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कबीर व नागार्जुन मानवीय अस्मिता के थे रचनाकर

कबीर व नागार्जुन मानवीय अस्मिता के थे रचनाकर

मधेपुरा. विश्वविद्यालय हिंदी व उर्दू विभाग में शनिवार को संत कबीर व जनकवि नागार्जुन की जयंती मनायी गयी. कार्यक्रम का मंच संचालन करते डॉ प्रफुल्ल ने उनके जीवनवृत्त व उनके रचनात्मक योगदान पर भी परिचय दिया. डॉ सिद्धेश्वर कश्यप ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से कबीर और नागार्जुन की क्रांतिधर्मी चेतना व्यक्त किया. पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो बिनय कुमार चौधरी ने कबीर को सांप्रदायिकता के खिलाफ समन्वयवादी चेतना का कवि बताया और नागार्जुन की रचनाओं में व्यक्त प्रकृति, राजनीति और लोक के विभिन्न उपकरणों की चर्चा की. उन्होंने बताया कि दोनों कवियों ने अपने-अपने समय में समाज के हाशिये के लोगों की भावनाओं को आवाज देने का कार्य किया है. ये कवि आपसी सौहार्द्र के थे नायक आइक्यूएसी के निदेशक प्रो नरेश कुमार ने कहा कि महान साहित्यकारों का व्यक्तित्व और कृतित्व स्मरण हम सबके लिए प्रेरणादायी होता है. ऐसे कार्यक्रम छात्रों और शोधार्थियों को नए रचनात्मक चिंतन को आयाम देता है. कार्यक्रम में उर्दू के विभागाध्यक्ष डॉ मो एहसान ने कबीर को गंगा जामुनी तहजीब का नायक बताते हुए उनकी रचनाओं में व्यक्त प्रेम को आपसी सौहार्द का परिचायक बताया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो बिनोद मोहन जायसवाल ने कबीर और नागार्जुन के रचनाकर्म पर चर्चा करते उन्हें मानवीय अस्मिता का रचनाकर बताया. मौके पर उर्दू के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो अब्दुल सुबहानी, नीतीश कुमार, प्रवीण कुमार, आदेश प्रताप, जलाल खान, कलीमुद्दीन, आसिया परबीन, हीना परबीन, हुस्न नाज, रेहाना खातून, मनीष कुमार आदि मौजूद थे. डॉ रश्मि कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

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