐसी इमारतों को हेरिटेज घोषित कर दी थी. यह जानकारी कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने दी. वह शुक्रवार को निगम के मासिक अधिवेशन में तृणमूल पार्षद विश्वरूप दे द्वारा सदन में रखे गये एक प्रस्ताव के जवाब में बोल रहे थे. मेयर ने बताया कि कोलकाता में सरकारी हेरिटेज इमारतों की देख-रेख राज्य सरकार और निगम करता है, पर निजी हेरिटेज इमारतों की देख-रेख का जिम्मा भवन मालिकों का है.

मेयर ने सदन की बैठक में इस बात पर अफसोस जताया कि केंद्र सरकार की ओर से हेरिटेज इमारतों के संरक्षण के लिए किसी तरह का फंड आवंटित नहीं किया जाता है. उन्होंने कहा, पारंपरिक हेरिटेज इमारतों के संरक्षण का काम लगातार जारी रहता है. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से फंडिंग की जाती है. उन्होंने बताया कि महानगर में हेरिटेज इमारतें ग्रेड वन, टू और थ्री की श्रेणी में रखा जाता है. उन्होंने बताया कि हेरिटेज कमीशन इमारतों का ग्रेडिंग करती है. वहीं इस कमेटी के अनुरोध पर ही हेरिटेज इमारतों का मरम्मत भी की जाती है. उन्होंने कहा कि कोलकाता में हेरिटेज इमारत की संरक्षण के लिए अब खड़गपुर आइआइटी की मदद ली जा रही है. ज्ञात हो कि तृणमूल पार्षद विश्वरूप दे ने निगम के अधिवेशन में कहा कि कोलकाता में कई हेरिटेज इमारतें और स्मारक हैं.

इस बीच, कई इमारतें और स्मारक, “विरासत ” पदनाम प्राप्त करने के बावजूद, केवल रखरखाव की कमी के कारण अब जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं. उन्होंने आगे बताया कि ऐसे भी कई भवन एवं स्मारक हैं, जो विभिन्न कारणों से ””””विरासत”””” की उपाधि न मिलने के कारण जीर्ण-शीर्ण अवस्था में तब्दील हो गये हैं. कोलकाता में बोरो स्तर पर ऐसी इमारतों और स्मारकों की एक व्यापक सूची को ऐतिहासिक संदर्भ में विरासत टैग के साथ तुरंत सार्वजनिक किया जाना चाहिए. इसके जवाब में निगम के मेयर परिषद के सदस्य स्वपन समाद्दार ने कहा कि निगम हमेशा तैयार है. कोलकाता के 144 वार्डों और आस-पास के इलाकों में मौजूद सभी प्राचीन और ऐतिहासिक इमारतों और स्मारकों को आकर्षक बनाने की कोशिश की जा रही है.

राज्य सरकार और हेरिटेज कमीशन के साथ इस संबंध में अगले कदम उठाने की की योजना बनायी गयी है. उधर, मेयर फिरहाद हकीम ने बताया कि पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व को आंकना प्राथमिक कार्य है. उसके बाद विरासत आयोग और निगम के बीच बैठक के बाद निर्णय को अंतिम रूप दिया जायेगा. इस बीच, संबंधित इमारतों के सभी संरचनात्मक मापदंडों की जांच की जायेगी. आइआइटी खड़गपुर को यह कार्य सौंपा गया है.

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