समस्तीपुर : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्र ीय कृषि विश्वविद्यालय के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा केंद्र के मुताबिक अच्छी संभावना को देखते हुए किसान अपनी खेतों के मेड़ों को मजबूत बनाने का काम करें. धान की बीजस्थली में जो बिचडे़ 10 से 15 दिनो के हो गये हो उसमें से खर-पतवार निकालकर तथा प्रति एक हजार वर्ग मीटर बीजस्थली के लिए 5 किलो अमोनियम सल्फेट अथवा 2 किलो यूरिया का उपरिवेशन करें. अच्छी वर्षा की संभावना को देखते हुये किसान धान की रोपनी को प्राथमिकता दें. वर्षा जल का उपयोग कर रोपनी के कार्य को प्राथमिकता देंगे. रोपाई पूर्व खेतों की तैयारी के समय कदवा के दौरान मध्यम एवं लंबी अवधि की किस्मों के लिए 30 किलोग्राम नत्रेजन, 60 किलोग्राम स्फुर एवं 30 किलोग्राम पोटाश तथा अगात किस्मों के लिए 25 किलोग्राम नेत्रजन, 40 किलोग्राम स्फुर एवं 30 किलोग्राम पोटाश के साथ 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट या 15 किलोग्राम प्रति हेक्टर चिलेटेड जिंक का व्यवहार करें. धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई के 2-3 दिन बाद तथा एक सप्ताह के अन्दर ब्यूटाक्लोर (3 लीटर दवा प्रति हेक्टयेर) या प्रीटलाक्लोर (1.5 लीटर दवा प्रति हेक्टर) या पेन्डीमिथेलीन (3 लीटर दवा प्रति हेक्टर) का 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टर क्षेत्र में छिड़काव मौसम साफ रहने पर ही करें. खरीफ प्याज की नर्सरी (बीजस्थली) गिरावें. एन-53, एग्रीफाउण्ड डार्क रेड, अर्का कल्याण, भीमा सुपर खरीफ प्याज के लिए अनुशंसित किस्में हैं. बीज गिराने के पूर्व केप्टन या थीरम प्रति 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से मिलाकर बीजोपचार कर लें. बीज की दर 8 से 10 किग्रा प्रति हेक्टेयर रखें. पौधशाला को तेज धूप से बचवाने के लिये 40 छायादार नेट से 6 से 7 फीट की ऊंचाई पर ढक सकते हैं. प्याज के स्वस्थ पौध के लिए पौधशाला से ेनियमित रूप से खरपतवार को निकालते रहें. मिर्च का बीज उथली क्यारियों में गिरायें. इसके लिए उन्नत प्रभेद पंत मिर्च-3, कृष्णा, अर्का लोहित, पूसा ज्वाला, पूसा सदाबहार, पंजाब लाल, काशी अनमोल तथा संकर किस्में अग्नि रेखा, कल्याणपुर चमन, कल्याणपुर चमत्कार, बीएसएस-267 अनुशंसित है. उन्नत किस्मों के लिए बीज दर 1 से 1.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा 200 से 300 ग्राम संकर किस्मों के लिये रखें. क्यारियों की चौड़ाई एक मीटर तथा लंबाई सुविधानुसार 3-4 मीटर रखें. बीज को गिराने से पूर्व थायरम 75 प्रतिशत दवा से बीजोपचार करें. केला की रोपाई करें. उत्तर बिहार में लंबी किस्मों के लिए अलपान, चम्पा, कंथाली, मालभोग, चिनियां, शक्कर चिनियां तथा बौनी एवं खाने वाली किस्मों के लिए गैरडसन, रोबस्टा, बसराई, फिआ-1 अनुशंसित है. सब्जी वाली किस्में बतीसा, सावा, बनकेल, कचकेल तथा सब्जी एवं फल दोनों में उपयोग आने वाली किस्में कोठियां, मुठियां, दुधसागर एवं चकिया अनुशंसित हैं. लंबी जातियों में पौधा से पौधा की दूरी 2.1 मीटर है एवं बौनी जातियों में 1.5 मीटर रखें. आम के पौधों की उम्र (10 वर्ष से अधिक) के अनुसार फलन समाप्त होने के बाद अनुशंसित उर्वरकों 15-20 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद, 1.25 किलोग्राम नत्रेजन, 300-400 ग्राम फॉस्फोरस,1.0 किलोग्राम पोटाश, 50 ग्राम बोरेक्स तथा 15-20 ग्राम थाइमेट प्रति पौधा प्रति वर्ष के अनुसार उपयोग करें. जिससे अगले वर्ष पौधे फलन में आ सके तथा उनका स्वास्थ्य अच्छा बना रहें.
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