NEET – NET Crisis: देश में पिछले दिनों से NEET और NET की परीक्षाओं को लेकर घमासान मचा हुआ है. इस मामले में पहले NEET परीक्षा को लेकर बवाल हुआ था जिसमें 24 लाख छात्रों ने भाग लिया था. इसमें पेपर लीक होना और ग्रेस मार्क्स देने के प्रकरण सामिल थे. दूसरा मामला UGC -NET का था जिसकी परीक्षा सम्पन्न होने के एक दिन बाद रद्द कर दी गई थी. छात्र काफी दिन से इन मुद्दों पर सरकार से सुनवाई की मांग कर रहे थे. अब इस पूरे प्रकरण में शिक्षा मंत्रालय का भी रवैया सक्त हो चला है. देश के केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को NTA स्ट्रक्चर में सुधार के लिए सिफारिशें मांगने के लिए एक पैनल गठित करने की घोषणा की थी. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था, “सरकार एक हाई लेवल कमेटी बनाने जा रही है. NTA के स्ट्रक्चर, फंक्शन, एग्जाम प्रोसेस, ट्रांसपेरेंसी और डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल को और बेहतर बनाने के लिए उस हाई लेवल कमेटी से सिफारिशें मिलने की उम्मीद है.”
इस उच्च स्तरीय कमेटी की अध्यक्षता पूर्व इसरो चीफ डॉ. के राधाकृष्णण को सौंपी गई है. इस पैनल की अध्यक्षता में कई अन्य एक्सपर्ट भी शामिल होंगे.
कौन है शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित इस कमेटी के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन
हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने डॉ. के. राधाकृष्णन को NTA की जांच करने वाली कमेटी का अध्यक्ष बनाया है. आइए जानते है इनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में. डॉ. के राधाकृष्णन का जन्म 29 अगस्त, 1949 को इरिन्जालाकुडा, केरल में हुआ था. इन्होंने 1970 में केरल विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की. इसके बाद आईआईएम, बैंगलूर में पीजीडीएम पूरा किया और आईआईटी, खड़गपुर से इन्होंने ‘भारतीय भू-प्रेक्षण प्रणाली के लिए कुछ सामरिक नीतियाँ’ शीर्षक वाले शोध प्रबंध पर डॉक्टरेट की उपाधि 2000 में प्राप्त की थी.
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इन्होंने इसरो समेत कई संस्थानों का संभाला है कार्यभार
डॉ. के राधाकृष्णन ने अपने कार्यकाल में कई शोध संस्थानों का पदभार संभाला है. ये भारत सरकार के अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष, अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इन्होंने एक तकनीकी-तंत्र विशेषज्ञ, उत्तम वैयक्तिक और अंतर-वैयक्तिक विशेषताओं से युक्त सक्रिय और परिणामोन्मुख प्रबंधक के रूप में कार्य किया है. इसके साथ ही डॉ. के राधाकृष्णन युवा पीढ़ी में नेतृत्व कौशल प्रदान करने के लिए भी सुविख्यात है. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, उपयोग और अंतरिक्ष कार्यक्रम प्रबंधन में 40 वर्षों से भी अधिक विस्तृत इनका कैरियर कई उपलब्धियों से सुसज्जित रहा है. बताते चलें कि डॉ. के राधाकृष्णन ने अन्य अनेक संस्थानों का में भी कार्य किया है. इनमें प्रादेशिक सुदूर संवेदन केंद्रों की स्थापना के परियोजना निदेशक के तौर पर 2 वर्ष तक कार्य किया. इसके बाद इन्होंने इसरो के बजट और आर्थिक विश्लेषण के निदेशक के तौर पर 10 वर्षों तक कार्य किया. ये राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रणाली-प्रादेशिक सुदूर संवेदन सेवा केंद्र के निदेशक भी रहे. इसके साथ ही इन्होंने राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र के निदेशक के रूप में 3 वर्ष तक कार्य किया. ये विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक भी रहे.
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