नगर पंचायत में इन दिनों पानी की गंभीर समस्या हो गयी है. नगर पंचायत क्षेत्र के गांवों में सोलर प्लांट, रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) प्लांट, नलकूप योजना एवं सरकारी चापाकल कई वर्षों से खराब हैं. इधर इस भीषण गर्मी में ग्रामीणों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. उल्लेखनीय है कि इन क्षेत्रों में नल-जल योजना पूरी तरह फेल हो चुकी है. लिहाजा लोगों को पेयजल की लिए काफी मशक्कत करना पड़ रहा है. नगर पंचायत क्षेत्र का अधौरा गांव सूखा क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. फ्लोराइड प्रभावित इस गांव के ग्रामीणों के लिए पानी का जुगाड़ करना बड़ी समस्या है. गांव में करीब 15 चापाकल हैं, पर सभी खराब हैं. इस कारण यहां के लोगों को पानी के लिए दूसरे गांव जाना पड़ रहा है. गत वर्ष इस गांव में नगर पंचायत की ओर से पानी के टैंकर की व्यवस्था की गयी थी. लेकिन इस वर्ष की व्यवस्था नाममात्र की है. सांसद निधि से पांच साल पहले बना आरओ प्लांट 10 दिन चलने के बाद खराब हो गया तथा अभी तक बंद है. ग्रामीणों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है. आरओ प्लांट अब गाय का शेड और जुआ का अड्डा बन गया है. यहां गाय बांधी जाती हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें पानी की समस्या को लेकर इस बार कोई सहायता नहीं दी गयी. ग्रामीणों की ओर से नगर पंचायत को इस संबंध में सूचना दी गयी, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि सप्ताह में एक या दो टैंकर पूरे वार्ड में भेजा जाता है.
आरो प्लांट के विषय में जानकारी नहीं है : कार्यपालक पदाधिकारी
कार्यपालक पदाधिकारी अमरेंद्र चौधरी ने कहा कि आरओ प्लांट के बारे में वे अभी तक अवगत नहीं हैं. अधौरा गांव सूखा क्षेत्र है. जितने भी खराब चापाकल हैं, उनकी मरम्मत करवाई जा रही है. साथ ही कोशिश की जा रही है कि गांव में अधिक से अधिक पानी का टैंकर भेजा जाये.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है